20/03/2024
सई परांजपे। मात्र आठ साल की थी ये जब इन्होंने अपनी पहली किताब छपवा ली थी। वो किताब मराठी भाषा में इन्होंने लिखी थी। इनके जन्म के कुछ ही वक्त बाद इनके पिता जो कि रशियन थे, उन्होंने इनकी मां शकुंतला परांजपे से तलाक ले लिया था। शकुंतला परांजपे एक लेखिका थी। वो एक्ट्रेस भी थी और 30 व 40 के दशक में उन्होंने कुछ हिंदी व मराठी फिल्मों में काम भी किया था। सई की परवरिश इनके नाना के घर हुई थी। इनके नाना सर आर.पी.परांजपे उस वक्त के नामी मैथमैटिशियन और एजुकेशनिस्ट थे। और साल 1944 से 1947 तक वो ऑस्ट्रेलिया में भारत के हाई कमिश्नर रहे थे तो सई के बचपन के कुछ साल ऑस्ट्रेलिया में भी गुज़रे थे।
40 और 50 के दशक के नामी फिल्मकार गोविंद रानाडे इनके रिश्तेदार थे। सई बचपन में अक्सर उनके पास जाया करती थी। और वो सई को कहानियां सुनाया करती थी। उन्हीं कहानियों को सुनकर सई भी फिल्मों की तरफ आकर्षित हुई। और साल 1963 में इन्होंने दिल्ली स्थित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से ग्रेजुएशन किया। ऑल इंडिया रेडियो के पुणे केंद्र में सई ने अनाउंसर की नौकरी कुछ समय के लिए की थी। यहां वो बच्चों के प्रोग्राम्स से जुड़ी और फिर उन्होंने मराठी, हिंदी और अंग्रेजी में कई नाटक लिखे व डायरेक्ट भी किए। इनमें कई नाटक सिर्फ बच्चों के लिए थे। सई ने दूरदर्शन दिल्ली में भी कुछ वर्षों तक नौकरी की थी।
बतौर डायरेक्टर सई परांजपे ने जादू का शंख, स्पर्श, चश्मे बद्दूर, कथा, दिशा, पपीहा, साज़ व कुछ और भी नोटेबल फिल्में बनाई। इनकी फिल्म स्पर्श के लिए इन्हें बेस्ट स्क्रीनप्ले का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था। वहीं फिल्मफेयर ने स्पर्श के लिए सई परांजपे को बेस्ट डायरेक्टर और बेस्ट डायलॉग्स का खिताब दिया था। आज सई परांजपे का जन्मदिन है। 19 मार्च 1938 को इनका जन्म लखनऊ में हुआ था। किस्सा टीवी की तरफ से सई परांजपे जी को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं।