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                                            अविमुक्त-क्षेत्र
पार्वती जी कहती है
हे त्रिशूलीन् ! मोक्षलक्ष्मी जिसे कभी नहीं छोड़ती,
आपके उस अवमुक्त-क्षेत्र में जो पुण्य प्राणी केवल मनोयोग भर देता है, उसे सदैव षडंग योग का फल प्राप्त होता है। - काशी खण्ड:                                        
 
                                                                                                     
                                                                                                     
                                                                                                     
                                                                                                     
                                                                                                     
                                                                                                     
                                                                                                     
                                                                                                     
                                         
   
   
   
   
     
   
   
  