Mystic of sanatana

Mystic of sanatana welcome to you on "Mystic of sanatana"
Here you guided by mystic,Yogi, shadguru

Peace ful mind
16/06/2024

Peace ful mind

Swaminarayan (IAST: Svāmīnārāyaṇa; 3 April 1781 – 1 June 1830), also known as Sahajanand Swami, was a yogi and ascetic believed by followers to be a manifest...

16/06/2024

Swaminarayan (IAST: Svāmīnārāyaṇa; 3 April 1781 – 1 June 1830), also known as Sahajanand Swami, was a yogi and ascetic believed by followers to be a manifest...

Try for peaceful mind
16/06/2024

Try for peaceful mind




Swaminarayan (IAST: Svāmīnārāyaṇa; 3 April 1781 – 1 June 1830), also known as Sahajanand Swami, was a yogi and ascetic believed by followers to be a manifest...

  sound       varni  of sanatana  soil  mind
16/06/2024

sound
varni
of sanatana
soil
mind

Swaminarayan (IAST: Svāmīnārāyaṇa; 3 April 1781 – 1 June 1830), also known as Sahajanand Swami, was a yogi and ascetic believed by followers to be a manifest...

मैंतुमसे एक झेन कथा कहूंगा। एक झेन भिक्षुजंगल में से गुजर रहा है। अचानक वह सजग हो जाता है कि एक शेर उसका पीछा कर रहा है,...
28/05/2024

मैं

तुमसे एक झेन कथा कहूंगा। एक झेन भिक्षु

जंगल में से गुजर रहा है। अचानक वह सजग हो जाता है कि एक शेर उसका पीछा कर रहा है, इसलिए वह भागना शुरू कर देता है। लेकिन उसका भागना भी झेन ढंग का है। वह जल्दी में नहीं है, वह पागल नहीं है। उसका भागना भी शांत है, लयबद्ध। वह इसमें रस ले रहा है। यह कहा जाता है कि भिक्षु ने अपने मन में सोचा,' अगर शेर इसका मजा ले रहा है तो मुझे क्यों नहीं लेना चाहिए? 'और शेर उसका पीछा कर रहा है। फिर वह ऊंची चट्टान के नजदीक पहुंचता है। शेर से बचने के लिए ही वह पेडू की डाली से लटक जाता है। फिर वह नीचे की ओर देखता है- एक सिंह घाटी में खड़ा हुआ है, उसकी प्रतीक्षा करता हुआ। फिर शेर वहां पहुंच जाता है, पहाड़ी की चोटी पर, और वह पेड़ के पास ही खड़ा हुआ है। भिक्षुबीच में लटक रहा है बस डाल को पकड़े हुए। नीचे घाटी में गहरे उतार पर सिंह उसकी प्रतीक्षा कर रहा है। भिक्षु हंस पड़ता है। फिर वह ऊपर देखता है। दो चूहे एक सफेद, एक काला, डाली ही कुतर रहे हैं। तब वह बहुत जोर से हंस देता है। वह कहता है, 'यह है जिंदगी। दिन और रात, सफेद और काले चूहे काट रहे हैं। और जहां मैं जाता हूं मौत प्रतीक्षा कर रही है। यह है जिंदगी।' और यह कहा जाता है कि भिक्षु को 'सतोरी'

उपलब्ध हो गयी-संबोधि की पहली झलक।

यह है जिंदगी! चिंता करने को कुछ है नहीं, चीजें इसी तरह है। जहां तुम जाते हो मृत्यु प्रतीक्षा कर रही है। और अगर तुम कहीं नहीं भी जाते तो दिन और रात तुम्हारा जीवन काट रहे हैं। इसलिए भिक्षु जोर से हंस पड़ता है। फिर वह चारों ओर देखता है, क्योंकि अब हर चीज निधग़रत है। अब कोई चिंता नहीं। जब मृत्यु निश्चित है तब चिंता क्या है? केवल अनिश्चितता में चिंता होती है। जब हर चीज निश्चित है, कोई चिंता नहीं होती है, अब मृत्यु नियति बन गयी है।

इसलिए वह चारों ओर देखता है यह जानने के लिए कि इन थोड़ी-सी आखिरी घडियों का आनंद कैसे उठाया जाये। उसे होश आता है कि डाल के बिलकुल निकट ही कुछ स्ट्राबेरीज हैं, तो वह कुछ स्ट्राबेरी तोड़ लेता है और उन्हें खा लेता है। वे उसके जीवन की सबसे बढ़िया स्ट्राबेरी हैं। वह उनका मजा

लेता है। और ऐसा कहा जाता है कि वह उस घडी में संबोधि

को उपलब्ध हो गया था। वह बुद्ध हो गया क्योंकि मृत्यु के इतना निकट होने पर भी वह कोई जल्दी में नहीं था। वह स्ट्राबेरी में रस ले सकता था। वह म

Fell it  #
28/05/2024

Fell it

#

28/05/2024

Address

Kathmandu

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Mystic of sanatana posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Mystic of sanatana:

Share