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आप सभी को आषाढ़ शुक्लपक्ष द्वादशी तिथि / जुलाई महीने के पहले शुभ सोमवार सुबह की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ||           ...
07/07/2025

आप सभी को आषाढ़ शुक्लपक्ष द्वादशी तिथि / जुलाई महीने के पहले शुभ सोमवार सुबह की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ||

ः_शिवाय
करूणा के सागर..दया के स्वामी..हें गौरीशंकर
अंतर्यामी..त्रिलोकीनाथ.. त्रिभुवन के दाता..
करत दरश मन अति सुख पाता!!

ादेव

शिव-पार्वती की बनी रहें आप पर छाया,
पलट दे जो अपकी किस्मत की काया।
मिले आपको वो सब इस अपनी ज़िन्दगी में,
जो कभी किसी ने भी ना पाया॥

#ऊँ_नमः_शिव_शक्ति_परिवार

[] # #भगवान भोलेनाथ, माँ पार्वती, भगवान कार्तिकेय एवं श्री गणेश जी की कृपा आप तथा आपके परिवार पर हमेशा बनी रहें # #

*रूपयौवनसंपन्ना: विशालकुलसंभवा*: |*विद्याहीना: न शोभन्ते निर्गन्धा: किंशुका: इव* ||उच्च कुल खानदान में जन्म, सुंदर रूप य...
07/07/2025

*रूपयौवनसंपन्ना: विशालकुलसंभवा*: |
*विद्याहीना: न शोभन्ते निर्गन्धा: किंशुका: इव* ||
उच्च कुल खानदान में जन्म, सुंदर रूप यौवन संपन्न भी अगर ज्ञान हीन संस्कार हीन है तब उस पुष्प समान है जो सुन्दर किंतु सुगंध रहित है!शुभ🙏🏻प्रभात

देवशयनी एकादशी रविवार 06 जुलाई विशेष〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️एकादशी तिथि प्रारम्भ 👉 05 जुलाई को सायं 06:57 बजे से।एकादशी ति...
06/07/2025

देवशयनी एकादशी रविवार 06 जुलाई विशेष
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एकादशी तिथि प्रारम्भ 👉 05 जुलाई को सायं 06:57 बजे से।

एकादशी तिथि समाप्त 👉 06 जुलाई को रात्रि 09:01 बजे।

पारण का समय 👉 07 जुलाई प्रातः 05:21 से 08:11 बजे तक।

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने तक पाताल में शयन करते हैं। ये चार महीने चातुर्मास कहलाते हैं। चातुर्मास को भगवान की भक्ति करने का समय बताया गया है। इस दौरान कोई मांगलिक कार्य भी नहीं किए जाते।

इसके दौरान जितने भी पर्व, व्रत, उपवास, साधना, आराधना, जप-तप किए जाते हैं उनका विशाल स्वरूप एक शब्द में 'चातुर्मास्य'* कहलाता है। चातुर्मास से चार मास के समय का बोध होता है और चातुर्मास्य से इस समय के दौरान किए गए सभी पर्वों का समग्र बोध होता है।

पुराणों में इस चौमासे* का विशेष रूप से वर्णन किया गया है। भागवत में इन चार माहों की तपस्या को एक यज्ञ की संज्ञा दी गई है। वराह पुराण में इस व्रत के बारे में कुछ उदारवादी बातें भी बताई गई हैं।

*शास्त्रों व पुराणों* में इन चार माहों के लिए कुछ विशिष्ट नियम बताए गए हैं। इसमें चार महीनों तक अपनी रुचि व अभीष्ठानुसार नित्य व्यवहार की वस्तुएं त्यागना पड़ती हैं। कई लोग खाने में अपने सबसे प्रिय व्यंजन का इन माहों में त्याग कर देते हैं। चूंकि यह विष्णु व्रत है, इसलिए चार माहों तक सोते-जागते, उठते-बैठते 'ॐ नमो नारायणाय' के जप की अनुशंसा की गई है।

इन चार माहों के दौरान *शादी-विवाह, उपनयन संस्कार व अन्य मंगल कार्य वर्जित* बताए गए हैं। चार मास की अवधि के पश्चात देवोत्थान एकादशी को भगवान जागते हैं।

पौराणिक महत्त्व
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पुराणों के अनुसार बलि नाम के राजा ने तीनो लोकों पर अधिकार कर लिया था। इसलिए इंद्र घबरा कर विष्णु जी के पास गए और उनसे सहायता मांगी। देवराज इंद्र के विनती करने पर व‌िष्‍णु ने वामन अवतार ल‌िया और राजा बल‌ि से दान मांगने पहुंच गए। उन्होंने बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी। बलि ने उन्हें तीन पग भूमि दान में देने के लिए हाँ कर दी। परन्तु भगवान वामन ने विशाल रूप धारण कर के दो पग में धरती और आकाश नाप ल‌िया और तीसरा पग कहां रखे जब यह पूछा तो बल‌ि ने कहा क‌ि उनके स‌िर पर रख दें। इस तरह विष्णु जी ने बलि का अभिमान तोड़ा तथा तीनो लोकों को बलि से मुक्त करवा दिया।

राजा बलि की दानशीलता और भक्त‌ि भाव देखकर भगवान ‌व‌िष्‍णु बहुत प्रसन्न हुए तथा उन्होंने बल‌ि से वर मांगने के ल‌िए कहा। बलि ने वरदान मांगते हुए विष्णु जी से कहा कि आप मेरे साथ पाताल चलें और हमेशा वहीं न‌िवास करें। भगवान विष्णु ने बलि को उसकी इच्छा के अनुसार वरदान दिया तथा उसके साथ पातल चले गए। यह देखकर सभी देवी देवता और देवी लक्ष्मी चिंतित हो उठे।

देवी लक्ष्मी भगवान व‌िष्‍णु को पाताल लोक से वापिस लाना चाहती थी। इसलिए उन्होंने एक चाल चली। देवी लक्ष्मी ने एक गरीब स्त्री का रूप धारण किया तथा राजा बलि के पास पहुँच गयी। राजा बलि के पास पहुँचने के बाद उन्होंने राजा बलि को राखी बाँध कर अपना भाई बना लिया और बदले में भगवान व‌‌िष्‍णु को पाताल से मुक्त करने का वचन मांग ल‌िया।

भगवान विष्णु अपने भक्त को निराश नही करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने बलि को वरदान दिया कि वह हर साल आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्त‌िक शुक्ल एकादशी तक पाताल लोक में न‌िवास करेंगे।

यही कारण है कि इन चार महीनो में भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं और उनका वापन रूप में भगवान का अंश पाताल लोक में होता है।

देवशयनी एकादशी व्रत विधि
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देवशयनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें। पहले घर की साफ-सफाई करें, उसके बाद स्नान आदि कर शुद्ध हो जाएं। घर के पूजन स्थल अथवा किसी भी पवित्र स्थान पर भगवान विष्णु की सोने, चांदी, तांबे अथवा पीतल की मूर्ति स्थापित करें। इसके उसका षोडशोपचार (16 सामग्रियों से) पूजन करें। भगवान विष्णु को पीतांबर (पीला कपड़ा) अर्पित करें। व्रत की कथा सुनें। आरती कर प्रसाद वितरण करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं तथा दक्षिणा देकर विदा करें। अंत में सफेद चादर से ढंके गद्दे-तकिए वाले पलंग पर श्रीविष्णु को शयन कराएं तथा स्वयं धरती पर सोएं। धर्म शास्त्रों के अनुसार, यदि व्रती (व्रत रखने वाला) चातुर्मास नियमों का पूर्ण रूप से पालन करे तो उसे देवशयनी एकादशी व्रत का संपूर्ण फल मिलता है।

देवशयनी एकादशी व्रत कथा
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एक बार देवर्षि नारद ने ब्रह्माजी से देवशयनी एकादशी का महत्व जानना चाहा। तब ब्रह्माजी ने उन्हें बताया कि सतयुग में मांधाता नामक एक चक्रवर्ती राजा थे। उनके राज्य में प्रजा बहुत सुखी थी। एक बार उनके राज्य में भयंकर अकाल पड़ा। इस अकाल से चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई। प्रजा ने राजा के पास जाकर अपनी व्यथा सुनाई। राजा मांधाता यह देखकर बहुत दु:खी हुए। इस समस्या का निदान जानने के उद्देश्य से राजा सेना को लेकर जंगल की ओर चल दिए।

वहां वे एक दिन ब्रह्माजी के पुत्र अंगिरा ऋषि के आश्रम में पहुंचे। अंगिरा ऋषि ने उनके जंगल में घूमने का कारण पूछा तो राजा ने अपनी समस्या बताई। तब महर्षि अंगिरा ने कहा कि सब युगों से उत्तम यह सतयुग है। इसमें छोटे से पाप का भी बड़ा भयंकर दंड मिलता है। ब्राह्मण के अतिरिक्त किसी अन्य जाति को तप करने का अधिकार नहीं है, जबकि आपके राज्य में एक अन्य जाति का व्यक्ति तप कर रहा है। इसीलिए आपके राज्य में वर्षा नहीं हो रही है। जब तक उसका अंत नहीं होगा, तब तक यह अकाल समाप्त नहीं होगा।

किंतु राजा का हृदय एक निरपराध तपस्वी को मारने को तैयार नहीं हुआ। तब महर्षि अंगिरा ने राजा को आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने के लिए कहा। राजा के साथ ही सभी नागरिकों ने भी देवशयनी एकादशी का व्रत विधिपूर्वक किया। व्रत के प्रभाव से उनके राज्य में मूसलाधार वर्षा हुई और पूरा राज्य धन-धान्य से परिपूर्ण हो गया।

भगवान जगदीश जी की आरती
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ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ॐ जय जगदीश…

जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का।
सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय जगदीश…

मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी॥ ॐ जय जगदीश…

तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतरयामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी॥ ॐ जय जगदीश…

तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता।
मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय जगदीश…

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय जगदीश…

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम रक्षक मेरे।
करुणा हाथ बढ़ाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय जगदीश…

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय जगदीश…
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ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्त्रकिरणराय मनोवांछित    🌹🌷फलम् देहि देहि स्वाहा🌹🌷‼️मनोकामना पूर्ति हेतु रविवार को करें ये उपाय...
06/07/2025

ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्त्रकिरणराय मनोवांछित
🌹🌷फलम् देहि देहि स्वाहा🌹🌷

‼️मनोकामना पूर्ति हेतु रविवार को करें ये उपाय ‼️
अत्यंत महत्वपूर्ण उपयोगी जानकारी

1- मनोकामना पूर्ति के लिए रविवार के दिन बरगद का पत्ता लेकर आएं और उस पत्ते पर अपनी मनोकामना लिखकर उसे बहते जल में प्रवाहित कर दें।

2- रविवार के दिन सूर्य देवता को अर्ध्य जरूर दें, साथ ही अर्ध्य देते हुए
ॐ सूर्याय नमः
ॐ वासुदेवाय नमः
ॐ आदित्याय नमः
मंत्र का उच्चारण करें, इससे सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं, रविवार के दिन सूर्य देव की अराधना से जीवन में सुख यश और धन 💰 की प्राप्ति होती है।

3- 🏡घर🏠 के मुख्य द्वार के दोनों तरफ देसी घी का दीपक जलाएं, इस उपाय से सूर्य देव के साथ साथ माता लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होतीं हैं।

4- रविवार के दिन लाल चंदन का तिलक लगाकर घर से बाहर निकलें, ऐसा करने से आप जिस भी काम के लिए बाहर जा रहे हैं, वह जरूर पूरा होता है, रविवार के दिन लाल रंग का वस्त्र पहनना भी बहुत शुभ माना जाता है।

5- यदि आप धन और ऐश्वर्य प्राप्त करना चाहते हैं तो रविवार की रात सोते समय अपने सिरहाने एक गिलास दूध रखकर सोएं, फिर अगली सुबह उठकर वह दूध बबूल के पेड़ की जड़ में डाल दें, ऐसा करने से आपको धन💰 और ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी।

6- ऐसा मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य ग्रह कमजोर हो, तो ऐसे व्यक्ति को रविवार के दिन मछलियों को आटे की गोलीयाँ बनाकर खिलानी चाहिए, ऐसा करने से कुंडली में सूर्य मजबूत होता है और व्यक्ति के जीवन में आ रही परेशानियां दूर होतीं हैं॥

रविवार की प्यार भरी राम राम जी🙏

 # #नाराजगी कभी इतनी लंबी नहीं होनी चाहिएकि इंसान गुजर जाए और नाराजगी रह जाए…जय श्री राम
06/07/2025

# #नाराजगी कभी इतनी लंबी नहीं होनी चाहिए
कि इंसान गुजर जाए और नाराजगी रह जाए…जय श्री राम

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05/07/2025

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‼🌋 सुप्रभातम् स्नेह वंदनम् 🌋‼
‼💥🪔🇮🇳0⃣5⃣ जुलाई 2⃣0⃣2⃣5⃣ 🇮🇳 शुभ शनिवार 🪔💥‼
‼💥‼ ि_देव ‼💥‼ ंगबली ‼💥‼
🌺🍂☀ ं_शनैश्चराय_नमः ☀🍂🌺
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌।
छायामार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।
🌹 ●*.¸.*✻ღϠ₡ღ¸.✻´´¯`✻.¸¸ღ¸.✻´´¯`✻●🌹🌾💐
🌺🍂☀ ं_हनुमत्ये_नमो_नमः ☀🍂🌺
पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रूप
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप
‼❣️ जय महाबली हनुमान ❣️‼❣️ जय श्री Զเम ❣️‼
❣️🙏‼ Զเम Զเम ❣️‼❣️ Զเम Զเम ‼🙏❣️
❣️‼❣️ प्रेम से बोलो जय श्री Զเम ❣️‼❣️
‼🌹‼🌹‼🌹‼🌹‼
❣️‼❣️ मंगलमय दिन की बधाई एवं शुभकामनाएँ ❣️‼❣️
ૐ🌋ૐ 🌋ૐ 🌋ૐ 🌋ૐ 🌋ૐ
friends 🙏🌹

समाज का दोगलापन प्रारम्भ से ही रहा है! जब भगवान बुद्ध गृह त्याग कर ज्ञान प्राप्त कर लौटे तो समाज उन्हें "तथागत" कहता है ...
05/07/2025

समाज का दोगलापन प्रारम्भ से ही रहा है!
जब भगवान बुद्ध गृह त्याग कर ज्ञान प्राप्त कर लौटे तो समाज उन्हें "तथागत" कहता है lपरंतु जब सीता लौटती है तो यही समाज उन्हें संदेह की दृष्टि से क्यूँ देखता है !शुभ🤷🏻‍♂️प्रभात

‼️ या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता   नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः‼️      ‼️🚩जय मांँ लक्ष्मी🚩‼️*🌹🌹🌹✡️👣✡️...
04/07/2025

‼️ या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः‼️
‼️🚩जय मांँ लक्ष्मी🚩‼️*
🌹🌹🌹✡️👣✡️🌹🌹🌹

🍃🍁🍃🍁🍃🍁🍃
*༺꧁ ाता_दी꧂༻*
🙏 #शुभ_सवेरा🌹
🙏🏻आपका दिन मंगलमय हो🙏🏻

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03/07/2025

Oo(¯`•☆•´¯).`•.¸¸.☆•*´¯`.`•.¸¸.☆•*´¯`
┅━❀‼️🌋 🇮🇳 शुभ प्रभात भक्तों 🇮🇳🌋‼️❀━┅
‼💥🪔🇮🇳0⃣3⃣ जुलाई 2⃣0⃣2⃣5⃣ 🇮🇳 शुभ गुरुवार 🪔💥‼
🌹☀🌹 ृ_बृहस्पतये_नमः 🌹☀🌹
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करें....‼
🌹 ●*.¸.*✻ღϠ₡ღ¸.✻´´¯`✻.¸¸ღ¸.✻´´¯`✻●🌹🌾💐
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🌺🔔🌺❣ ૐ जय श्री हरि विष्णु जी ૐ ❣ 🌺🔔🌺
🌺🔔🌺❣ ૐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री महालक्ष्म्यै नमः ❣🌺🔔🌺
🙏🌹मधुर❣️नमन❣️वन्दन❣️
❣️अभिनंदन❣️सादर❣️प्रणाम🌹🙏
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
🌹☀🌹 विष्णु गायत्री मंत्र 🌹☀🌹
✤🙏┈┈┈••✦🙏✦••┈┈┈┈┈🙏✤
🌹 ૐ नारायण विधमहे ‼
🌹 वासुदेवाय धीमहि ‼
🌹 तन्नो विष्णु प्रचोदयात ‼
✤┈┈┈┈┈••✦✦••┈┈┈┈┈✤
🚩🚩🚩नमस्तस्यै नमस्तस्यै🚩🚩🚩
🚩🚩🚩नमस्तस्यै नमो नमः‼🚩🚩🚩🌹🌹🌹🌹🌹
‼❣ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ❣‼
🌺🌻🌷🍀🙏🏻🌺🌷🌻🍀
❣️‼❣️ मंगलमय दिन की बधाई एवं शुभकामनाएँ ❣️‼❣️
ૐ🌋ૐ 🌋ૐ 🌋ૐ 🌋ૐ 🌋ૐ

उदये सविता रक्तो रक्त: श्चास्तमये तथा।सम्पत्तौ च विपत्तौचमहतामेकरूपता॥भावार्थ -  जिस प्रकार  उदय होते समय सूर्य लाल होता...
03/07/2025

उदये सविता रक्तो रक्त: श्चास्तमये तथा।
सम्पत्तौ च विपत्तौचमहतामेकरूपता॥
भावार्थ - जिस प्रकार उदय होते समय सूर्य लाल होता है और अस्त होते समय भी लाल होता है, उसी प्रकार सुख और दुःख, सम्पत्ति और विपत्ति में जो एक समान रहते हैं, उन्ही को महापुरुष कहा जाता है ।🌞 *सु🤷🏻‍♂️प्रभात*🌅

🙏🌹वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:🌹🙏🌺निर्विघ्नं कुरू में देव सर्व कार्येषु सर्वदा🌺🙏     ╔══•✥✥🌹ॐ🌹✥✥•══╗       🌹•❀•श्री...
02/07/2025

🙏🌹वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:🌹
🙏🌺निर्विघ्नं कुरू में देव सर्व कार्येषु सर्वदा🌺🙏
╔══•✥✥🌹ॐ🌹✥✥•══╗
🌹•❀•श्री गणेशाय नमः•❀•🌹
╚══•✥✥🌹ॐ🌹✥✥•══╝

☀️💎 मंगलमय सुप्रभात💎☀️
🔱⚜️ऊँ गं गणपतये नमो नमः⚜️🔱

ऊँ श्री विध्नेश्वराय नमः
🚩🚩 एक दन्ताय च विद्महे वक्रतुण्डाय, 🚩 🚩
🙏🚩🚩धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात 🚩 🚩🙏

🌹ॐ🌹
🌹श्री गौरी सुताय नमो नमः🌹
🌺🌺जय श्री गणेश देवा🌺🌺
●▬▬ஜ۩ॐ۞ॐ۩ஜ▬▬●
🌸🙏●卐●卐●🙏🌸
🌹🙏🏻🌹_श्री_गणेश की कृपा आपके जीवन में सदैव प्रकाशमान रहे और आप पर सदैव कृपा बनाये रखे।.....🌹🙏🏻🌹

🌹*मुश्किल वक़्त का सबसे बड़ा सहारा है* उम्मीद*  *जो एक प्यारी सी मुस्कान देकर कानों में धीरे से कहती है*  *सब अच्छा होगा* ...
02/07/2025

🌹*मुश्किल वक़्त का सबसे बड़ा सहारा है* उम्मीद*
*जो एक प्यारी सी मुस्कान देकर कानों में धीरे से कहती है*
*सब अच्छा होगा* 🌹🌹*मंगल मयी सुप्रभात* 🌹

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