11/02/2025
घन्ना भाई अब हमारे बीच नहीं रहे, यह हंसमुख चेहरा सदैव याद रहेगा, राज्य ने एक सच्चा कलाकार खो दिया,नमन श्रद्धांजली
हम उत्तराखंडी हैं इस पर हमसभी को गर्व है,घन्ना भाई एक मात्र जमाने के पुराने हास्य कलाकार थे जो हमेशा संस्कृति से जुड़े रहे इनके नाट्यों में पहाड़ी पन खूब झलकता था,पहाड़ी स्टाईल में हंसना बोलना इनकी पहचान थी एक अजीब सा अपनत्व दिखता था घन्ना भाई में जहां कहीं भी मिलते थे हंस कर बोलना इनकी पहचान थी,
एक सवाल जो करना बनता है,हमने कभी भी अपने कलाकारों को जमीन से जुड़े संघर्ष के नेताओं को या यूं कहें समाज के लिऐ लडने वालों को कभी जनप्रतिनिधि के रूप में कम ही स्वीकारा, भाई चुनाव लगे बैनर भी राष्ट्रीय था मगर पौड़ी की जनता ने नकार दिया, दोबारा अभाव में हिम्मत नहीं जुटा पाए घन्ना भाई, इसी तरह वीरचंद्र सिंह गढ़वाली जी का भी हाल रहा, धर्म सिंह रावत आई ए एस थे अपनों के बीच आए उन्हे भी नकार दिया, वैज्ञानिक डीडी पंत जी हो या इंद्रमणि बडोनी जैसे ही क्षेत्रीयता के लिऐ संघर्ष करने वालों का भी बुरा हाल किया,ऐसा क्यों हुआ आज तक समझ नहीं आया, क्या हम अपनों को देखना नहीं चाहते राजनीति में या हम पहले ही हार मान कर सरल रस्ते को चुनते है फिर लुटते हैं, जो जितना संस्कृति और राज्य का विरोधी साबित होता है कर्मों से,वह नेता बनता भी है और फलता फूलता भी हैं, देवभूमि में यह कैसे हो रहा है और क्यों हो रहा है इसपर रोक कैसे लगेगी यह चिंतनीय विषय है, डर है कहीं यह कौन लड़ना न भूल जाए नौकरी में अव्वल रहने वाले देशप्रेमी जनमानस को अपने राज्य में ही खतरा है ।
खैर घन्ना भाई आप याद सदा रहोगे, पुनः नमन श्रद्धांजली ।