सनातन धर्म और ज्योतिष

सनातन धर्म और ज्योतिष This page contains the articles about the spirituality. Also Vastu, Astrology and Numerology tips.

अगर आप अपने Horoscope & Loshu grid की analysis कराना चाहते हैं तो कृपया मेरे website के Contact us पेज के माध्यम से मुझसे जुड़ सकते हैं।

12/08/2025

घर में मृतक की फोटो लगाना सही या गलत? - परमहंस योगानंद का दृष्टिकोण

07/08/2025

रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त

04/08/2025

हर हर महादेव 🙏

महाभारत: क्यों हुई थी अर्जुन से भगवान शंकर की लड़ाई  #
04/08/2025

महाभारत: क्यों हुई थी अर्जुन से भगवान शंकर की लड़ाई
#

महाभारत: आखिर क्यों हुआ था शिवजी और अर्जुन के बीच युद्ध? | Paramhansa Yogananda Tag : ​ ​ ​ ​ ...

ओम् नमः शिवाय 🙏
24/07/2025

ओम् नमः शिवाय 🙏

सावन माह🌿 में पार्थिव शिवलिंग बनाकर करें पूजा🙏

शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक है, और इसकी स्थापना व पूजन से घर में सकारात्मक ऊर्जा और शुभ फल प्राप्त होते हैं। शिव महापुराण में पार्थिव शिवलिंग पूजन की महिमा बताई गई है।

जानें मिट्टी से शिवलिंग बनाने की विधि:

सावन के महीने में खासतौर पर सावन की शिवरात्रि पर मिट्टी का शिवलिंग बनाकर पूजन का विशेष महत्व है। इसे पार्थिव शिवलिंग भी कहा जाता है। पार्थिव शिवलिंग, मिट्टी से बना हुआ शिवलिंग होता है, जिसे भगवान शिव की पूजा के लिए बनाया जाता है।

इसके अनुसार, पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से धन, धान्य, आरोग्य और संतान की प्राप्ति होती है। शारीरिक-मानसिक क्लेश से मुक्ति मिलती है और अकाल मृत्यु का डर नहीं रहता है।

मान्यता है कि पार्थिव पूजन करने वाला दस हजार कल्प यानी करोड़ों साल तक स्वर्ग में रहता है। यह पार्थिव पूजन पुरुष और महिलाएं दोनों कर सकते हैं।

शिवपुराण में लिखा है कि पार्थिव पूजन सभी दुःखों को दूर करके सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है। प्रतिदिन पार्थिव पूजन करने वाले को इस लोक और परलोक में शिव भक्ति की प्राप्ति होती है।

पार्थिव शिवलिंग बनाने की विधि:

नदी-तालाब की मिट्टी में दूध, गाय के गोबर, चंदन, मक्खन और भस्म, पुष्प आदि मिलाकर उसका शोधन करें।

इसके बाद ओम नमः शिवाय मंत्र बोलते हुए मिट्टी से शिवलिंग बनाने की क्रिया शुरू करें।

इन सभी सामग्रियों को मिलाकर एक शिवलिंग का आकार दें। शिवलिंग को 2 अंगुल से अधिक ऊंचा नहीं होना चाहिए.

शिवलिंग को बनाने के बाद, गणेश जी, विष्णु भगवान, नवग्रह और माता पार्वती की पूजा करें.
अंत में, शिवलिंग का विधिवत पूजन और अभिषेक करें.

कलियुग में मोक्ष पाने के लिए और मनोकामनाओं की पूर्ति के पार्थिव शिवलिंग पूजन करना चाहिए।

कैसे करें पार्थिव पूजन:

प्रदोष काल का समय पार्थिव शिवलिंग पूजा के लिए शुभ होता है।

गणेश जी, विष्णु भगवान, नवग्रह और माता पार्वती का आह्वान करें।

ओम नम: शिवाय का जाप करते हुए शिवलिंग पर जल और पंचामृत चढ़ाएं।

इत्र, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करने के बाद आरती करें।

पुष्पांजलि के बाद भगवान से उनके स्थान पर जाने का निवेदन करें।

इसके बाद पार्थिव शिवलिंग को जल में विसर्जित कर दें।

पार्थिव शिवलिंग का विसर्जन:

पार्थिव शिवलिंग को पूजा के बाद, घर के गमले में या किसी पवित्र नदी में विसर्जित कर सकते हैं। मिट्टी से बना होने के कारण यह आसानी से विसर्जित हो जाता है।

पार्थिव शिवलिंग पूजन के लाभ:

पार्थिव शिवलिंग की पूजा से धन, धान्य, आरोग्य और पुत्र की प्राप्ति होती है

मानसिक और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है

अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है

सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं

सावन माह🌿 में पार्थिव शिवलिंग बनाकर करें पूजा🙏शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक है, और इसकी स्थापना व पूजन से घर में सकारात्मक...
24/07/2025

सावन माह🌿 में पार्थिव शिवलिंग बनाकर करें पूजा🙏

शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक है, और इसकी स्थापना व पूजन से घर में सकारात्मक ऊर्जा और शुभ फल प्राप्त होते हैं। शिव महापुराण में पार्थिव शिवलिंग पूजन की महिमा बताई गई है।

जानें मिट्टी से शिवलिंग बनाने की विधि:

सावन के महीने में खासतौर पर सावन की शिवरात्रि पर मिट्टी का शिवलिंग बनाकर पूजन का विशेष महत्व है। इसे पार्थिव शिवलिंग भी कहा जाता है। पार्थिव शिवलिंग, मिट्टी से बना हुआ शिवलिंग होता है, जिसे भगवान शिव की पूजा के लिए बनाया जाता है।

इसके अनुसार, पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से धन, धान्य, आरोग्य और संतान की प्राप्ति होती है। शारीरिक-मानसिक क्लेश से मुक्ति मिलती है और अकाल मृत्यु का डर नहीं रहता है।

मान्यता है कि पार्थिव पूजन करने वाला दस हजार कल्प यानी करोड़ों साल तक स्वर्ग में रहता है। यह पार्थिव पूजन पुरुष और महिलाएं दोनों कर सकते हैं।

शिवपुराण में लिखा है कि पार्थिव पूजन सभी दुःखों को दूर करके सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है। प्रतिदिन पार्थिव पूजन करने वाले को इस लोक और परलोक में शिव भक्ति की प्राप्ति होती है।

पार्थिव शिवलिंग बनाने की विधि:

नदी-तालाब की मिट्टी में दूध, गाय के गोबर, चंदन, मक्खन और भस्म, पुष्प आदि मिलाकर उसका शोधन करें।

इसके बाद ओम नमः शिवाय मंत्र बोलते हुए मिट्टी से शिवलिंग बनाने की क्रिया शुरू करें।

इन सभी सामग्रियों को मिलाकर एक शिवलिंग का आकार दें। शिवलिंग को 2 अंगुल से अधिक ऊंचा नहीं होना चाहिए.

शिवलिंग को बनाने के बाद, गणेश जी, विष्णु भगवान, नवग्रह और माता पार्वती की पूजा करें.
अंत में, शिवलिंग का विधिवत पूजन और अभिषेक करें.

कलियुग में मोक्ष पाने के लिए और मनोकामनाओं की पूर्ति के पार्थिव शिवलिंग पूजन करना चाहिए।

कैसे करें पार्थिव पूजन:

प्रदोष काल का समय पार्थिव शिवलिंग पूजा के लिए शुभ होता है।

गणेश जी, विष्णु भगवान, नवग्रह और माता पार्वती का आह्वान करें।

ओम नम: शिवाय का जाप करते हुए शिवलिंग पर जल और पंचामृत चढ़ाएं।

इत्र, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करने के बाद आरती करें।

पुष्पांजलि के बाद भगवान से उनके स्थान पर जाने का निवेदन करें।

इसके बाद पार्थिव शिवलिंग को जल में विसर्जित कर दें।

पार्थिव शिवलिंग का विसर्जन:

पार्थिव शिवलिंग को पूजा के बाद, घर के गमले में या किसी पवित्र नदी में विसर्जित कर सकते हैं। मिट्टी से बना होने के कारण यह आसानी से विसर्जित हो जाता है।

पार्थिव शिवलिंग पूजन के लाभ:

पार्थिव शिवलिंग की पूजा से धन, धान्य, आरोग्य और पुत्र की प्राप्ति होती है

मानसिक और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है

अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है

सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं

*श्री ओंकारेश्वर-श्री ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा**🌹〰🌹〰🌹〰🌹〰🌹〰🌹**यह ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश में पवित्र नर्मदा नदी के तट ...
22/07/2025

*श्री ओंकारेश्वर-श्री ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा*
*🌹〰🌹〰🌹〰🌹〰🌹〰🌹*

*यह ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश में पवित्र नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। इस स्थान पर नर्मदा के दो धाराओं में विभक्त हो जाने से बीच में एक टापू-सा बन गया है। इस टापू को मान्धाता-पर्वत या शिवपुरी कहते हैं। नदी की एक धारा इस पर्वत के उत्तर और दूसरी दक्षिण होकर बहती है।*

*दक्षिण वाली धारा ही मुख्य धारा मानी जाती है। इसी मान्धाता-पर्वत पर श्री ओंकारेश्वर-ज्योतिर्लिंग का मंदिर स्थित है। पूर्वकाल में महाराज मान्धाता ने इसी पर्वत पर अपनी तपस्या से भगवान्‌ शिव को प्रसन्न किया था। इसी से इस पर्वत को मान्धाता-पर्वत कहा जाने लगा।*

*इस ज्योतिर्लिंग-मंदिर के भीतर दो कोठरियों से होकर जाना पड़ता है। भीतर अँधेरा रहने के कारण यहां निरंतर प्रकाश जलता रहता है। ओंकारेश्वर लिंग मनुष्य निर्मित नहीं है। स्वयं प्रकृति ने इसका निर्माण किया है। इसके चारों ओर हमेशा जल भरा रहता है। संपूर्ण मान्धाता-पर्वत ही भगवान्‌ शिव का रूप माना जाता है। इसी कारण इसे शिवपुरी भी कहते हैं लोग भक्तिपूर्वक इसकी परिक्रमा करते हैं।*

*कार्त्तिकी पूर्णिमा के दिन यहां बहुत भारी मेला लगता है। यहां लोग भगवान्‌ शिवजी को चने की दाल चढ़ाते हैं रात्रि की शिव आरती का कार्यक्रम बड़ी भव्यता के साथ होता है। तीर्थयात्रियों को इसके दर्शन अवश्य करने चाहिए।*

*इस ओंकारेश्वर-ज्योतलिंग के दो स्वरूप हैं। एक को ममलेश्वर के नाम से जाना जाता है। यह नर्मदा के दक्षिण तट पर ओंकारेश्वर से थोड़ी दूर हटकर है पृथक होते हुए भी दोनों की गणना एक ही में की जाती है।*

*लिंग के दो स्वरूप होने की कथा पुराणों में इस प्रकार दी गई है- एक बार विन्ध्यपर्वत ने पार्थिव-अर्चना के साथ भगवान्‌ शिव की छः मास तक कठिन उपासना की। उनकी इस उपासना से प्रसन्न होकर भूतभावन शंकरजी वहां प्रकट हुए। उन्होंने विन्ध्य को उनके मनोवांछित वर प्रदान किए। विन्ध्याचल की इस वर-प्राप्ति के अवसर पर वहां बहुत से ऋषिगण और मुनि भी पधारे। उनकी प्रार्थना पर शिवजी ने अपने ओंकारेश्वर नामक लिंग के दो भाग किए। एक का नाम ओंकारेश्वर और दूसरे का अमलेश्वर पड़ा। दोनों लिंगों का स्थान और मंदिर पृथक्‌ होते भी दोनों की सत्ता और स्वरूप एक ही माना गया है।*

*शिवपुराण में इस ज्योतिर्लिंग की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है। श्री ओंकारेश्वर और श्री ममलेश्वर के दर्शन का पुण्य बताते हुए नर्मदा-स्नान के पावन फल का भी वर्णन किया गया है। प्रत्येक मनुष्य को इस क्षेत्र की यात्रा अवश्य ही करनी चाहिए। लौकिक-पारलौकिक दोनों प्रकार के उत्तम फलों की प्राप्ति भगवान्‌ ओंकारेश्वर की कृपा से सहज ही हो जाती है। अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष के सभी साधन उसके लिए सहज ही सुलभ हो जाते हैं। अंततः उसे लोकेश्वर महादेव भगवान्‌ शिव के परमधाम की प्राप्ति भी हो जाती है।*

*भगवान्‌ शिव तो भक्तों पर अकारण ही कृपा करने वाले हैं। फिर जो लोग यहां आकर उनके दर्शन करते हैं, उनके सौभाग्य के विषय में कहना ही क्या है? उनके लिए तो सभी प्रकार के उत्तम पुण्य-मार्ग सदा-सदा के लिए खुल जाते है।*

🙏🌹🌹〰🌹🌹🙏

जय हनुमान जी 🙏
15/07/2025

जय हनुमान जी 🙏

14/07/2025
07/07/2025

गुरुजी से इस महिला ने ये क्या बोल दिया 😲😱🤯...

06/07/2025

Address

Varanasi

Telephone

+919452137737

Website

https://www.youtube.com/c/jovialtalents

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when सनातन धर्म और ज्योतिष posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to सनातन धर्म और ज्योतिष:

Share