पर देसी है तू तुझे किस बात का गुरूर है (मारूफ )
तेरे नसीब में एक ईद नहीं तू इतना मजबूर है 😭
24/02/2024
बड़े मुश्किल से पाया था तुझे. दुनियां से छुपाया था तुझे. गरीब कह कर तुमने भी ठुकरा दिया. अच्छा हुआ अपनी औक़ात बता दिया. इश्क़ का एक ही मज़हब है मारूफ. चंद सिक्कों पे ये सब बिके हैं मारूफ. अब अजनबी सा लगता है ये शहर मुझको. अब दवा भी लगता है ज़हर मुझको क्यों फ़िक्र करते हो अपनों का. कोई मरहम नहीं मेरे ज़ख्मों का. अब सभल कर मैं चलने लगा हूं. तेज़ तूफ़ाँ में घर से निकलने लगा हूं. खौफ किस बात का अब करते हो. आंधी तूफ़ाँ में जब निकलते हो. ऐसा लगता है सब्र मेरा टूट गया है. सारा रिश्ता पीछे छूट गया है (Maruf Sultapur UP44) whatshap नंबर 9975608629 गाना ग़ज़ल शायरी लिखने के लिए संपर्क कर सकते हैं 🙋♂️
19/02/2024
🙋♂️ क्या लिखू मैं माँ के लिए. बहुत सोचा लिख दिया जन्नत 🌹. Maruf Ms Ahamad. ko follo karlo 🙋♂️
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