
17/07/2025
#लेखनीके_धार
िथिला में सावन मासकँ महत्व
(मिथिलाक सावन: हरियाली, भक्ति आ लोकगीतक रंग)
सावन मास हिन्दू पंचांगक अनुसार वर्षाक ऋतुक मध्य मास अछि। ई मास विशेष रूप सँ भगवान शिवक आराधना लेल प्रसिद्ध छै। मिथिला क्षेत्र में सावनक आगमन मात्र मौसमक परिवर्तन नहि, बल्कि लोकजीवन, संस्कृति आ आस्था मे एक नव ऊर्जा लाबैत अछि। हरियर धरती, पावसक मधुर बूँद, गाछ-बिरिछ पर नाचैत पपीहा, आ गाम-गाम में गूँजैत लोकगीत — ई सब मिलि कऽ सावन केँ एक अनुपम उत्सव बनबैत अछि।
🌿 #हरियाली के उल्लास
सावन मास में मिथिला पूर्ण रूपेण हरियारी में लिपटि जाइत अछि। खेत-खरिहान में धानक रोपनी चलैत अछि। किसानक हृदय खेत में रोपल बीया संग हरियाइत अछि। प्रकृति नव रंग में सजि जाइत अछि। गाछ-बिरिछ नव पत्ता सँ भरि उठैत अछि, जेना धरती माँ अपन नव लुग्गा में सजि कऽ शिवभक्ति में लिन भऽ गेल होए।
मिथिलाक खेतिहर जीवन में सावन विशेष महत्व रखैत अछि। ई समय धानक रोपनी लेल उचित मानल जाइत अछि, जे भविष्यक अन्नक आधार बनैत अछि। औरत सब झूमि-झूमि कऽ गाबैत अछि —
"रोपन भेलै धानक, सावन आयल बाबा,
हरियर धरती देखू, गाछ लहराएल बाबा…"
🕉️ #भक्ति आ #धार्मिक परंपरा
सावन मास शिवभक्ति सँ भरल रहैत अछि। मिथिला क्षेत्र में शिव मन्दिर सब विशेष रूप सँ सजाओल जाइत अछि। सोमवारी व्रत राखल जाइत अछि, खास कऽ कुमारी कन्या आ नव विवाहित महिलासभ ई व्रत क' अपन सौभाग्य लेल भगवान शिव सँ वरदान माँगैत छथि।
#काँवर यात्रा सेहो सावनक विशेष परंपरा छी। मिथिला में दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, जनकपुर आदिक प्रसिद्ध शिवस्थल पर काँवरि लोक जल लऽ कऽ पूजा करऽ अबैत छथि। ई यात्रा केवल एक धार्मिक कार्य नहि, बल्कि एक गहरी आध्यात्मिक अनुभूति होइत अछि।
"भोला बाबू के दरबार में, काँवरिया चलल गेलै,
गंगाजल सँ नहलै शिवजी, मंगल गीत बजलै..."
🎶 #लोकगीत आ #लोकनृत्यक सुगंध
सावन मास मिथिला में लोकसंस्कृति केँ नव जीवन दैत अछि। महिला सभ झूला पर बैसि कऽ "सावनी गीत" गबैत छथि। झूला झूलब एक सामाजिक परंपरा बनि गेल अछि। ई गीत प्रेम, विरह, शिव-पार्वती विवाह, हरियाली आ लोकजीवनक चित्रण करैत अछि।
"झूला झूलबै साँझ भऽ गेलै,
सावन आयल बाट जोहैय..."
एहेन गीत गाबैत, महिला आपस में अपन पीड़ा, सास-बहू संबंध, प्रेम, आ सुख-दुख बाँटैत छथि। मिथिलाक लोकगीतक समृद्ध परंपरा में सावन गीत एक विशेष स्थान रखैत अछि।
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👩🌾 #नारी #जीवन सँ जुड़ल सावन
सावन मास मिथिला के नारी जीवन में विशेष उल्लासक संग अबैत अछि। नव विवाहिता बेटी केँ ससुराल सँ माइके बजाओल जाइत अछि। एकरा "सावन बुलावा" कहल जाइत अछि। माय बेटी केँ स्वागत करैत छथि, सखी सभ संग सावनी गीत गबैत छथि।
"सावन में भिजवा देबऽ बाबा, मायके चलबै हम,
झूला झुलबऽ, गीत गाबऽ, सखियै सँग रहबै हम..."
सावन नारीक जीवन में प्रेम, उत्सव, आ अपनपन लाबैत अछि। सखी-सहेली संग खेल, हँसी-ठिठोली आ लोकगीतक वातावरण नारीक मनक दुखो केँ हरि लैत अछि।
🌧️ #प्रकृति संग एकात्मता
मिथिला क्षेत्रक लोकजीवन प्रकृतिक संग जुड़ल अछि। सावन मास में जलवृष्टि, हरियाली, नदी-नहरक बहाव सब जीवनक लय केँ बनबैत अछि। लोक लोकाचार सँ प्रकृति केँ धन्यवाद दैत अछि।
मिथिला में वर्षा आरम्भ होइतहि लोक कहैत अछि —
"आयल सावन झर-झर बरसे,
गोर गोर चिरई सब डरसे…"
प्रकृति, लोकजीवन आ धर्म — ई सब एक दोसर केँ पूरक बनैत अछि।
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🌼 #परंपरा आ नव पीढ़ी
आजुक डिजिटल युग में ई जरूरी अछि जे मिथिलाक नव पीढ़ी अपन परंपरा सँ जुड़ल रहय। सावन मासक गीत, भक्ति, हरियाली आ सांस्कृतिक उत्सव नव पीढ़ी केँ अपन जड़ सँ जोड़बाक माध्यम अछि। "अपन मिथिला" पेज #दहेज मुक्त मिथिला ) जेकाँ समुह प्लेटफॉर्म सब पर एहि उत्सव कें प्रचार क' युवा लोकनि केँ प्रेरित करबाक प्रयत्न होबऽ चाही।
#आखिर में
सावन मास मिथिला में केवल मौसम परिवर्तन नहि, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक आ धार्मिक जीवन में नव उर्जा भरैत अछि। ई मास हरियाली, भक्ति आ लोकगीतक अनुपम संगम छी। मिथिलावासी लेल ई एक पावन पर्वक रूप में अबैत अछि, जे प्रकृति, परंपरा आ प्रेम केँ एक सूत्र में बाँधैत अछि।
"सावन आयल, गीत बजल, मन हरसाएल, मिथिला में प्रकृति आ भक्ति मिलि गाओल…"
िथिला
#सावन_विशेष
#मिथिला_संस्कृत
✍️ Ashok Kumar Sahani ( अपन मिथिला ) पेज सञ्चालक सेहो अछि 🙏🏼