
06/08/2025
पिता की साइकिल ही स्कूल बस बन गई है — और पीछे रखी प्लास्टिक की क्रेट ही बच्चों की सीट। इस तस्वीर में दो मासूम बच्चे सफेद यूनिफॉर्म पहने बैठे हैं, और उनका पिता सड़कों पर पसीना बहाकर उन्हें स्कूल छोड़ने जा रहा है। यह कोई आम दृश्य नहीं, बल्कि एक गहरी कहानी है — संघर्ष, त्याग, और निस्वार्थ प्रेम की।
उस पिता के पास महंगी गाड़ी नहीं है, लेकिन अपने बच्चों को पढ़ाने का सपना ज़रूर है। वह जानता है कि शिक्षा ही एकमात्र रास्ता है जो उनके भविष्य को रोशन कर सकता है। इसलिए वो हर सुबह सूरज से पहले उठता है, साइकिल की क्रेट में बच्चों को बिठाता है, और मुस्कराते हुए उनके सपनों की ओर पैडल मारता है।
इस दृश्य में न कोई शिकायत है, न कोई शर्म — सिर्फ आत्मसम्मान है और बच्चों के लिए अटूट प्यार। यह तस्वीर बताती है कि एक पिता के लिए कोई भी मुश्किल मायने नहीं रखती जब बात उसके बच्चों के भविष्य की हो।
यह सिर्फ एक साइकिल नहीं, एक चलता-फिरता सपना है। उस क्रेट में बैठकर बच्चे नहीं, उम्मीदें सफर कर रही हैं। इस पिता को सलाम, जिसने कम साधनों में भी बड़ा सपना देखा और उसे जिया। ऐसे नायकों के लिए एक लाइक तो बनता है 💔🚲📚
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