08/06/2024
पंचायत में प्रहलाद चचा का डायलॉग तो आप सबने सुना ही होगा, कि समय से पहले कोई नहीं जाएगा, मतलब कोई नहीं। इस एक डायलॉग ने बड़े बड़े पत्थर और जाने कितना सख़्त लड़के पिघला दिए। जानते हैं क्यों? समय से पहले माँ पिता या किसी अपने का जाना एकबार में ख़त्म होने वाली घटना नहीं होती!
किसी सिनेमा की तरह नहीं, कि बस क्लाइमैक्स में आँसू, भावनाओं का तूफान, मन का उफान सब आएगा और पिक्चर ख़त्म होते ही सब सामान्य हो जाएगा। असमय अपनों को खोना एकता कपूर के सीरियल जैसी बोझिल और सदी के अंत तक खिंचकर आपको तार तार कर देने वाली घटना होती है। जिसमे क्लाईमैक्स जैसा कुछ नहीं, बल्कि हर नए एपिसोड में नये तरीके से नई चुनौती की आहट होतीहै।
जब अपने जाते हैं, तो हम टूटते बिखरते है, कुछ सूझता समझता नहीं। हालांकि धीरे धीरे हम सामान्य भी होने लगते हैं। पर सबसे दिल दहलाने वाली बात ये है कि बीतते वक़्त के साथ समय समय पर, ज़िन्दगी इस कमी का एहसास दिलाती रहती है।
माँ पिता को खोकर जब आप ख़ुद माँ बाप बनते हैं, या अपने बच्चों का बचपन जीते हैं तो ये कमी आपके मन पर फिर दस्तक देती है। हर उस लम्हे की शक्ल में, जो आपके बचपन से निकलकर आपके बच्चो के बचपन में दोहराया जा रहा हो।
यही नहीं, अगर आपके आस पास भी किसी को उसी तकलीफ से गुज़रना पड़े तो अपने घाव जैसे फिर से हरे होने लगते है। किसी की रुख़सती से पीछे छूट गए मासूम चेहरों से चाहे जाना पहचान ना हो, पर एक अनदेखा दर्द का रिश्ता महसूस करते हैं आप!
कभी यूँ भी लगता है कि कैसे भी जाकर उन मायूस सी शक्लों और बेचैन से मन को सुकून दे सको। बाँहों में भरकर कह सको कि सब ठीक नहीं हो सकता। पता है, पर फिर भी एक दिन आदत हो जाएगी, दिल इतना मजबूत हो जायेगा कि अपनों की कमी महसूस कर के बिलखने की बजाय उनके साथ बिताये लम्हों को सोचकर मुस्कुरा उठेगा। हाँ उस मुस्कुराहट में नमी की कमी कभी नहीं होगी क्योंकि पलकें बारिश भले करना रोक दें, बूँदाबाँदी फिर भी हुआ करेगी एहसासों की!
इसलिए कहती हूँ, माँ पिता या अपनों का जाना एक कालजयी घटना है और शायद इसीलिए इस दस बारह शब्द के एक डायलॉग ने लाखों के मन में वो कसक पैदा कर दी, जो कई बार 3 घंटे की पिक्चर भी नहीं कर पाती!
आपके आस पास किसी ने अपनों को खोया हो तो चाहे तेरहवीं का भोज करने जाना या नहीं, पर कोशिश करना उन्हें अकेला महसूस ना हो। एक हाथ ज़रूर बढ़ाना, वो थामे या ना थामे, ये अलग बात है, पर आप अपने कदम पीछे मत लेना। खड़े रहना एक ऐसे मोड़ पर जहाँ अगर वो पलट के देखे तो भरोसा हो कि वो अकेले नहीं है।
फिर प्रहलाद चचा जैसी उनकी अमूल्य मुस्कुराहट एक ना एक दिन लौट आएगी!
बस इतना ही! ख़याल रखिये अपना!
महादेव!
#बनारसी_पण्डिताइन_की_क़लम_से
✍🏻 Harsh*ta Chaturvedi Hunar