
03/11/2024
PE (Price to Earnings) Ratio किसी कंपनी के शेयर की कीमत और उसकी प्रति शेयर कमाई (EPS) के बीच का अनुपात है। इसे निम्नलिखित फॉर्मूले से निकाला जाता है:
\text{PE Ratio} = \frac{\text{शेयर की वर्तमान कीमत}}{\text{प्रति शेयर कमाई (EPS)}}
PE Ratio से यह समझने में मदद मिलती है कि निवेशक उस कंपनी में प्रति शेयर कमाई के आधार पर कितनी राशि निवेश करने के लिए तैयार हैं।
PE Ratio जितना ज्यादा होगा, इसका मतलब है कि निवेशक कंपनी के भविष्य के विकास को लेकर ज्यादा आशावान हैं, लेकिन साथ ही यह भी हो सकता है कि कंपनी के शेयर ओवरवैल्यूड हों।
बिलकुल, चलिए इसे एक आसान उदाहरण के साथ समझते हैं।
मान लीजिए एक कंपनी है, जिसका एक शेयर का दाम 100 रुपये है, और उस कंपनी की प्रति शेयर कमाई (EPS) 10 रुपये है।
P/E रेशियो निकालने का तरीका:
P/E रेशियो = शेयर की कीमत / प्रति शेयर कमाई (EPS)
= 100 रुपये / 10 रुपये
= 10
इसका मतलब है कि निवेशक उस कंपनी के हर 1 रुपये की कमाई के लिए 10 रुपये चुकाने को तैयार हैं।
P/E रेशियो का महत्व:
1. उच्च P/E रेशियो: अगर किसी कंपनी का P/E रेशियो ज़्यादा है (जैसे 20 या 30), तो इसका मतलब हो सकता है कि निवेशक उस कंपनी से भविष्य में अच्छे मुनाफे की उम्मीद कर रहे हैं। ऐसी कंपनियाँ अक्सर ग्रोथ कंपनियाँ होती हैं, जिनमें आगे चलकर बढ़ने की संभावना अधिक होती है।
2. कम P/E रेशियो: अगर P/E रेशियो कम है (जैसे 5 या 8), तो इसका मतलब हो सकता है कि या तो कंपनी की ग्रोथ कम होने का अनुमान है, या फिर वो शेयर अंडरवैल्यूड है यानी उसकी सही कीमत पर बाजार में उतना मूल्यांकन नहीं हो रहा है।
सार में, P/E रेशियो से यह समझने में मदद मिलती है कि निवेशक कंपनी की प्रति शेयर कमाई के मुकाबले कितनी कीमत लगाने को तैयार हैं और कंपनी की संभावनाओं पर उनका कितना भरोसा है।