Kashi dil se

Kashi dil se Varanasi live news, Varanasi news, Varanasi tourist places,
Varanasi , Banaras, Places to see

*आप सभी सावन मास  की हार्दिक शुभकामनाएं*🚩 भगवान शिव के "35" रहस्य सावन मास_विशेष 🔱🙏             ------------------------...
18/07/2025

*आप सभी सावन मास की हार्दिक शुभकामनाएं*
🚩 भगवान शिव के "35" रहस्य सावन मास_विशेष 🔱🙏
--------------------------🔱------------------------

🚩भगवान शिव अर्थात पार्वती के पति शंकर जिन्हें महादेव, भोलेनाथ, आदिनाथ आदि कहा जाता है।🙏🌷🔱

🔱1. आदिनाथ शिव : - सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें 'आदिदेव' भी कहा जाता है। 'आदि' का अर्थ प्रारंभ। आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम 'आदिश' भी है।

🔱2. शिव के अस्त्र-शस्त्र : - शिव का धनुष पिनाक, चक्र भवरेंदु और सुदर्शन, अस्त्र पाशुपतास्त्र और शस्त्र त्रिशूल है। उक्त सभी का उन्होंने ही निर्माण किया था।

🔱3. भगवान शिव का नाग : - शिव के गले में जो नाग लिपटा रहता है उसका नाम वासुकि है। वासुकि के बड़े भाई का नाम शेषनाग है।

🔱4. शिव की अर्द्धांगिनी : - शिव की पहली पत्नी सती ने ही अगले जन्म में पार्वती के रूप में जन्म लिया और वही उमा, उर्मि, काली कही गई हैं।

🔱5. शिव के पुत्र : - शिव के प्रमुख 6 पुत्र हैं- गणेश, कार्तिकेय, सुकेश, जलंधर, अयप्पा और भूमा। सभी के जन्म की कथा रोचक है।

🔱6. शिव के शिष्य : - शिव के 7 शिष्य हैं जिन्हें प्रारंभिक सप्तऋषि माना गया है। इन ऋषियों ने ही शिव के ज्ञान को संपूर्ण धरती पर प्रचारित किया जिसके चलते भिन्न-भिन्न धर्म और संस्कृतियों की उत्पत्ति हुई। शिव ने ही गुरु और शिष्य परंपरा की शुरुआत की थी। शिव के शिष्य हैं- बृहस्पति, विशालाक्ष, शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज इसके अलावा 8वें गौरशिरस मुनि भी थे।

🔱7. शिव के गण : - शिव के गणों में भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, जय और विजय प्रमुख हैं। इसके अलावा, पिशाच, दैत्य और नाग-नागिन, पशुओं को भी शिव का गण माना जाता है।

🔱8. शिव पंचायत : - भगवान सूर्य, गणपति, देवी, रुद्र और विष्णु ये शिव पंचायत कहलाते हैं।

🔱9. शिव के द्वारपाल : - नंदी, स्कंद, रिटी, वृषभ, भृंगी, गणेश, उमा-महेश्वर और महाकाल।

🔱10. शिव पार्षद : - जिस तरह जय और विजय विष्णु के पार्षद हैं उसी तरह बाण, रावण, चंड, नंदी, भृंगी आदि शिव के पार्षद हैं।

🔱11. सभी धर्मों का केंद्र शिव : - शिव की वेशभूषा ऐसी है कि प्रत्येक धर्म के लोग उनमें अपने प्रतीक ढूंढ सकते हैं। मुशरिक, यजीदी, साबिईन, सुबी, इब्राहीमी धर्मों में शिव के होने की छाप स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। शिव के शिष्यों से एक ऐसी परंपरा की शुरुआत हुई, जो आगे चलकर शैव, सिद्ध, नाथ, दिगंबर और सूफी संप्रदाय में वि‍भक्त हो गई।

🔱12. बौद्ध साहित्य के मर्मज्ञ अंतरराष्ट्रीय : - ख्यातिप्राप्त विद्वान प्रोफेसर उपासक का मानना है कि शंकर ने ही बुद्ध के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने पालि ग्रंथों में वर्णित 27 बुद्धों का उल्लेख करते हुए बताया कि इनमें बुद्ध के 3 नाम अतिप्राचीन हैं- तणंकर, शणंकर और मेघंकर।

🔱13. देवता और असुर दोनों के प्रिय शिव : - भगवान शिव को देवों के साथ असुर, दानव, राक्षस, पिशाच, गंधर्व, यक्ष आदि सभी पूजते हैं। वे रावण को भी वरदान देते हैं और राम को भी। उन्होंने भस्मासुर, शुक्राचार्य आदि कई असुरों को वरदान दिया था। शिव, सभी आदिवासी, वनवासी जाति, वर्ण, धर्म और समाज के सर्वोच्च देवता हैं।

🔱14. शिव चिह्न : - वनवासी से लेकर सभी साधारण व्‍यक्ति जिस चिह्न की पूजा कर सकें, उस पत्‍थर के ढेले, बटिया को शिव का चिह्न माना जाता है। इसके अलावा रुद्राक्ष और त्रिशूल को भी शिव का चिह्न माना गया है। कुछ लोग डमरू और अर्द्ध चन्द्र को भी शिव का चिह्न मानते हैं, हालांकि ज्यादातर लोग शिवलिंग अर्थात शिव की ज्योति का पूजन करते हैं।

🔱15. शिव की गुफा : - शिव ने भस्मासुर से बचने के लिए एक पहाड़ी में अपने त्रिशूल से एक गुफा बनाई और वे फिर उसी गुफा में छिप गए। वह गुफा जम्मू से 150 किलोमीटर दूर त्रिकूटा की पहाड़ियों पर है। दूसरी ओर भगवान शिव ने जहां पार्वती को अमृत ज्ञान दिया था वह गुफा 'अमरनाथ गुफा' के नाम से प्रसिद्ध है।

🔱16. शिव के पैरों के निशान : - श्रीपद- श्रीलंका में रतन द्वीप पहाड़ की चोटी पर स्थित श्रीपद नामक मंदिर में शिव के पैरों के निशान हैं। ये पदचिह्न 5 फुट 7 इंच लंबे और 2 फुट 6 इंच चौड़े हैं। इस स्थान को सिवानोलीपदम कहते हैं। कुछ लोग इसे आदम पीक कहते हैं।
रुद्र पद- तमिलनाडु के नागपट्टीनम जिले के थिरुवेंगडू क्षेत्र में श्रीस्वेदारण्येश्‍वर का मंदिर में शिव के पदचिह्न हैं जिसे 'रुद्र पदम' कहा जाता है। इसके अलावा थिरुवन्नामलाई में भी एक स्थान पर शिव के पदचिह्न हैं।
तेजपुर- असम के तेजपुर में ब्रह्मपुत्र नदी के पास स्थित रुद्रपद मंदिर में शिव के दाएं पैर का निशान है।
जागेश्वर- उत्तराखंड के अल्मोड़ा से 36 किलोमीटर दूर जागेश्वर मंदिर की पहाड़ी से लगभग साढ़े 4 किलोमीटर दूर जंगल में भीम के मंदिर के पास शिव के पदचिह्न हैं। पांडवों को दर्शन देने से बचने के लिए उन्होंने अपना एक पैर यहां और दूसरा कैलाश में रखा था।
रांची- झारखंड के रांची रेलवे स्टेशन से 7 किलोमीटर की दूरी पर 'रांची हिल' पर शिवजी के पैरों के निशान हैं। इस स्थान को 'पहाड़ी बाबा मंदिर' कहा जाता है।

🔱17. शिव के अवतार : - वीरभद्र, पिप्पलाद, नंदी, भैरव, महेश, अश्वत्थामा, शरभावतार, गृहपति, दुर्वासा, हनुमान, वृषभ, यतिनाथ, कृष्णदर्शन, अवधूत, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, किरात, सुनटनर्तक, ब्रह्मचारी, यक्ष, वैश्यानाथ, द्विजेश्वर, हंसरूप, द्विज, नतेश्वर आदि हुए हैं। वेदों में रुद्रों का जिक्र है। रुद्र 11 बताए जाते हैं- कपाली, पिंगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, आपिर्बुध्य, शंभू, चण्ड तथा भव।

🔱18. शिव का विरोधाभासिक परिवार : - शिवपुत्र कार्तिकेय का वाहन मयूर है, जबकि शिव के गले में वासुकि नाग है। स्वभाव से मयूर और नाग आपस में दुश्मन हैं। इधर गणपति का वाहन चूहा है, जबकि सांप मूषकभक्षी जीव है। पार्वती का वाहन शेर है, लेकिन शिवजी का वाहन तो नंदी बैल है। इस विरोधाभास या वैचारिक भिन्नता के बावजूद परिवार में एकता है।

🔱19. ति‍ब्बत स्थित कैलाश पर्वत पर उनका निवास है। जहां पर शिव विराजमान हैं उस पर्वत के ठीक नीचे पाताल लोक है जो भगवान विष्णु का स्थान है। शिव के आसन के ऊपर वायुमंडल के पार क्रमश: स्वर्ग लोक और फिर ब्रह्माजी का स्थान है।

🔱20.शिव भक्त : - ब्रह्मा, विष्णु और सभी देवी-देवताओं सहित भगवान राम और कृष्ण भी शिव भक्त है। हरिवंश पुराण के अनुसार, कैलास पर्वत पर कृष्ण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। भगवान राम ने रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना की थी।

🔱21.शिव ध्यान : - शिव की भक्ति हेतु शिव का ध्यान-पूजन किया जाता है। शिवलिंग को बिल्वपत्र चढ़ाकर शिवलिंग के समीप मंत्र जाप या ध्यान करने से मोक्ष का मार्ग पुष्ट होता है।

🔱22.शिव मंत्र : - दो ही शिव के मंत्र हैं पहला- ॐ नम: शिवाय। दूसरा महामृत्युंजय मंत्र- ॐ ह्रौं जू सः। ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जू ह्रौं ॐ ॥ है।

🔱23.शिव व्रत और त्योहार : - सोमवार, प्रदोष और श्रावण मास में शिव व्रत रखे जाते हैं। शिवरात्रि और महाशिवरात्रि शिव का प्रमुख पर्व त्योहार है।

🔱24.शिव प्रचारक : - भगवान शंकर की परंपरा को उनके शिष्यों बृहस्पति, विशालाक्ष (शिव), शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज, अगस्त्य मुनि, गौरशिरस मुनि, नंदी, कार्तिकेय, भैरवनाथ आदि ने आगे बढ़ाया। इसके अलावा वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, बाण, रावण, जय और विजय ने भी शैवपंथ का प्रचार किया। इस परंपरा में सबसे बड़ा नाम आदिगुरु भगवान दत्तात्रेय का आता है। दत्तात्रेय के बाद आदि शंकराचार्य, मत्स्येन्द्रनाथ और गुरु गुरुगोरखनाथ का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।

🔱25.शिव महिमा : - शिव ने कालकूट नामक विष पिया था जो अमृत मंथन के दौरान निकला था। शिव ने भस्मासुर जैसे कई असुरों को वरदान दिया था। शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था। शिव ने गणेश और राजा दक्ष के सिर को जोड़ दिया था। ब्रह्मा द्वारा छल किए जाने पर शिव ने ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया था।

🔱26.शैव परम्परा : - दसनामी, शाक्त, सिद्ध, दिगंबर, नाथ, लिंगायत, तमिल शैव, कालमुख शैव, कश्मीरी शैव, वीरशैव, नाग, लकुलीश, पाशुपत, कापालिक, कालदमन और महेश्वर सभी शैव परंपरा से हैं। चंद्रवंशी, सूर्यवंशी, अग्निवंशी और नागवंशी भी शिव की परंपरा से ही माने जाते हैं। भारत की असुर, रक्ष और आदिवासी जाति के आराध्य देव शिव ही हैं। शैव धर्म भारत के आदिवासियों का धर्म है।

🔱27.शिव के प्रमुख नाम : - शिव के वैसे तो अनेक नाम हैं जिनमें 108 नामों का उल्लेख पुराणों में मिलता है लेकिन यहां प्रचलित नाम जानें- महेश, नीलकंठ, महादेव, महाकाल, शंकर, पशुपतिनाथ, गंगाधर, नटराज, त्रिनेत्र, भोलेनाथ, आदिदेव, आदिनाथ, त्रियंबक, त्रिलोकेश, जटाशंकर, जगदीश, प्रलयंकर, विश्वनाथ, विश्वेश्वर, हर, शिवशंभु, भूतनाथ और रुद्र।

🔱28.अमरनाथ के अमृत वचन : - शिव ने अपनी अर्धांगिनी पार्वती को मोक्ष हेतु अमरनाथ की गुफा में जो ज्ञान दिया उस ज्ञान की आज अनेकानेक शाखाएं हो चली हैं। वह ज्ञानयोग और तंत्र के मूल सूत्रों में शामिल है। 'विज्ञान भैरव तंत्र' एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें भगवान शिव द्वारा पार्वती को बताए गए 112 ध्यान सूत्रों का संकलन है।

🔱29.शिव ग्रंथ : - वेद और उपनिषद सहित विज्ञान भैरव तंत्र, शिव पुराण और शिव संहिता में शिव की संपूर्ण शिक्षा और दीक्षा समाई हुई है। तंत्र के अनेक ग्रंथों में उनकी शिक्षा का विस्तार हुआ है।

🔱30.शिवलिंग : - वायु पुराण के अनुसार प्रलयकाल में समस्त सृष्टि जिसमें लीन हो जाती है और पुन: सृष्टिकाल में जिससे प्रकट होती है, उसे लिंग कहते हैं। इस प्रकार विश्व की संपूर्ण ऊर्जा ही लिंग की प्रतीक है। वस्तुत: यह संपूर्ण सृष्टि बिंदु-नाद स्वरूप है। बिंदु शक्ति है और नाद शिव। बिंदु अर्थात ऊर्जा और नाद अर्थात ध्वनि। यही दो संपूर्ण ब्रह्मांड का आधार है। इसी कारण प्रतीक स्वरूप शिवलिंग की पूजा-अर्चना है।

🔱31.बारह ज्योतिर्लिंग : - सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ॐकारेश्वर, वैद्यनाथ, भीमशंकर, रामेश्वर, नागेश्वर, विश्वनाथजी, त्र्यम्बकेश्वर, केदारनाथ, घृष्णेश्वर। ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति के संबंध में अनेकों मान्यताएं प्रचलित है। ज्योतिर्लिंग यानी 'व्यापक ब्रह्मात्मलिंग' जिसका अर्थ है 'व्यापक प्रकाश'। जो शिवलिंग के बारह खंड हैं। शिवपुराण के अनुसार ब्रह्म, माया, जीव, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी को ज्योतिर्लिंग या ज्योति पिंड कहा गया है।
दूसरी मान्यता अनुसार शिव पुराण के अनुसार प्राचीनकाल में आकाश से ज्‍योति पिंड पृथ्‍वी पर गिरे और उनसे थोड़ी देर के लिए प्रकाश फैल गया। इस तरह के अनेकों उल्का पिंड आकाश से धरती पर गिरे थे। भारत में गिरे अनेकों पिंडों में से प्रमुख बारह पिंड को ही ज्‍योतिर्लिंग में शामिल किया गया।

🔱32.शिव का दर्शन : - शिव के जीवन और दर्शन को जो लोग यथार्थ दृष्टि से देखते हैं वे सही बुद्धि वाले और यथार्थ को पकड़ने वाले शिवभक्त हैं, क्योंकि शिव का दर्शन कहता है कि यथार्थ में जियो, वर्तमान में जियो, अपनी चित्तवृत्तियों से लड़ो मत, उन्हें अजनबी बनकर देखो और कल्पना का भी यथार्थ के लिए उपयोग करो। आइंस्टीन से पूर्व शिव ने ही कहा था कि कल्पना ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
🔱33.शिव और शंकर : - शिव का नाम शंकर के साथ जोड़ा जाता है। लोग कहते हैं- शिव, शंकर, भोलेनाथ। इस तरह अनजाने ही कई लोग शिव और शंकर को एक ही सत्ता के दो नाम बताते हैं। असल में, दोनों की प्रतिमाएं अलग-अलग आकृति की हैं। शंकर को हमेशा तपस्वी रूप में दिखाया जाता है। कई जगह तो शंकर को शिवलिंग का ध्यान करते हुए दिखाया गया है। अत: शिव और शंकर दो अलग अलग सत्ताएं है। हालांकि शंकर को भी शिवरूप माना गया है। माना जाता है कि महेष (नंदी) और महाकाल भगवान शंकर के द्वारपाल हैं। रुद्र देवता शंकर की पंचायत के सदस्य हैं।

🔱34. देवों के देव महादेव :* देवताओं की दैत्यों से प्रतिस्पर्धा चलती रहती थी। ऐसे में जब भी देवताओं पर घोर संकट आता था तो वे सभी देवाधिदेव महादेव के पास जाते थे। दैत्यों, राक्षसों सहित देवताओं ने भी शिव को कई बार चुनौती दी, लेकिन वे सभी परास्त होकर शिव के समक्ष झुक गए इसीलिए शिव हैं देवों के देव महादेव। वे दैत्यों, दानवों और भूतों के भी प्रिय भगवान हैं। वे राम को भी वरदान देते हैं और रावण को भी।

🔱35. शिव हर काल में : - भगवान शिव ने हर काल में लोगों को दर्शन दिए हैं। राम के समय भी शिव थे। महाभारत काल में भी शिव थे और विक्रमादित्य के काल में भी शिव के दर्शन होने का उल्लेख मिलता है। भविष्य पुराण अनुसार राजा हर्षवर्धन को भी भगवान शिव ने दर्शन दिये थे।।

‼️।। *ॐ नमः शिवाय, हर हर महादेवजी, ओम उमा महेश्वर*।।‼️

#हरहरमहादेव

  by Varanasi - Kashi - Banaras
17/07/2025

by Varanasi - Kashi - Banaras

हरियाली श्रृंगार दर्शन बाबा काल भैरव ❣️🙌🏻महादेव 🙌
16/07/2025

हरियाली श्रृंगार दर्शन बाबा काल भैरव ❣️🙌🏻

महादेव 🙌


महादेव की प्रिय नगरी काशी में गंगा मईया डरावत है गुरु खतरे के निशान के पार कर जाइयन का गुरु 😢महादेव🙌
16/07/2025

महादेव की प्रिय नगरी काशी में गंगा मईया डरावत है गुरु
खतरे के निशान के पार कर जाइयन का गुरु 😢

महादेव🙌

ज़िंदगी है- कब क्या हो जाए, कोई नहीं जानता। इसलिए हर पल को प्यार, इंसानियत और समझदारी से जीना चाहिए। हम जब दूसरों के लिए...
15/07/2025

ज़िंदगी है- कब क्या हो जाए, कोई नहीं जानता। इसलिए हर पल को प्यार, इंसानियत और समझदारी से जीना चाहिए। हम जब दूसरों के लिए कुछ अच्छा करते हैं, तब असली सुकून मिलता है। इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है और प्रेम सबसे बड़ी ताकत। छोटे-छोटे अच्छे काम इस दुनिया को बेहतर बना सकते हैं। नफरत और गुस्से में जीवन बर्बाद मत करो, क्योंकि वक्त लौट कर नहीं आता। मुस्कुराओ, मदद करो और सबके साथ अच्छा व्यवहार करो। क्योंकि अंत में याद वही रहता है कि हमने कैसे जिया और दूसरों के दिलों को कितना छुआ। 🙏🏻🕉️ महादेव 🙌 कृपा करें।


हिंदी के सम्मान के साथ टेस्ला भारत के मैदान में भाषा एक दूसरे से अपने भाव को प्रकट करने का माध्यम है उसे थोपा नहीं जा सक...
15/07/2025

हिंदी के सम्मान के साथ
टेस्ला भारत के मैदान में

भाषा एक दूसरे से अपने भाव को प्रकट करने का माध्यम है उसे थोपा नहीं जा सकता , ये देश हर भारतीय का है और भारत की मातृभाषा हिंदी है और रहेगी तुम्हे बोलने में शर्म आ रही हो तो सीख लो भौ**डी के
और भाई मराठी मानुषों चूल खत्म हुई या थोड़ा नाश्ता और चाहिए 😡

महादेव 🙌

बनारस में अब वाहन पार्किंग की झंझट होगी खत्म, इन जगहों पर बनेंगे पार्किंग स्थल -शहरी क्षेत्र में पार्किंग समस्या के समाध...
15/07/2025

बनारस में अब वाहन पार्किंग की झंझट होगी खत्म, इन जगहों पर बनेंगे पार्किंग स्थल -
शहरी क्षेत्र में पार्किंग समस्या के समाधान के लिए वाराणसी विकास प्राधिकरण पार्किंग को लेकर एक अलग और बेहतर पहल कर रहा है. मैकेनाइज्ड पार्किंग को प्रोत्साहन देने के लिए एक अलग से प्लान तैयार किया गया है. इस तरह की पार्किंग व्यवस्था से कम जगह में ज्यादा गाड़ियों को खड़े करने की व्यवस्था तो उपलब्ध होगी ही साथ ही साथ लोगों को ज्यादा खर्च भी नहीं करना पड़ेगा. इस तरह की व्यवस्था को मेट्रो सिटीज के अलावा लखनऊ विकास प्राधिकरण की व्यवस्था को लागू किया, जिस पर अच्छा रिस्पांस भी मिला.

मैकेनाइज्ड पार्किंग से व्यवस्थित तरीके से मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के बाहर खाली स्पेस अस्पताल, शॉपिंग कांप्लेक्स और अन्य जगहों पर व्यवस्थित पार्किंग की व्यवस्था मिल सकेगी. वाराणसी में कोई भी बड़ी बिल्डिंग या कमर्शियल कंपलेक्स को बिना पार्किंग के प्लान को सबमिट किये निर्माण की अनुमति ही नहीं मिलेगी. तय सीमा पर उसे बिल्डिंग बनने से पहले ही तैयार करके दिखाना भी होगा.
वाराणसी विकास प्राधिकरण के वीसी पुलकित गर्ग ने बताया कि शहर में ट्रैफिक की वजह कहीं ना कहीं से पार्किंग की व्यवस्था उचित न होना माना जा सकता है. इसलिए मैकेनाइज्ड पार्किंग के निर्माण को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. यह व्यवस्था लखनऊ विकास प्राधिकरण की तर्ज पर लागू की जा रही है, जिससे शहरी क्षेत्र में पार्किंग की सुव्यवस्थित व्यवस्था सुनिश्चित हो सके. इस निर्णय के तहत मैकेनाइज्ड पार्किंग निर्माण के इच्छुक लोगों को लागत का 25% धनराशि सिक्योरिटी मनी के रूप में जमा करनी होगी. यदि निर्धारित अवधि में निर्माण कार्य पूरा नहीं किया जाता है, तो यह राशि जब्त कर ली जाएगी.

महादेव 🙌

पोस्ट साभार
ETV Bharat Uttar Pradesh

गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी के कारण वरुणा में पलट प्रवाह शुरू हाे चुका है। सोमवार को जलस्तर बढ़ने से शहर के निचले इलाकों ...
15/07/2025

गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी के कारण वरुणा में पलट प्रवाह शुरू हाे चुका है। सोमवार को जलस्तर बढ़ने से शहर के निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार गंगा का जलस्तर 68.04 मीटर है। बलिया, मिर्जापुर और गाजीपुर में गंगा का जलस्तर अब धीरे-धीरे चेतावनी बिंदु की ओर बढ़ रहा है।

महादेव 🙌

14/07/2025

Address

Varanasi

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Kashi dil se posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Share