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Radio Advertising Radio has very deep penitration. It's reaching equily to rural and urban listeners. Now Radio is more then radio like events, stage shows, on air promotion

25/06/2025
13/03/2025

changing minds

09/01/2025

भूख बढती गयी, इश्क थमता गया.
न वो रुकी न जिंदगी, वक्त में खुद ही मैं बहता गया

गुरु कही घूम लो गोवा चाहे बाली, लेकिन महादेव ही निकालेंगे इस मायाजाल से भटकाव से दूर रहे , पैदा करने वालो की सेवा करे , ...
07/01/2025

गुरु कही घूम लो गोवा चाहे बाली, लेकिन महादेव ही निकालेंगे इस मायाजाल से
भटकाव से दूर रहे , पैदा करने वालो की सेवा करे , महादेव कल्याण karenge
हर हर महादेव

OYO has revised its check-in rules, prohibiting unmarried couples from checking in at partner hotels in Meerut, Uttar Pr...
07/01/2025

OYO has revised its check-in rules, prohibiting unmarried couples from checking in at partner hotels in Meerut, Uttar Pradesh.

Couples must present valid proof of relationship, and hotels can accept or decline bookings based on local sensibilities.

The new rule will initially apply in Meerut, company may extend to more cities Radio Advertising

12/10/2024

🙏🙏 आप सभी को सपरिवार विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ🙏🙏

08/10/2024

गरबा और डांडिया, मां दुर्गा की पूजा के लिए किए जाने वाले नृत्य हैं. इनके पीछे धार्मिक महत्व है और इन्हें नवरात्रि के दौरान खेला जाता है:

गरबा: यह नृत्य मां दुर्गा की आरती से पहले किया जाता है. यह नृत्य ज्योत के पास एक गोले में किया जाता है, जो जीवन के गोल चक्र का प्रतीक है. गरबा शब्द संस्कृत के शब्द 'गर्भ' से लिया गया है. यह नृत्य नारीत्व का सम्मान करता है.

डांडिया: डांडिया नृत्य में पुरुष और महिलाएं लकड़ी की छड़ियों का इस्तेमाल करके एक-दूसरे के साथ खेलते हैं. यह नृत्य देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच हुए युद्ध को दर्शाता है. डांडिया में इस्तेमाल होने वाली रंगीन छड़ियों को मां दुर्गा की तलवार माना जाता है. इसलिए, इसे तलवार नृत्य भी कहा जाता है.
गरबा और डांडिया की उत्पत्ति गुजरात से हुई है. कहा जाता है कि पहले गुजरात में लोग महिषासुर राक्षस के आतंक से परेशान थे. तब देवताओं ने माता दुर्गा से मदद मांगी और देवी जगदंबा ने राक्षस का वध किया. इसके बाद से हर साल नवरात्रि का त्योहार मनाया जाने लगा

19/04/2024
17/04/2024

श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन, हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख, कर कंज पद कंजारुणं ॥
🙏 🚩🙏🏻 रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं🙏जय सियाराम 🙏 🚩🙏🏻

तेल का खेल... ये शब्‍द बीते दशकों में बेहद ही लोकप्रिय हुआ था, जिसका सीधे-शाब्‍दिक मायने खाड़ी देशों की पेट्रो पॉलिटिक्‍...
15/03/2024

तेल का खेल... ये शब्‍द बीते दशकों में बेहद ही लोकप्रिय हुआ था, जिसका सीधे-शाब्‍दिक मायने खाड़ी देशों की पेट्रो पॉलिटिक्‍स और डिप्‍लोमेसी थी, लेकिन बीते कुछ सालों में तेल का खेल अपनी परिभाषा बदलने में सफल रहा है. बीते दशक में तेल के खेल के सीधे-शाब्‍दिक मायने पॉम-सोयाबीन, कैनोला ऑयल पॉलिटिक्‍स और डिप्‍लोमेसी में बदलते हुए दिखाई दे रहे हैं. नतीजतन इंटरनेशन लेवल पर सरसों के हिस्‍से 'बदनामी' आई है. मसलन, इस वजह से अमेरिका-यूरोप में सरसों तेल पर बैन लगा है तो वहीं देश की खाद्य तेल इंपोर्ट पॉलिसी ने भारतीय सरसों किसानों को बैचेन किया है. आइए इस कड़ी में जानते हैं तेल के खेल की ये पूरी कहानी, जिसमें सरसों के हिस्‍से बदनामी आई है और भारतीय सरसों किसानों के हिस्‍से परेशानी आई हैं.

किस वजह से अमेरिका-यूरोप में सरसों तेल पर बैन
अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों में सरसों तेल के खाद्य प्रयोग पर बीते सालों में बैन लगाया है. असल में 1950 के दशक में किए गए एक शोध में सरसों के तेल में इरुसिक एसिड और ग्‍लूकोसाइनोलेट्स पाया गया था, जो इसके स्‍वाद में तेजी का प्रमुख गुण है. बीते कुछ सालों में हुए चूहों पर किए एक शोध में ये पाया गया है कि ये दोनों की तत्‍वों की अधिकता की वजह से चूहों में दिल की बीमारियां हो सकती हैं. हालांकि मुनष्‍य पर इसका क्‍या प्रभाव होगा, इस पर अभी स्‍पष्‍टता नहीं है, लेकिन अमेरिका के शीर्ष खाद्य संंस्‍थान FDA ने सरसों के तेल पर बैन लगा दिया है, जिसके तहत सरसों के तेल का त्‍वचा पर बाहरी प्रयोग तो किया जा सकता है, लेकिन सरसों तेल का प्रयोग खाद्य तेल के तौर पर प्रतिबंधित किया गया है. इसी तरह कनाड़ा समेत यूरोप के कई देशों में सरसों के तेल पर बैन लगाया गया है. हालांकि अभी कम इरुसिक एसिड वाले सरसों के बीज को मंंजूरी दिलाने के प्रयास जारी हैं.

सरसों के साथ साजिश की तरफ इशारा कर रही ये बातें
FDA की तरफ से सरसों के तेल पर बैन का फैसला कई तरह के सवाल खड़ा करती हैं, जिसमें कुछ बातें सरसों के साथ किसी साजिश का कर रही है. असल में अमेरिका समेत यूरोप के देशों में सरसों के तेल का प्रयोग कुकिंंग में नहीं किया जाता है,जबकि अमेरिका समेत यूरोपियन यूनियन के देशों की मुख्‍य फसल सरसों है और ना ही ये देश किसी देश से सरसों का इंपोर्ट करते हैं. मतलब, साफ है कि अमेरिका और यूरोप के देशों और निवासियों का सरसों के तेल से कोई संबंध नहीं है. ऐसे में सरसों के तेल पर बैन लगाने के फैसले की मंशा को शक की नजर से देखना लाजिमी बनता है.

पहले भी सरसों हुई है साजिश का शिकार
अमेरिका और यूरोप के देशों में सरसों के तेल पर बैन को लेकर किसान महापंचायत के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष रामपाल जाट कहते हैं कि ये पहली बार नहीं है कि जब भारत में सरसों किसी साजिश का शिकार हुई हो. जाट कहते हैं कि बीते दशकों में सरसों के प्रयोग से ड्राप्‍सी बीमारी होने का झूठ फैलाया गया. जिसके बाद सरसों तेल भारत में ही बदनाम हो गया. उसकी बिक्री पर विपरीत (ऑपरेशन ग्‍लोडन फ्लो की कहानी )असर पड़ा. इस वजह से कई सरसों मिलें बंद हुई, किसानों के कम दाम मिले और सरसों का रकबा कम हुआ. जाट कहते हैं कि 1985 तक भारत खाद्य तेलों के मामले में आत्‍मनिर्भर था. जाट आगे कहते हैं कि अमेरिका में सोयाबीन की खेती होती है और दुनियाभर में सोयाबीन के तेल की खपत बढ़ाने की नीतियां अमेरिका की रही हैं. अमेरिकी की नीतियां उनके उत्‍पादन के खपत के आधार पर बनती है.

सरसों की इस बदनामी पर चुप्‍पी तोड़ों 'सरकार'
सरसों अनुंसधान निदेशालय के डायरेक्‍टर डा पीके राय इस विषय पर कहते हैं कि सरसों तेल का प्रयोग भारत में प्राचीन समय से हो रहा है. उत्‍तर भारत से लेकर पूर्वोत्‍तर तक सरसों तेल का प्रयोग बड़ी मात्रा में करते हैं. पूर्व में हुई कई रिसर्च ये स्‍पष्‍ट कर चुकी हैं कि सरसों में कैंसर से लड़ने वाले गुण मौजूद हैं. वहीं मौजूदा वक्‍त में भारत अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए खाद्य तेल इंपोर्ट करता है. ऐसे में अगर अमेरिका और यूरोप की तरफ से सरसाें के तेल पर जो बैन लगाया गया है, उसका भारत के किसानों पर कुछ असर नहीं पड़ेगा, क्‍योंकि भारत से सरसों एक्‍सपोर्ट नहीं होता है, लेकिन जिस तरीके से अमेरिका और यूरोप में प्रयोग ना होने के बाद भी सरसों तेल के प्रयाेग पर बैन लगाया है. ऐसे में जरूरी है कि भारतीय कृषि वैज्ञानिक आगे आएं और सरसों के खिलाफ जो इंटरनेशल माहौल बनता हुआ दिख रहा है उसका खंडन करें.

भारत के लिए चिंता क्‍या है
भारत के कई राज्‍यों में पारंपरिक तौर पर सरसों तेल का प्रयोग खाना बनाने के लिए होता है, जिसे शुद्ध तेल के तौर पर रेखांकित किया जाता है. कोरोना काल के बाद सरसों के तेल ने एक बार विश्‍वसनीयता पाई है, लेकिन ग्‍लोबल होती दुनिया में जिस तरीके से भारतीय आम जन के बीच अमेरिकी स्‍टैंडर्ड की स्‍वीकार्यता बढ़ी है. अमेरिका की मुख्‍य तिलहनी फसल सोयाबीन ने अपनी पैठ बनाई है, उससे इस बात को नाकारा नहीं जा सकता है कि अमेरिका और यूरोप के देशों में लगाया गया सरसों तेल पर बैन आने वाले दिनों में आम भारतीय के मन में कई तरह के शक और सवालों को जन्‍म देगा. ऐसे में जरूरी है कि इस पर स्‍पष्‍टता के लिए कोशिशें की जाएं.

06/03/2024

Meenakshi Dutt inaugurated Meenakshi dutt makeovers Varanasi

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