Satya Se Parichay सत्य से परिचय

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ये पेज हिंदू धर्म और संस्कृति के सत्य से आपका परिचय कराने के लिए है, यहां आपको हिन्दू धर्म और संस्कृति से संबंधित पोस्ट मिलेंगे। अतः follow जरूर करें ... धन्यवाद 🙏

🌺 अनंत चतुर्दशी 2025 🌺 इस वर्ष अनंत चतुर्दशी का पर्व 6 सितंबर 2025 को मनाया जाएगा। यह दिन भगवान गणेश के विसर्जन का अंतिम...
04/09/2025

🌺 अनंत चतुर्दशी 2025 🌺
इस वर्ष अनंत चतुर्दशी का पर्व 6 सितंबर 2025 को मनाया जाएगा। यह दिन भगवान गणेश के विसर्जन का अंतिम दिन होता है और साथ ही भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा का विशेष अवसर भी है।

🙏 पूजन मुहूर्त: शुभ समय सुबह 6:02 बजे से लेकर दोपहर 1:41 बजे तक रहेगा। इस दौरान गणेश जी का विसर्जन और अनंत भगवान की पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है।

🌊 गणेश विसर्जन: गणपति बप्पा को विदा करते समय “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ” की गूंज हर गली-मोहल्ले में सुनाई देगी। यह दिन श्रद्धा, भक्ति और भावनाओं से भरा होता है।

📿 अनंत पूजा विधि: अनंत सूत्र को 14 गांठों के साथ तैयार कर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। यह पूजा सुख-समृद्धि और संकटों से मुक्ति दिलाने वाली मानी जाती है।

💫 इस पावन दिन पर अपने घरों में पूजा करें, विसर्जन में भाग लें और अपने जीवन में अनंत शुभता का स्वागत करें।

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🌺 राधा रानी: श्रीकृष्ण के जीवन की आत्मा 🌺जब हम श्रीकृष्ण की लीलाओं, उनके प्रेम और उनके जीवन की बात करते हैं, तो राधा रान...
04/09/2025

🌺 राधा रानी: श्रीकृष्ण के जीवन की आत्मा 🌺
जब हम श्रीकृष्ण की लीलाओं, उनके प्रेम और उनके जीवन की बात करते हैं, तो राधा रानी का नाम स्वतः ही जुड़ जाता है। राधा केवल उनकी प्रेमिका नहीं, बल्कि उनकी आत्मा, उनकी चेतना और उनके हर भाव की अभिव्यक्ति हैं।

राधा जी का जीवन श्रीकृष्ण के साथ एक ऐसा दिव्य संवाद है, जिसमें प्रेम, त्याग, समर्पण और आध्यात्मिक ऊँचाई की पराकाष्ठा है। वे श्रीकृष्ण के जीवन की वह धारा हैं, जो उन्हें मानवता से जोड़ती है और उनके प्रेम को ब्रह्मांडीय बना देती है।

🔸 राधा का प्रेम स्वार्थ से परे है — वह केवल देने में विश्वास रखता है।
🔸 श्रीकृष्ण की हर लीला में राधा की उपस्थिति एक अदृश्य शक्ति की तरह है, जो उन्हें पूर्णता प्रदान करती है।
🔸 राधा रानी के बिना श्रीकृष्ण केवल "कृष्ण" हैं, लेकिन राधा के साथ वे "राधा-कृष्ण" बनते हैं — प्रेम का पूर्ण स्वरूप।

राधा अष्टमी के पावन अवसर पर आइए हम राधा जी के उस दिव्य प्रेम को समझें, जो केवल भावनाओं का नहीं, बल्कि आत्मा का संवाद है।

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🪔 कौन हैं वृंदावन के सात ठाकुर जी? जिनके दर्शन किए बिना अधूरी है यह धर्म यात्रा🪔 ये सात मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से म...
04/09/2025

🪔 कौन हैं वृंदावन के सात ठाकुर जी? जिनके दर्शन किए बिना अधूरी है यह धर्म यात्रा🪔
ये सात मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत भी बेहद खास है, तो आइए इनसे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं -

✅ वृंदावन के सात प्रमुख ठाकुर जी
🔱 श्री राधा-मदन मोहन जी - यह वृंदावन का सबसे प्राचीन मंदिर है। इसका निर्माण मुगल शासक अकबर के समय में हुआ था। यह मंदिर प्रेम और भक्ति का प्रतीक है और माना जाता है कि यहां दर्शन करने से जीवन में खुशियों का आगमन होता है।

🔱 श्री राधा-गोविंद देव जी - यह मंदिर जयपुर के राजा मान सिंह द्वारा बनवाया गया था। यह अपनी शानदार वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इस मंदिर के दर्शन मात्र से व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है।

🔱 श्री राधा-गोपीनाथ जी - इस मंदिर का निर्माण भी गोकुलनाथ जी द्वारा करवाया गया था। यह मंदिर प्रेम और भक्ति के गहरे संबंधों का प्रतीक है।

🔱 श्री राधा-दामोदर जी - इस मंदिर में श्री रूप गोस्वामी जी ने अपनी साधना की थी। इस मंदिर में भगवान कृष्ण के दामोदर स्वरूप की पूजा की जाती है। यहां दर्शन करने से भक्तों को आध्यात्मिक शांति मिलती है।

🔱 श्री राधा-गोकुलानंद जी - यह मंदिर श्री लोकनाथ गोस्वामी जी द्वारा स्थापित किया गया था। इस मंदिर में राधारानी के साथ गोकुलानंद जी के बाल रूप की पूजा होती है, जो भक्तों को वात्सल्य प्रेम का अनुभव कराती है।

🔱 श्री राधा-बांके बिहारी जी - यह वृंदावन का सबसे प्रसिद्ध और मुख्य मंदिर है। इस मंदिर में भगवान कृष्ण की तिरछी मुद्रा वाली मूर्ति स्थापित है, जिसे बांके बिहारी के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में दिन में केवल कुछ ही क्षणों के लिए पर्दा हटाया जाता है, जिसे 'झलक' कहते हैं, क्योंकि कहा जाता है कि भगवान की मोहक छवि से कोई भी मोहित हो सकता है।

🔱 राधारमण जी - यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां राधारानी का विग्रह नहीं, बल्कि उनके लिए एक सिंहासन रखा गया है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि राधारानी स्वयं राधारमण के साथ मंदिर में उपस्थित रहती हैं। यह वृंदावन के सात प्रमुख मंदिरों में से एक है और गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है।

🪔दर्शन का महत्व
इन सात मंदिरों के दर्शन करने से न केवल भगवान कृष्ण के विभिन्न स्वरूपों को जानने का मौका मिलता है, बल्कि मुरलीधर की विशेष कृपा मिलती है। इस पवित्र की हर मंदिर की अपनी एक अलग कहानी और महत्व है, जो आपकी यात्रा को और भी विशेष बना देता है। इन मंदिरों के दर्शन के बिना वृंदावन की यात्रा अधूरी है क्योंकि ये मंदिर इस पवित्र नगरी के हृदय और आत्मा हैं। ऐसे में अगर आप वृंदावन की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो इन सात प्रमुख ठाकुर जी के दर्शन जरूर करें।

🪔14 गांठों वाला अनंत सूत्र: धारण करने के लाभ🪔14 गांठों वाला अनंत सूत्र यह सिर्फ एक धागा नहीं, बल्कि हमारे जीवन में अनंत ...
04/09/2025

🪔14 गांठों वाला अनंत सूत्र: धारण करने के लाभ🪔
14 गांठों वाला अनंत सूत्र यह सिर्फ एक धागा नहीं, बल्कि हमारे जीवन में अनंत सुख, समृद्धि और रक्षा का प्रतीक है।

🔸 14 गांठों का रहस्य: हर गांठ भगवान विष्णु के एक रूप का प्रतीक है।
यह सूत्र हमें जीवन के हर मोड़ पर आध्यात्मिक शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।

🔸 धारण करने के नियम:
पुरुष इसे दाहिने हाथ में और महिलाएं बाएं हाथ में बांधें।
पूजा के बाद ही इसे धारण करें।
श्रद्धा और विश्वास के साथ मंत्रोच्चार करें।

🔸 लाभ:
पारिवारिक कलह से मुक्ति
आर्थिक संकटों का समाधान
मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति

इस अनंत सूत्र को धारण कर हम भगवान विष्णु से यह प्रार्थना करते हैं कि हमारे जीवन में कभी कोई दुख, संकट या बाधा न आए। यह दिन हमें याद दिलाता है कि आस्था और श्रद्धा से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है।

🙏 अनंत भगवान की कृपा सदा बनी रहे! 🙏

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🌳 पीपल की पूजा: जीवन में सुख-समृद्धि, रोगों से मुक्ति और पितृ दोष से राहत पाने का दिव्य उपाय! 🌳 सनातन धर्म में पीपल का व...
04/09/2025

🌳 पीपल की पूजा: जीवन में सुख-समृद्धि, रोगों से मुक्ति और पितृ दोष से राहत पाने का दिव्य उपाय! 🌳
सनातन धर्म में पीपल का वृक्ष केवल पर्यावरण का रक्षक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत भी है। ऐसा माना जाता है कि पीपल में त्रिदेव—ब्रह्मा, विष्णु और महेश—का वास होता है। इसकी पूजा करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

🪔 पीपल की पूजा विधि:
🔸 शनिवार या पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करें
🔸 पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करें
🔸 दीपक जलाएं—सरसों के तेल का दीपक विशेष फलदायी होता है
🔸 सात बार वृक्ष की परिक्रमा करें
🔸 “ॐ नमः भगवते वासुदेवाय” या “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें
🔸 पीपल के नीचे बैठकर ध्यान करें—यह मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति देता है

🌼 पीपल पूजा के लाभ:
✅ पितृ दोष से मुक्ति
✅ आर्थिक समस्याओं का समाधान
✅ रोगों से राहत और स्वास्थ्य में सुधार
✅ मानसिक तनाव से छुटकारा
✅ जीवन में स्थायित्व और समृद्धि

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भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में रोजाना करें ये काम, खूब बरसेगी सुख-समृद्धिइस तरह करें कान्हा जी की पूजाकई लोग अपने घरों में ...
04/09/2025

भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में रोजाना करें ये काम, खूब बरसेगी सुख-समृद्धि
इस तरह करें कान्हा जी की पूजा
कई लोग अपने घरों में कान्हा जी के बाल स्वरूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा-अर्चना करते हैं। अगर आपके घर में भी लड्डू गोपाल विराजमान हैं, तो सुबह स्नान आदि से निवृत होने के बाद लड्डू गोपाल को स्नान करवाना चाहिए। इसके बाद कान्हा जी को नए वस्त्र पहनाएं और उन्हें चंदन लगाएं। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में उन्हें फल, फूल, धूप, दीप, कुमकुम, अक्षत, हल्दी आदि अर्पित करें।
कान्हा जी के भोग में तुलसी दल भी जरूर शामिल करें। इसके साथ ही लड्डू गोपाल को स्नान-ध्यान कराने के बाद उनका श्रृंगार करें और उन्हें दर्पण दिखाएं। माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान श्रीकृष्ण बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। अंत में आरती करते हुए भगवान से सुख-समृद्धि की कामना करें।
जरूर करें ये काम
भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्ति के लिए निरंतर श्रीमद्भागवद्गीता का अध्ययन करना चाहिए। इससे न केवल श्रीकृष्ण की कृपा की प्राप्ति होती है, बल्कि भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षाओं को समझने में मदद मिलती है, जिससे आप अपने लिए सही मार्ग चुन सकते हैं। धर्म-अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले और सेवा भाव अपनाने वाले व्यक्ति पर भी सदा भगवान श्रीकृष्ण की कृपा बनी रहती है।
करें इन मंत्रों का जप -
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
ॐ कृष्णाय नमः
ॐ नमो भगवते श्री गोविन्दाय
ॐ देव्किनन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात
ओम क्लीम कृष्णाय नमः
गोकुल नाथाय नमः
ॐ श्री कृष्णः शरणं ममः
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे । हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।।
ॐ नमो भगवते तस्मै कृष्णाया कुण्ठमेधसे। सर्वव्याधि विनाशाय प्रभो माममृतं कृधि।।

🪔 वामन जयंती 2025 पूजन मुहूर्त🪔 भगवान विष्णु के पाँचवे अवतार — वामन रूप — की जयंती इस वर्ष 4 सितंबर 2025 को मनाई जाएगी। ...
03/09/2025

🪔 वामन जयंती 2025 पूजन मुहूर्त🪔
भगवान विष्णु के पाँचवे अवतार — वामन रूप — की जयंती इस वर्ष 4 सितंबर 2025 को मनाई जाएगी। यह दिन धर्म, दान और विनम्रता की शक्ति का प्रतीक है।

📿 पूजन मुहूर्त: सुबह 4:21 बजे से लेकर 8:38 बजे तक शुभ समय रहेगा। इस दौरान वामन भगवान की पूजा करने से जीवन में समृद्धि और शुभता आती है।

🌟 पूजन विधि और उपाय:
व्रत रखकर भगवान वामन की कथा सुनें
पीले वस्त्र पहनकर पूजा करें
चावल, दही और गुड़ का भोग लगाएं
जरूरतमंदों को अन्न और वस्त्र का दान करें
“ॐ वामनाय नमः” मंत्र का जाप करें

📖 यह दिन हमें सिखाता है कि विनम्रता से भी असुरों को पराजित किया जा सकता है। आइए इस पावन अवसर पर भगवान वामन का आशीर्वाद प्राप्त करें और अपने जीवन को धर्ममय बनाएं।

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🌺 महालक्ष्मी व्रत 16 दिनों तक मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का पावन अवसर 🌺हर वर्ष भाद्रपद मास में आने वाला महालक्ष्मी व्रत...
02/09/2025

🌺 महालक्ष्मी व्रत 16 दिनों तक मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का पावन अवसर 🌺
हर वर्ष भाद्रपद मास में आने वाला महालक्ष्मी व्रत 16 दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें श्रद्धालु मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए विशेष पूजा और व्रत करते हैं। यह व्रत विशेष रूप से धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति के लिए रखा जाता है।

🗓️ व्रत प्रारंभ तिथि: 31 अगस्त 2025 से महालक्ष्मी व्रत शुरू होगा।
🗓️ व्रत समापन तिथि: 14 सितंबर 2025 को इसका समापन होगा।

🕉️ शुभ मुहूर्त और पूजा विधि:
🔖व्रत के पहले दिन घट स्थापना करें और मां लक्ष्मी का आवाहन करें।
🔖प्रतिदिन मां लक्ष्मी की पूजा करें—धूप, दीप, पुष्प और नैवेद्य अर्पित करें।
🔖श्रीसूक्त, लक्ष्मी स्तोत्र और कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।
🔖व्रत के अंतिम दिन उद्यापन करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।

🌼 इस व्रत में मां लक्ष्मी के 16 स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिनमें सौभाग्य, ऐश्वर्य, कीर्ति, विजय और संतोष की प्राप्ति होती है।

💫 मान्यता है कि जो महिलाएं इस व्रत को श्रद्धा और नियमपूर्वक करती हैं, उनके घर में कभी धन की कमी नहीं होती और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

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🌺 शारदीय नवरात्रि 2025: जानिए मां दुर्गा किस सवारी पर आएंगी और इसका क्या है शुभ-अशुभ संकेत 🌺शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरु...
02/09/2025

🌺 शारदीय नवरात्रि 2025: जानिए मां दुर्गा किस सवारी पर आएंगी और इसका क्या है शुभ-अशुभ संकेत 🌺

शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत 22 सितंबर से होगी और समापन 1 अक्टूबर को होगा। इस बार मां दुर्गा की सवारी घोड़ा (हाथी नहीं) होगी, जो विशेष रूप से युद्ध, गति और परिवर्तन का प्रतीक माना जाता है।

🔮 मां दुर्गा की सवारी का महत्व:
यदि देवी हाथी पर आती हैं, तो यह वर्ष भर सुख-समृद्धि का संकेत होता है।
लेकिन यदि वे घोड़े पर आती हैं, तो यह समाज में उथल-पुथल, संघर्ष और बदलाव का संकेत देता है।

🗓️ नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है—शैलपुत्री से सिद्धिदात्री तक। हर दिन का अपना विशेष रंग, मंत्र और पूजा विधि होती है।

✨ इस नवरात्रि पर करें:
🌺माँ के प्रत्येक रूप की विधिवत पूजा
🌺व्रत और ध्यान से आत्मशुद्धि
🌺कन्या पूजन और दान

🙏 माँ दुर्गा की कृपा से जीवन में आएगा नया प्रकाश, शक्ति और संतुलन।

👶 इस वर्ष जितिया व्रत 2025 14 सितंबर 2025 (रविवार) : संतान की लंबी उम्र के लिए माताओं का संकल्प 👶जीवितपुत्रिका व्रत, जिस...
02/09/2025

👶 इस वर्ष जितिया व्रत 2025 14 सितंबर 2025 (रविवार) : संतान की लंबी उम्र के लिए माताओं का संकल्प 👶
जीवितपुत्रिका व्रत, जिसे आमतौर पर जितिया कहा जाता है, माताओं द्वारा अपने संतान की दीर्घायु, स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए रखा जाने वाला एक अत्यंत पवित्र व्रत है। यह व्रत विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

🗓️ व्रत की तिथि इस वर्ष जितिया व्रत 14 सितंबर 2025 (रविवार) को रखा जाएगा। व्रत का पारण 15 सितंबर 2025 (सोमवार) को किया जाएगा।

🕉️ शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:33 से 05:19
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:52 से 12:41
व्रत प्रारंभ का समय: 14 सितंबर को सुबह 5:00 बजे से
पारण का समय: 15 सितंबर को सुबह 6:00 बजे से

🙏 पूजा विधि और महत्व इस व्रत में माताएं निर्जला उपवास रखती हैं और राजा जीमूतवाहन की कथा सुनती हैं, जिन्होंने नागों से अपने प्राण देकर एक बच्चे की रक्षा की थी। पूजन में संतान की रक्षा के लिए जीमूतवाहन, सूर्य देव, नदी, और पक्षियों की पूजा की जाती है। व्रत के दौरान महिलाएं पारंपरिक गीत गाती हैं और संतान की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।

🌿 यह व्रत मातृत्व की शक्ति, त्याग और प्रेम का प्रतीक है। जो माताएं इस दिन सच्चे भाव से उपवास करती हैं, उन्हें संतान की रक्षा और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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🌸 शारदीय नवरात्रि 2025: तिथि, मुहूर्त और देवी आगमन का शुभ संकेत 🌸 🗓️ 22 सितंबर से 2 अक्टूबर तक 🚩 मां दुर्गा इस वर्ष हाथी...
02/09/2025

🌸 शारदीय नवरात्रि 2025: तिथि, मुहूर्त और देवी आगमन का शुभ संकेत 🌸
🗓️ 22 सितंबर से 2 अक्टूबर तक
🚩 मां दुर्गा इस वर्ष हाथी पर आएंगी—जो समृद्धि, शांति और वर्षा का प्रतीक है।

🔮 घट स्थापना (कलश स्थापना) मुहूर्त – 22 सितंबर 2025, सोमवार
🚩मुख्य मुहूर्त: सुबह 06:09 AM – 08:06 AM
🚩अभिजीत मुहूर्त: 11:49 AM – 12:38 PM
🚩वैकल्पिक शुभ मुहूर्त: 09:14 AM – 10:49 AM
🚩ब्रह्म मुहूर्त: 04:35 AM – 05:22 AM
🚩विजय मुहूर्त: 02:15 PM – 03:03 PM
🚩गोधूलि मुहूर्त: 06:18 PM – 06:41 PM
🚩निशीथ काल पूजा: 11:50 PM – 12:38 AM

🕉️ विशेष अनुष्ठान
🚩दुर्गा सप्तशती पाठ
🚩संधि पूजा (30 सितम्बर): 5:42 PM – 6:30 PM
🚩कन्या पूजन: 9:12 AM – 1:40 PM
🚩नवमी होम और ललिता व्रत: 1 अक्टूबर

🐘 मां दुर्गा का आगमन हाथी पर यह संकेत करता है कि वर्ष भर शांति, समृद्धि और अच्छी वर्षा होगी। यह अत्यंत शुभ माना जाता है।

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