17/09/2025
टी.सी.एस. कर्मचारियों को जबरन इस्तीफ़ा देने की घटना पर चिंतन
टी.सी.एस. के कर्मचारियों को “मजबूर” होकर इस्तीफ़ा देने की हालिया ख़बर ने एक बार फिर आधुनिक कार्यस्थल की कड़वी हक़ीक़त उजागर की है—तेज़ी से बदलते दौर में नौकरी की असुरक्षा। यह घटना भले ही सुर्खियों में आई हो, पर सच यह है कि ऐसे कदम केवल एक कंपनी तक सीमित नहीं हैं; यह कई संगठनों में, कभी खुले तौर पर तो कभी चुपचाप, हो रहा है।
एक नेतृत्व कोच के रूप में मैं इसे दो नज़रियों से देखता हूँ:
1. संगठनात्मक दृष्टिकोण
कंपनियाँ अक्सर ऐसे इस्तीफ़ों को “परफ़ॉर्मेंस मैनेजमेंट,” “कॉस्ट ऑप्टिमाइजेशन,” या “स्ट्रैटेजिक रियलाइन्मेंट” का नाम देती हैं। लेकिन नेताओं को रुककर सोचना होगा—क्या हम लोगों को केवल संसाधन मानकर इस्तेमाल कर रहे हैं या उन्हें मानव पूँजी मानकर संवार रहे हैं?
जब कर्मचारियों को अचानक बाहर का रास्ता दिखाया जाता है, तो भरोसा टूटता है—सिर्फ़ जाने वालों का नहीं, बल्कि बचे हुए लोगों का भी। और जब कार्यसंस्कृति में डर हावी हो जाता है, तो न रचनात्मकता पनपती है, न सहयोग, न उत्कृष्टता। महान संगठन लोगों को बदलने से नहीं, बल्कि उन पर निवेश करने से बनते हैं।
2. व्यक्तिगत दृष्टिकोण
कर्मचारियों के लिए यह एक चेतावनी है। काम की दुनिया तेज़ी से बदल रही है—ए.आई., ऑटोमेशन और बाज़ार में उतार-चढ़ाव “मूल्य” की परिभाषा बदल रहे हैं। असली नौकरी की सुरक्षा अब केवल कौशल की सुरक्षा है। जो लोग जीवनभर सीखने, अनुकूलन और सफलता की मानसिकता अपनाने को तैयार हैं, वे अवसर हर संकट में भी ढूँढ लेंगे। इसलिए इस तरह का मजबूरन निकास “अंत” नहीं, बल्कि एक “संक्रमण” है—अपने कौशल, उद्योग और यहाँ तक कि व्यक्तिगत जुनून को नए सिरे से जोड़ने का अवसर।
3. नेतृत्व की कसौटी
सच्चा नेतृत्व विस्तार के समय नहीं, बल्कि संकुचन के क्षणों में परखा जाता है। जब छँटनी या पुनर्गठन अपरिहार्य हो जाए, तो नेताओं का कर्तव्य है कि वे:
पारदर्शिता रखें—साफ़, ईमानदार और समय रहते संवाद करें।
गरिमा बनाएँ—लोगों को सम्मान के साथ विदा करें, अपमान के साथ नहीं।
सहयोग दें—कैरियर काउंसलिंग, नए कौशल सिखाने और बदलाव में मदद के रास्ते खोलें।
जो नेता इन परिस्थितियों को सहानुभूति के साथ संभालते हैं, उनकी प्रतिष्ठा तात्कालिक लाभ से कहीं आगे तक टिकती है।
अंतिम विचार:
टी.सी.एस. की घटना केवल एक कंपनी की कहानी नहीं है, बल्कि पूरे कॉर्पोरेट जगत के लिए एक दर्पण है। यदि संगठनों को भविष्य में सफल होना है, तो उन्हें कुशलता के साथ करुणा, लाभ के साथ उद्देश्य, और परफ़ॉर्मेंस के साथ लोगों की परवाह का संतुलन बनाना होगा। आखिरकार, व्यवसाय नहीं बढ़ते—लोग बढ़ते हैं, और वही व्यवसाय को बढ़ाते हैं।