25/12/2023
👉 21 दिसम्बर से 27 दिसम्बर तक इन्हीं 7 दिनों में गुरु गोविंद सिंह जी का पूरा परिवार शहीद हो गया था। उसी रात दादी मां गूजरी ने भी ठन्डे बुर्ज में प्राण त्याग दिए।
👉 पूस का 13वां दिन…. नवाब वजीर खां ने फिर पूछा…. बोलो इस्लाम कबूल करते हो ?
👉 6 साल के छोटे साहिबजादा फ़तेह सिंह ने नवाब से पूछा…. अगर मुसलमाँ हो गए तो फिर कभी नहीं मरेंगे न ?
👉 वजीर खां अवाक रह गया…. उसके मुँह से जवाब न फूटा तो साहिबजादे ने जवाब दिया
👉 कि जब मुसलमाँ हो के भी मरना ही है , तो अपने धर्म में ही अपने धर्म की खातिर क्यों न मरें ?
👉 दोनों साहिबजादों को ज़िंदा दीवार में चिनवाने का आदेश हुआ...🗡
👉 दीवार चिनी जाने लगी जब दीवार 6 वर्षीय फ़तेह सिंह की गर्दन तक आ गयी...
👉 8 वर्षीय जोरावर सिंह की आंखों में आंसू आ गए।
👉 फ़तेह सिंह ने पूछा, बड़े भाई आंखों में आंसू क्यों है ?
👉 जोरावर सिंह बोले, रो इसलिए रहा हूँ कि
👉 आया मैं पहले था पर कौम के लिए शहीद तू पहले हो रहा है……
👉 गुरु साहब का पूरा परिवार 6 पूस से 13 पूस… इस एक सप्ताह में कौम के लिए धर्म के लिए राष्ट्र के लिए शहीद हो गया ।
👉 दोनों बड़े साहिबजादों, अजीत सिंह और जुझार सिंह जी का शहीदी दिवस ! और स्पष्ट कर दूँ...पहले पंजाब में इस हफ्ते सब लोग ज़मीन पर सोते थे क्योंकि माता गूजरी ने 25 दिसम्बर की वो रात दोनों छोटे साहिबजादों के साथ नवाब वजीर ख़ाँ की गिरफ्त में सरहिन्द के किले में ठंडी बुर्ज़ में गुजारी थी 26 और 27 दिसम्बर को कचहरी में मुकदमे का नाटक कर के 28 दिसम्बर को दीवार में चुनवा कर दोनो बच्चे शहीद कर दिये गये थे । 28 तारीख को दादी मां ने भी अपने प्राण त्याग दिए।
👉 लेकिन, अंग्रेजों की देखा-देखी पगलाए हुए हम भारतीयों ने गुरु गोविंद सिंह जी की कुर्बानियों को सिर्फ 300 साल में भुला दिया । ये बड़े शर्म की बात है कि हमने अपने गौरवशाली इतिहास को भुला दिया, और यही मूल कारण है कि हम ग़ुलाम बने।
👉 कितनी जल्दी भुला दिया हमने इस शहादत को?
👉आइए, उन सभी महावीर बलिदानियों को याद करें जिनके कारण आज सनातन संस्कृति बची हुई है,…,
👉 यह सप्ताह भारत के इतिहास में 'शोक सप्ताह' होता है, शौर्य का सप्ताह होता है।
💫 क्रिसमस के समय शराब में डूबने और जश्न मनाने की बजाय, यह सप्ताह उन शहीदों को याद करते हुए बितायें..🙏