Gaon Wala

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09/19/2025

अम्मा बोली लव मैरिज वालों की ही शादी होगी 🫣😭😅

09/19/2025

अहा मजा आ गया 😍😍

Sandeep Sonu जी की आवाज में अलग ही आनंद है, ठेठ पहाड़ी शैली के गायक हैं ये।

कहते हैं अपनी जड़ों से जुड़ा इंसान हमेशा खास होता है। इसी बात को सच कर दिखाया है उत्तराखंड के सोमेश्वर घाटी के भूलगांव क...
09/19/2025

कहते हैं अपनी जड़ों से जुड़ा इंसान हमेशा खास होता है। इसी बात को सच कर दिखाया है उत्तराखंड के सोमेश्वर घाटी के भूलगांव की मंजू रावत ने, जिन्होंने हल्द्वानी में रहकर हमारी सांस्कृतिक धरोहर ऐपण कला को स्वरोज़गार का जरिया बनाया।

उत्तराखंड की पारंपरिक लोक कला ऐपण जिसे कभी लाल मिट्टी (गेरू) और चावल के घोल से घर-आंगन की चौखटों, पूजन स्थलों और पर्व-त्योहारों पर बनाया जाता था आज यही कला सीमाओं को पार कर घरों और बाजारों में अपनी खास जगह बना चुकी है।

समय की मांग को देखते हुए मंजू जी ने भी इस कला को आधुनिक रूप देते हुए इसे दीवारों, घर की सजावट और त्योहारों से जोड़ा है। उनके हाथों से बनी कृतियां परंपरा की खुशबू और आज के समय की खूबसूरती, दोनों को समेटे हुए हैं।

मंजू रावत द्वारा बनाए जाने वाले ऐपण आर्ट प्रोडक्ट्स कुछ इस प्रकार हैं -

🖼️ ऐपण वॉल हैंगिंग फ्रेम
🌙 करवा चौथ सेट
🙏 पूजा थाली
🌸 फ्लावर पॉट
🔑 की-चैन
🍵 ट्रे
🕰️ ऐपण हैंगिंग वॉल क्लॉक

जिन्हें ऑर्डर करने के लिए आप इस नंबर पर सम्पर्क कर सकते हैं 👉 8650014283

धन्यवाद 🙏 🌻

09/19/2025

अश्लील गीतों पर जमकर नाच रहे हैं पहाड़ी लोग, चाहे वो गांव की शादी को या हल्द्वानी देहरादून की... हर शादी पार्टी में अन्य राज्यों के अश्लील गीतों का बोलबाला है.. जिसने धीरे धीरे हमारे समाज और संस्कृति का ह्रास कर दिया है... आपका क्या कहना है ऐसे गानों पर ?

क्या आपको पहाड़ों के ऐसे घर अच्छे लगते हैं... मुझे तो बहुत पसंद हैं। लोकेशन - रिखे (दौलाघट)
09/18/2025

क्या आपको पहाड़ों के ऐसे घर अच्छे लगते हैं... मुझे तो बहुत पसंद हैं।

लोकेशन - रिखे (दौलाघट)

09/18/2025

उत्तराखंड के पहाड़ों में मछली पालन ऐसे करते हैं 🐟

सोमेश्वर घाटी के सुतोली-गोलना गांव के दिनेश उन चुनिंदा युवाओं में से हैं, जिन्होंने अपने पुरखों के पारंपरिक काम को न सिर...
09/18/2025

सोमेश्वर घाटी के सुतोली-गोलना गांव के दिनेश उन चुनिंदा युवाओं में से हैं, जिन्होंने अपने पुरखों के पारंपरिक काम को न सिर्फ ज़िंदा रखा, बल्कि उसे नया रास्ता भी दिया है।

आज पहाड़ों में बंदरों और सुवरो के प्रकोप से खेती लगातार छूट रही है और आधुनिक कृषि यंत्रों का बोलबाला बढ़ गया है। ऐसे में लोहारों की ज़रूरत और आजीविका पर संकट आ गया है, जिस कारण कई लोहारों ने यह काम छोड़ दिया और कई छोड़ने की सोच रहे हैं।

लेकिन दिनेश ने हार नहीं मानी। अपने छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने सोमेश्वर तल्ली बाजार में सड़क किनारे एक टिन शेड में अपना काम शुरू किया और नई पहचान बनाई। ये पिछले सात सालों से वहीं बैठकर न सिर्फ अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं, बल्कि उस परंपरा को भी जिंदा रखे हुए हैं जो कभी उत्तराखंड के पर्वतीय कृषि और लोक जीवन की रीढ़ हुआ करती थी।

दिनेश जैसे लोग हमें यह याद दिलाते हैं कि परंपरा सिर्फ अतीत नहीं होती और मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती! दिनेश जैसे लोगों को सलाम, जिन्होंने आग और हथौड़े की इस तपस्या से अपने और समाज के अस्तित्व को जिंदा रखा है।

दिनेश के ऊपर Gaon Wala की पोस्ट अच्छी लगी हो तो पोस्ट को शेयर करके संघर्ष की इस कहानी को आगे बढ़ाने में मदद करें।

धन्यवाद 🙏

09/17/2025

उत्तराखंड के किसान ऐसे करते हैं पहाड़ों में मछली पालन का कार्य। वीडियो में देखिए अल्मोड़ा जिले के भाट नयाल ज्युला गांव (हवालबाग ब्लॉक) के जयपाल नयाल जी कैसे मछली पालन कर रहे हैं और साथ ही गौ पालन से भी अच्छी आमदनी कमाते हैं।

ऐसे लोगों से पहाड़ी क्षेत्र के युवाओं को सीखना चाहिए जो छोटी मोटी नौकरियों के लिए उत्तराखंड से पलायन कर जाते हैं।

वीडियो पसंद आए तो एक शेयर अवश्य करना और इस तरह के कंटेंट के लिए Gaon Wala को फॉलो कर लेना।

धन्यवाद 🙏🌻

09/17/2025

इस दिवाली में ये एक अच्छा चांस है अगर आप 299 रुपए का रिस्क ले सकते हैं तो, 299 में स्कूटी से लेकर फ्रिज, वाशिंग मशीन, led टीवी, blootooth स्पीकर, ओवन, मिक्सर ग्राइंडर जैसे दस इनाम आप जीत सकते हैं... इसके अलावा भी जो कूपन खरीदेगा उसे कुछ न कुछ मिलेगा ही...

बाकी जानकारी आप आगे दिए नंबर से ले सकते हैं और इसी नंबर पर बात करके कहीं से भी अपने लिए कूपन खरीद सकते हैं 👉 7456943334 (अनिल राणा जी)

09/16/2025

आज गांव वाला के फेसबुक पर बीस हजार फॉलोवर जुड़ गए हैं, सभी लोगों का धन्यवाद करता हूँ। फेसबुक पर इतने कम समय में आपने मुझे इतना प्रेम दिया। मेरे पोस्ट चाहे वो वीडियो हों या मेरा लेखन आप उसे पढ़ते या देखते हैं इसके लिए शुक्रगुजार हूँ।

उत्तराखंड का ये कोरियोग्राफर जो कभी घर-घर जाकर डांस सिखाता था, आज बॉडीगार्ड लेकर चलता है!एक टाइम था जब उत्तराखंड के गाने...
09/16/2025

उत्तराखंड का ये कोरियोग्राफर जो कभी घर-घर जाकर डांस सिखाता था, आज बॉडीगार्ड लेकर चलता है!

एक टाइम था जब उत्तराखंड के गाने उत्तराखंड तक ही सीमित थे, लेकिन आज न सिर्फ गाने वर्ल्डवाइड हिट हो रहे हैं बल्कि गानों पर किया गया डांस स्टेप भी हिट हो रहा है... मैं समझता हूँ कई बार तो डांस स्टेप्स के चक्करों में गाना हिट हो जा रहा है और ऐसा संभव हुआ है नई पीढ़ी के पहाड़ी कोरियोग्राफर्स की बदौलत।

मगर दिक्कत ये है कि आज भी उत्तराखंड की म्यूजिक इंडस्ट्री में कोरियोग्राफी को बहुत अधिक महत्व नहीं दिया जाता, इसका कारण प्रोड्यूसर्स के पास लिमिटेड बजट का होना होता है, जिस कारण यहां कोरियोग्राफर का सर्वाइव करना अपने आप में चुनौती है। यही कारण है कि आज गिने चुने कोरियोग्राफर ही अपने हुनर की बदौलत ठीक-ठाक काम कर पा रहे हैं।

इन्हीं में से एक हैं अंकित कुमार जिनके डांस स्टेप्स ने बीते कुछ सालों में एक अलग छाप छोड़ी है और पहाड़ी गानों में आधुनिकता का छौंका लगाते हुए कुमाऊनी गीतों की क्वालिटी को उठाया है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि प्रवासी उत्तराखंडी युवा भी नए कुमाऊनी-गढ़वाली गीतों से जुड़ गया।

मगर अंकित कुमार की यहां तक पहुंचने की राह बिल्कुल भी आसान नहीं रही है। उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ के चौसाल गांव के एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे अंकित को अपने हुनर को आजमाने के लिए हमेशा आर्थिक दिक्कतों से जूझना पड़ा।

शिक्षा की बात करें तो इन्होंने बारहवीं की पढ़ाई राजकीय इंटर कॉलेज गरखा से की और ये स्कूल टॉपर भी रहे। इसके बाद ग्रेजुएशन इन्होंने अल्मोड़ा से किया। अल्मोड़ा रहते हुए इन्होंने मार्शल आर्ट ताइक्वांडो ज्वाइन किया और डांस से पहले इन्होंने इस क्षेत्र में अच्छा काम किया। आपको जानकर खुशी होगी कि ताइक्वांडो में अंकित ने राष्ट्रीय स्तर पर ब्लैक बेल्ट जीता, उत्तराखंड का नाम रोशन किया।

इसके बाद करीब चार-पाँच साल तक ताइक्वांडो में सक्रिय रहते हुए अंकित ने महिला सशक्तिकरण और आत्मरक्षा को बढ़ावा देने का काम किया तथा सरकारी विद्यालयों की छात्राओं को ताइक्वांडो का प्रशिक्षण दिया।

इसी बीच डांस में भी इनकी रुचि बढ़ी जिसे देखते हुए कॉलेज के दिनों में दोस्तों ने इन्हें इस फील्ड में आगे बढ़ने की सलाह दी। बतौर डांसर अंकित को पहला बड़ा मंचीय कार्यक्रम उत्तरायणी कौतिक (बागेश्वर) में मिला, जहाँ वे उत्तराखंड के चर्चित लोकगायक स्व. पप्पू कार्की जी के साथ बैकग्राउंड डांसर बने।

अंकित बताते हैं कि यही वो मंच था जहां पर उन्होंने पिथौरागढ़ के प्रसिद्ध डांसर विक्रम सिंह को देखा और उनसे प्रेरित होकर निश्चय किया कि वे भी अपनी प्रतिभा को बड़े स्तर पर पहुँचाएँगे। इसके बाद ये प्रॉपर डांसर बनने की प्रोसेस में घुस गए, बहुत मेहनत की, खर्चा चलाने के लिए घर-घर जाकर भी बच्चों को डांस सिखाया।

आज अंकित उत्तराखंड के अलावा हरियाणा फिल्म इंडस्ट्री, बॉलीवुड और पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री के कई एल्बमों में अपनी कोरियोग्राफी कर चुके हैं।

पूरी दुनिया में ट्रेंड करने वाले कुमाऊनी गीत "गुलाबी शरारा" ने बतौर कोरियोग्राफर इन्हें नई पहचान दी। उसके बाद इनके पास लगातार काम आया और ये एक से बढ़कर एक हिट्स देते गए।

अंकित कहते हैं कि "हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान है। अगर नशा करना ही है, तो कला का नशा करो। मेहनत करो, फल की चिंता मत करो।"

मुझे खुशी है कि महज 27 वर्ष की उम्र में अंकित एक अच्छे मुकाम पर हैं और मैं प्रार्थना करता हूँ कि भाई बहुत काम करें, उत्तराखंड ही नहीं बॉलीवुड में भी अपनी धाक जमाएं।

अंकित कुमार की कोरियोग्राफ़ी और Gaon Wala की यह पोस्ट आपको कैसा लगी कमेंट करके जरूर बताएं।

धन्यवाद 🙏

09/16/2025

पहाड़ों में ऐसे पाली जाती हैं मछलियां... अल्मोड़ा जिले के भाट नयाल ज्यूला गांव के नयाल जी ने अपने तालाबों से मछली निकालकर दिखाईं...

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