Ankita Kumari

Ankita Kumari Ankita Kumari Unit of ReCall Media

21/07/2025

नौकर को दूध और मालकिन को केला चाहिए.

20/07/2025

पगार बड़ा दो साहब, केला लोगी।

20/07/2025

दूध - केला खाऊंगी. मोटी हो जाउंगी.

20/07/2025

आज गुफा लेके ही गया मकान मालिक.

mujhse kya lena chahoge, batao ..
19/07/2025

mujhse kya lena chahoge, batao ..

Kya loge..
19/07/2025

Kya loge..

19/07/2025

महिला चौकीदार के उतरे कपडे.

मुझसे क्या लेना चाहोगे, बताओ..
19/07/2025

मुझसे क्या लेना चाहोगे, बताओ..

रात का समय था। आसमान में बादल गरज रहे थे, और सड़कें सुनसान थीं। शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के बाहर एक बूढ़ा आदमी भी...
19/07/2025

रात का समय था। आसमान में बादल गरज रहे थे, और सड़कें सुनसान थीं। शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के बाहर एक बूढ़ा आदमी भीगी ज़मीन पर बैठा था। उसकी आंखें अस्पताल के गेट पर टिकी थीं, मानो किसी अपने की झलक का इंतज़ार कर रही हों। हाथ में फटी हुई चप्पल, बदन पर पुराना कुरता और माथे पर चिंता की गहरी लकीरें। ठंडी हवा में भी उसका पसीना नहीं रुक रहा था।

उसका बेटा, आशीष, एक एक्सीडेंट में बुरी तरह घायल हो गया था। उसे तुरंत ऑपरेशन की ज़रूरत थी, पर डॉक्टरों ने कहा—खर्चा ज़्यादा होगा, खून की ज़रूरत होगी, इंतज़ाम जल्दी करना होगा। रामनाथ, जो खुद अपनी दवा के लिए भी दूसरों की तरफ देखता था, अब बेटे की जान के लिए खुद को बेच देने को तैयार था।

वक़्त कुछ साल पीछे चला गया। वही आशीष, जो बचपन में अपने बाप से लिपटकर सोता था, वही आशीष जिसने बड़े होते ही बाप की गरीबी पर शर्म महसूस की थी। एक दिन गुस्से में बोला था, "आपने क्या किया ज़िंदगी में? न पैसा कमाया, न नाम। मैं जब बड़ा बनूंगा, तो किसी से झुककर नहीं मिलूंगा।" और फिर वो शहर चला गया। नौकरी मिली, पैसा आया, रिश्तेदारों के बीच रुतबा बना। लेकिन उस रुतबे की भी एक कीमत थी—अपने पिता को भूल जाना।

रामनाथ हर त्यौहार में आशीष का इंतज़ार करता, हर बार सोचता इस बार जरूर आएगा। मोहल्ले वालों को दिखाने के लिए मिठाई का डिब्बा लाकर रखता, लेकिन हर बार वो डिब्बा सूखा ही रह जाता। गांव के एक कोने में, वो बूढ़ा बाप अपने बेटे की कामयाबी का बस नाम सुनता रहा, पर चेहरा नहीं देख पाया।

और आज, जब मौत आशीष के दरवाज़े पर खड़ी थी, रामनाथ फिर वही कर रहा था—बिना कुछ मांगे, बिना कोई शिकायत किए, बस उसके लिए दौड़ रहा था। उसने डॉक्टर से कहा, "बेटा बचा लो... मेरी जान भी चाहिए तो ले लो, बस मेरा बेटा बच जाए।" और डॉक्टर ने खून लेकर ऑपरेशन शुरू करवा दिया।

कई घंटे बाद जब आशीष को होश आया, तो उसने सबसे पहले पूछा—"मेरे लिए कौन आया?" डॉक्टर ने मुस्कराते हुए कहा, "वो आया है, जिसे तुमने सालों से देखा नहीं, पर जिसने तुम्हें बिना देखे भी हर दिन याद किया। वो, जिसकी फोटो तुमने फ्रेम से हटा दी थी। वो, जिसे तुमने गरीब समझकर छोड़ा था… लेकिन आज उसी के खून से तुम्हारी जान बची है। तुम्हारा बाप।"

आशीष की आंखों से आंसू बह निकले। वो उठा, लेकिन रामनाथ अब भी वहीं बाहर बैठा था। जब आशीष उसके पास पहुंचा, तो रामनाथ ने धीरे से कहा, "अब तो पहचान लिया ना बेटा? चल, अब घर चलें।" आशीष कुछ बोल नहीं पाया, बस उसके पैरों में गिर पड़ा।

उस दिन आशीष ने जाना, दुनिया कितनी भी बड़ी क्यों न हो जाए, कामयाबी कितनी भी ऊंची क्यों न मिल जाए—अगर कोई बिना शर्त, बिना लालच, सिर्फ आपके लिए जीता है, तो वो मां-बाप होते हैं। और उन्हें भूल जाना सबसे बड़ी गरीबी होती है।

अगर आपको पसंद आई हो तो 1 Like जरूर दें।

19/07/2025

वह बहुत सीधा-सादा लड़का था — नाम था आर्यन। गाँव से शहर पढ़ने आया था। आँखों में सपने थे, दिल में सच्चाई और व्यवहार में वि...
19/07/2025

वह बहुत सीधा-सादा लड़का था — नाम था आर्यन। गाँव से शहर पढ़ने आया था। आँखों में सपने थे, दिल में सच्चाई और व्यवहार में विनम्रता। वह हर किसी पर विश्वास कर लेता था। कोई मदद माँगता तो बिना सोचे कर देता, कोई साथ बैठना चाहता तो जगह दे देता, कोई दोस्ती का हाथ बढ़ाता तो वह मन से पकड़ लेता।

शहर की दुनिया उसके लिए नई थी, लेकिन वह सोचता था — “लोग भले होंगे, जैसे हमारे गाँव में होते हैं। यहाँ भी दिल होंगे, बस चेहरे अलग होंगे।”

शुरुआत में सब कुछ अच्छा लगा। नए दोस्त मिले, जो हर दिन मुस्कराते, बातें करते, सेल्फी लेते, ज़िंदगी को रंगीन दिखाते। लेकिन एक दिन अचानक, सब बदल गया।

एक झूठी अफवाह फैली — कि आर्यन चोरी करता है।

उसने किसी का मोबाइल छूआ तक नहीं, लेकिन दोस्तों की मंडली ने बिना पूछे उसे दूर करना शुरू कर दिया। जिसने उसके साथ सबसे ज्यादा बातें की थीं, उसने उसे देखकर मुँह फेर लिया।

"जो सबसे ज़्यादा हँसकर मिला करते थे, आज ऐसे नज़रें चुराने लगे जैसे पहचानते ही न हों।"

आर्यन अकेला रह गया। उसने सबसे सफाई देने की कोशिश की, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था। जो लड़के दिनभर उसके साथ घूमते थे, अब सोशल मीडिया पर उसके ख़िलाफ़ जोक्स बना रहे थे।

एक दिन वह बेहद टूट चुका था। बैठा था एक खाली बेंच पर, और खुद से एक ही सवाल पूछ रहा था –
"क्या मैं इतना बुरा हूँ? या फिर दुनिया सच में इतनी नकली है?"

उसी वक्त एक बुज़ुर्ग आदमी पास आकर बैठा। उन्होंने उसका चेहरा देखा और पूछा, "बेटा, क्या हुआ?"

आर्यन ने सब बता दिया।

बुज़ुर्ग मुस्कराए और बोले —
"बेटा, इस दुनिया में हर मुस्कराता चेहरा अच्छा नहीं होता। लोग अपनी असलियत छुपाकर, चेहरे पर अच्छाई का मुखौटा पहनते हैं। ये वही लोग होते हैं जो सामने हँसते हैं, लेकिन पीछे वार करते हैं।"

"तू टूट मत। ये मत भूल कि जब सच्चाई अकेली पड़ जाती है, तभी वो सबसे ज्यादा मजबूत होती है।"

उनकी बातों ने आर्यन को एक नई सोच दी। उसने अब अकेले रहना सीखा, लेकिन खुद को कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया। वह पढ़ाई में और मेहनत करने लगा। दिन-रात की लगन से उसने टॉप किया। वही लोग जो उसे छोड़ गए थे, अब उसके पास आने लगे।

लेकिन इस बार, उसने मुस्कराकर बस इतना कहा –
“अब मैं चेहरे नहीं, दिल पहचानता हूँ। तुमने मुझे बहुत कुछ सिखाया है – किस पर भरोसा करना चाहिए और किस पर नहीं।”

संदेश (Message):

हर मुस्कुराता चेहरा सच्चा नहीं होता।

लोग दिखाते कुछ हैं, होते कुछ हैं – पहचान बनाने में नहीं, पहचानने में समय लगाओ।

दुनिया की सबसे बड़ी कला अब ‘फरेब’ बन चुकी है। इसलिए हर चमकती चीज़ को सोना न समझो।

जो तुम्हारे साथ सिर्फ अच्छे समय में हो, वह दोस्त नहीं – दर्शक होता है।

अगर आपको कहानी पसंद आई हो तो 1 👍♥️🙏Like जरूर दें।

19/07/2025

पेट दर्द हो रहा है लड़की का.

Address

Mumbai

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Ankita Kumari posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Ankita Kumari:

Share