14/04/2025
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90 के दशक में दूरदर्शन पर एक गीत आता था — 'पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों'। दरअसल, इसे सफ़दर हाशमी ने ही लिखी था।
1989 में, 34 वर्षीय राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ता सफ़दर हाशमी की हत्या उस समय कर दी गई थी, जब वे 'हल्ला बोल' नुक्कड़ नाटक का मंचन कर रहे थे। आज उनका जन्मदिन है। अपने नुक्कड़ नाटकों के ज़रिए वे न सिर्फ़ समाज के दबे-कुचले वर्ग की आवाज़ बने, बल्कि उन्होंने लोगों को अन्याय, शोषण और चुप्पी के ख़िलाफ़ बोलने की ताक़त भी