03/04/2025
आखिर क्या है ये वक्फ बोर्ड का मामला? आइए जानते हैं
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 (Waqf Amendment Bill, 2024) भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन को बेहतर करने के उद्देश्य से लाया गया एक विधेयक है। यह वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करने के लिए प्रस्तावित किया गया है, जो भारत में वक्फ संपत्तियों को नियंत्रित करता है। वक्फ संपत्ति वह होती है, जो इस्लामी कानून के तहत धार्मिक, पवित्र या परोपकारी उद्देश्यों के लिए समर्पित की जाती है। इस विधेयक को 8 अगस्त, 2024 को लोकसभा में पेश किया गया था और इसके बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया, जिसकी अध्यक्षता भाजपा सांसद जगदंबिका पाल कर रहे हैं। 2 अप्रैल, 2025 को यह विधेयक लोकसभा में पारित हो गया और अब यह राज्यसभा में विचार के लिए है।
वक्फ संशोधन विधेयक के मुख्य प्रावधान:
• वक्फ की परिभाषा में बदलाव: विधेयक में यह स्पष्ट किया गया है कि वक्फ केवल वही व्यक्ति बना सकता है, जो कम से कम पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा हो और संपत्ति का मालिक हो। पहले गैर-मुस्लिम भी वक्फ बना सकते थे, लेकिन अब यह प्रावधान हटा दिया गया है।
• वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम और महिलाओं की भागीदारी: वक्फ बोर्ड में कम से कम दो गैर-मुस्लिम सदस्यों और दो मुस्लिम महिलाओं को शामिल करना अनिवार्य किया गया है। यह समावेशिता और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए है।
• ‘वक्फ बाय यूजर’ का प्रावधान हटाया: पहले अगर कोई संपत्ति लंबे समय तक धार्मिक या परोपकारी कार्यों के लिए इस्तेमाल होती थी, तो उसे वक्फ माना जा सकता था, भले ही उसके पास औपचारिक दस्तावेज न हों। अब यह प्रावधान हटा दिया गया है, जिससे ऐसी संपत्तियों का भविष्य अनिश्चित हो सकता है। हालांकि, मौजूदा ‘वक्फ बाय यूजर’ संपत्तियों को मान्यता दी जाएगी, जब तक कि कोई विवाद न हो।
• जिला कलेक्टर की भूमिका: वक्फ संपत्तियों की जांच और सर्वे का अधिकार अब वक्फ बोर्ड से हटाकर जिला कलेक्टर या उनके द्वारा नामित अधिकारी को दिया गया है। अगर कोई संपत्ति सरकारी और वक्फ दोनों के दावे में हो, तो कलेक्टर का फैसला अंतिम होगा।
• केंद्र सरकार की बढ़ी शक्तियां: केंद्र सरकार को वक्फ पंजीकरण, ऑडिट और नियम बनाने का अधिकार दिया गया है। ऑडिट अब नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) या केंद्र द्वारा नियुक्त अधिकारी द्वारा किया जा सकता है।
• पंजीकरण अनिवार्य: सभी वक्फ संपत्तियों को एक केंद्रीय पोर्टल पर छह महीने के भीतर पंजीकृत करना होगा।
• अपील की व्यवस्था: वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसलों को 90 दिनों के भीतर हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है, जो पहले संभव नहीं था।
• नाम में बदलाव: वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर ‘यूनाइटेड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट, 1995’ (UWMEEDA) करने का प्रस्ताव है।
विधेयक का उद्देश्य:
सरकार का कहना है कि यह विधेयक वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता लाने के लिए है। इसके जरिए संपत्तियों के दुरुपयोग, अतिक्रमण और भ्रष्टाचार को रोकने की कोशिश की जा रही है। भारत में वक्फ बोर्ड के पास 8.7 लाख संपत्तियां हैं, जो 9.4 लाख एकड़ में फैली हैं और इनकी कीमत करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये है। यह भारतीय रेलवे और सशस्त्र बलों के बाद तीसरा सबसे बड़ा संपत्ति धारक है।
विवाद के कारण:
• मुस्लिम समुदाय का विरोध: कई मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों का मानना है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप करता है और संविधान के अनुच्छेद 26 (धार्मिक मामलों के प्रबंधन का अधिकार) का उल्लंघन करता है।
• गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति: वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने को लेकर आपत्ति है, क्योंकि इसे धार्मिक स्वायत्तता पर हमला माना जा रहा है।
• जिला कलेक्टर का अधिकार: वक्फ बोर्ड की शक्तियां कम करके कलेक्टर को निर्णायक बनाने से स्वायत्तता खत्म होने की आशंका जताई जा रही है।
• राजनीतिक आरोप: विपक्ष का कहना है कि यह विधेयक भाजपा की “मुस्लिम विरोधी” नीति का हिस्सा है और इसका मकसद अल्पसंख्यकों को कमजोर करना है।
वर्तमान स्थिति:
लोकसभा में 288 वोटों से पारित होने के बाद यह विधेयक अब राज्यसभा में है। अगर यह वहां भी पास हो जाता है, तो राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा। इस बीच, विपक्ष और मुस्लिम संगठन इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कर रहे हैं।
संक्षेप में: वक्फ संशोधन विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाने का दावा करता है, लेकिन इसके कुछ प्रावधानों ने व्यापक विवाद को जन्म दिया है।