08/09/2025
“लहरों के पार भी खड़ी है उम्मीद”
बाढ़ और पंजाब की धरती
पंजाब—जहाँ मिट्टी में सोना उगता है,
जहाँ खेतों की हरियाली से पूरा भारत पलता है,
आज वही धरती बाढ़ के प्रकोप से कराह रही है।
नदियाँ उफ़ान पर हैं,
गाँव की गलियाँ बहते जल में विलीन हो गईं।
कभी छाँव देने वाले पेड़
अब जड़ों समेत गिर चुके हैं।
फसलें जो कल तक हरे सुनहरे सपनों-सी थीं,
आज कीचड़ में दबकर मौन हो गई हैं।
लोगों के घर, आँगन, पशु,
सपने और उम्मीदें
सब लहरों की गिरफ्त में हैं।
पर यह पंजाब है—
जिसने विभाजन का दर्द सहा,
आतंकवाद के साये में भी डटा रहा,
और हर बार राख से
नया जीवन खड़ा किया।
यहाँ की मिट्टी हिम्मत सिखाती है,
यहाँ का इतिहास उम्मीद जगाता है।
आज की बाढ़ चाहे कितनी भी गहरी हो,
कल का सूरज फिर उजाला बिखेरेगा।
किसानों के हाथों से
फिर हरियाली लौटेगी।
गुरुओं की अरदास
और लोक-शक्ति का विश्वास
इस धरती को फिर संवार देगा।
ਪੰਜਾਬ, ਪੰਜਾਬੀ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬੀਅਤ
ਜ਼ਿੰਦਾਬਾਦ