16/07/2025
*_AIMIM को साथ लिए बिना महागठबंधन की जीत अधूरी ही नहीं, मुश्किल है – जानिए क्यों_*
1/
बिहार चुनाव 2025 नज़दीक है, और विपक्षी महागठबंधन को एक बड़ा फैसला लेना है:
AIMIM को शामिल किया जाए या नहीं?
डेटा और राजनीतिक सच्चाई कहती है — AIMIM को साथ लेना अब *मजबूरी नहीं, बल्कि ज़रूरी है।*👇
2/
2020 के चुनावों में AIMIM ने:
- 20 सीटों पर चुनाव लड़ा
- 5 सीटें जीतीं (सब सीमांचल से)
- कई सीटों पर 30% से ज़्यादा वोट मिले
- औसत वोट शेयर ~23% रहा
मतलब ये कोई दिखावे वाला चुनाव नहीं था, बल्कि AIMIM ने ये साफ दिखा दिया कि उनकी पकड़ ज़मीन पर मज़बूत है।
3/
सीमांचल में AIMIM की मज़बूत पकड़:
- ज़मीनी संगठन सक्रिय
- स्थानीय मुद्दों (बेरोज़गारी, सड़क, स्कूल) पर फोकस
- मुस्लिम, दलित, पिछड़े वर्गों के युवाओं में बढ़ती लोकप्रियता
4/
Seemanchal क्षेत्र (24+ सीटें) दशकों से विकास में पिछड़ा है।
RJD और कांग्रेस ने यहाँ "मुसलमानों के वोट" तो लिए, मगर *स्थानीय नेतृत्व नहीं खड़ा किया।*
AIMIM ने इस खालीपन को भरा, और यही कारण है कि वह आज एक *राजनीतिक ताक़त* के तौर पर उभरी है।
5/
AIMIM को ‘वोट-कटवा’ कहना सही नहीं है।
- जहां AIMIM जीती, वहाँ NDA हारी
- उसने BJP से सीधी टक्कर ली
- और मुस्लिम वोट को सिर्फ़ किसी एक पार्टी की जागीर नहीं, बल्कि एक मज़बूत आवाज़ बनाया
यह लोकतंत्र में एक स्वाभाविक उन्नति है।
6/
2020 का आंकड़ा बताता है:
- महागठबंधन [RJD + INC+CPI(ML)]: 35.75% वोट
- NDA: 34.85%
- AIMIM: 2-4%
अगर ये तीनों साथ आते हैं, तो कुल वोट ~40% से ज़्यादा हो सकता हैं और BJP को हराना बहुत आसान हो जाएगा।
7/
फिर क्या अड़चन है?
- पुरानी शिकायतें?
- नेतृत्व का अहंकार?
- सीमांचल को अब भी ‘साइलेंट ज़ोन’ रखना?
सवाल यही है, क्या विपक्ष BJP को हराने के लिए *राजनीतिक परिपक्वता* दिखाएगा या 2020 की ग़लती दोहराएगा?
8/
AIMIM गठबंधन के लिए तैयार है, यह वो खुद सार्वजनिक रूप से कह चुकी है।
RJD और INC की चुप्पी असहज सवाल खड़े कर रही है।
क्या BJP को हराना वाक़ई इनकी प्राथमिकता है या ज़मीन पर पकड़ रखने वाली AIMIM जैसी नई ताक़तों से डर लग रहा है?
9/
📌 निष्कर्ष:
अगर BJP को रोकना है, तो AIMIM को नज़रअंदाज़ करना *राजनीतिक आत्महत्या* होगी।
सीमांचल को अब सिर्फ़ भाषण नहीं, अपना आदमी चाहिए जो उनके हक़ की लड़ाई लड़े और उनकी आवाज़ बन सके।
#बिहारचुनाव2025
#राजनीतिकविश्लेषण