11/10/2024
लव यू हान कंग, आप हमारे जैसी हो !
साहित्य की नोबेल विजेता हान कंग और 'द वेजिटेरियन'
- इस साल साहित्य का नोबेल पुरस्कार पूर्वी एशिया दक्षिण कोरिया की उपन्यासकार और कवयित्री हान कंग को मिला है। वे नोबेल पाने वाली अपने देश की पहली साहित्यकार हैं।
- सभी एशियाई लोग हमारे जैसे ही हैं - इमोशनल, पारिवारिक, पितृ सत्तात्मक, धार्मिक, आध्यात्मिक, अक्खड़, एक सीमा तक उजड्ड, अनघड़ !
- दक्षिण कोरिया ने भी अतीत में भारी हिंसा झेली है। जिस दशक में भारत का विभाजन हुआ, उसी दशक में कोरिया भी टूटा। हान कंग का बचपन ग्वांगजू में बीता, यह वह शहर है जहां 1980 में खूनी राजनीतिक दमन हुआ था, जिसे ग्वांगजू विद्रोह के नाम से जाना जाता है। इस विद्रोह और इसके बाद हुई हिंसा ने हान कंग को गहरे तक प्रभावित किया, और इसका प्रभाव उनके कई उपन्यासों में है।
- हान कंग ने अपनी गहन और मार्मिक लेखनी से साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। साहित्य में मानवीय संवेदनाओं, संघर्ष, हिंसा और जीवन की नाजुकता का अद्वितीय चित्रण है। उनके साहित्य ने न केवल कोरियाई समाज बल्कि वैश्विक स्तर पर भी पाठकों को गहराई से प्रभावित किया है। उनकी रचनाएं भारतीय समाज की होती हैं।
हान कंग के पिता हान सेउंग वोन भी एक प्रसिद्ध लेखक हैं, जिनसे हान ने साहित्यिक दृष्टिकोण और लेखन की प्रेरणा प्राप्त की। कविताएं लिखनी शुरू कीं, लेकिन बाद में उन्होंने गद्य लेखन की ओर ध्यान केंद्रित किया। हान कांग की पहली साहित्यिक रचना 1994 में प्रकाशित हुई थी, लेकिन उन्हें वैश्विक स्तर पर पहचान 'द वेजिटेरियन' से मिली।
यह उपन्यास 2007 में प्रकाशित हुआ और बाद में इसका अंग्रेजी अनुवाद 2015 में हुआ। इस उपन्यास ने 2016 में बुकर इंटरनेशनल प्राइज जीता, जिससे हान को वैश्विक ख्याति प्राप्त हुई।'द वेजिटेरियन' की कहानी एक महिला के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अचानक मांसाहार छोड़कर शाकाहारी जीवन शैली अपनाने का निर्णय लेती है। यह उपन्यास मानवीय शरीर, हिंसा और समाज की पितृसत्तात्मक संरचनाओं की गहन पड़ताल करता है। इसकी सजीव और जटिल कल्पनाशीलता पाठकों को स्तब्ध कर देती है।
हान कांग का लेखन उनके निजी जीवन के अनुभवों से गहरे रूप से जुड़ा हुआ है। एक दिलचस्प किस्सा यह है कि हान के उपन्यास 'द वेजिटेरियन' की कहानी एक छोटे से विचार से उपजी थी, जब वे 'पेटा' की प्रदर्शनी में गई थीं। वहां उन्होंने एक चित्र देखा, जिसमें एक महिला के शरीर के हिस्सों को पत्तियों से ढका हुआ था। इस चित्र ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया और उसने उन्हें 'द वेजिटेरियन' लिखने की प्रेरणा दी।
हान की रचनाओं में हिंसा और मानवीय संवेदनाओं का टकराव एक मुख्य विषय है। उनके साहित्य में जीवन और मृत्यु, हिंसा और करुणा, स्वतंत्रता और दमन के बीच की जटिलताएं प्रमुख रूप से दिखाई देती हैं। उनके लेखन का एक प्रमुख उद्देश्य यह है कि वह पाठकों को उन विषयों पर सोचने के लिए मजबूर करती हैं, जिन पर समाज अक्सर मौन रहता है।उदाहरण के लिए, 'द वेजिटेरियन' में मुख्य पात्र योंगहे का मांस छोड़ने का निर्णय न केवल एक व्यक्तिगत पसंद है, बल्कि उसके समाज और परिवार के प्रति विद्रोह का प्रतीक है।
इसी प्रकार 'ह्यूमन एक्ट्स' में उन्होंने दिखाया है कि किस प्रकार सरकारी दमन के दौरान एक युवक की हत्या न केवल उसके परिवार बल्कि पूरे समाज पर गहरा असर छोड़ती है।'द वेजिटेरियन' की कहानी दक्षिण कोरिया में एक साधारण महिला, योंगहे, के जीवन पर आधारित है, जो एक दिन मांस छोड़ने का निर्णय करती है। यह निर्णय उसके जीवन और परिवार में उथल-पुथल मचा देता है।
उपन्यास तीन हिस्सों में विभाजित है, और हर हिस्सा एक अलग दृष्टिकोण से योंगहे की कहानी को उजागर करता है। योंगहे के पति, उसकी बहन और बहनोई की नजरों से यह कहानी पाठकों के सामने आती है, जिससे योंगहे के व्यक्तित्व और उसके निर्णयों की जटिलता सामने आती है।
'ह्यूमन एक्ट्स' 1980 के ग्वांगजू विद्रोह की पृष्ठभूमि में लिखा उपन्यास है। वह उस समय के दर्दनाक दमन और उसकी छाप को व्यक्त करता है। इस किताब में उन्होंने व्यक्तिगत और सामूहिक स्मृतियों को साहित्यिक रूप से बेहद संवेदनशील ढंग से पेश किया है।
हान कंग एकांतप्रिय साहित्यकार है। बहुत ही कम बोलती हैं। हान कंग कविताएं भी लिखती हैं, और बहुत खूब लिखती हैं। उनकी कविताओं में भी वही संवेदनशीलता और गहराई है, जो उनके गद्य में है। यहां उनकी एक प्रसिद्ध कविता 'बियॉन्ड द क्रीक' का हिंदी अनुवाद प्रस्तुत है:
Beyond the Creek
Beyond the creek where no birds cry,
No wind blows, and no rain falls.
There lies a field where silence grows,
And shadow covers all.
अनुवाद
धारा के उस पार, जहां पक्षी नहीं गाते,
हवा नहीं बहती, और न बरसात होती है।
वहां एक मैदान है, जहां मौन उगता है,
और छाया हर चीज को ढक लेती है।
इस कविता में मौन और शांति की गहराई का अद्वितीय चित्रण है, जो हान के साहित्यिक दृष्टिकोण को भी दर्शाता है। उनके लिए मौन केवल एक स्थिति नहीं है, बल्कि एक अस्तित्व की अभिव्यक्ति है, जहां जीवन की नाजुकता और कठिनाइयां छिपी होती हैं।
लव यू हान कंग, आप बिलकुल हमारे जैसी हो।
-प्रकाश हिन्दुस्तानी 11 अक्टूबर, महानवमी 2024