24/08/2024
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इंद्रजाल वशीकरण मंत्र
इंद्रजाल की भाषा सामान्य न होकर मुहावरे और संकेतों जैसी है जिसकी वजह से सामान्य इंसान इसे समझ नहीं पाता है. हालाँकि ये दावा किया जा रहा है की इंद्रजाल का हिंदी संस्करण भी 100 प्रतिशत शुद्ध है। लेकिन ये सत्य नहीं माना जा सकता है क्योंकी इसमें वो भाव और अर्थ निकलकर नहीं आ रहे हैं, जो आने चाहिए इसलिए अगर आपको सही इंद्रजाल का ज्ञान चाहिए तो आपको इसकी 1965 से पहले का संस्करण पढ़ना चाहिए क्योंकि समय के साथ-साथ इसको तोड़-मरोड़ कर छापने की वजह से इसका पहले की भाँति असर नहीं रहा है।
प्राचीनकाल में इस विद्या के कारण भी भारत की विश्व में पहचान थी। देश-विदेश से लोग यह विद्या सिखने आते थे। आज पश्चिम देशों में तरह-तरह की जादू-विद्या लोकप्रिय है तो इसके मूल में है भारत से लिया गया यह ज्ञान।
गुरु दत्तात्रे को भी इन्द्रजाल का जनक माना जाता है। चाणक्य ने अपने अर्थशास्त्र में एक बड़ा भाग इस विद्या पर लिखा है। सोमेश्वर के मानसोल्लास में भी इन्द्रजाल का उल्लेख मिलता है। उड़ीसा के राजा प्रताप रुद्रदेव ने श्कौतुक चिंतामणिश् नाम से एक ग्रंथ लिखा है जिसमें इसी तरह की विद्याओं के बारे में उल्लेख मिलता है। बाजार में कौतुक रत्नभांडागार, आसाम और बंगाल का जादू, मिस्र का जादू, यूनान का जादू नाम से कई किताबें मिल जाएगी, लेकिन ये सभी किताबें इन्द्रजाल से ही प्रेरित हैं।
इन्द्रजाल विद्या को चकमा देने की विद्या भी माना जाता है। आजकल की भाषा में इसे भ्रमजाल कह सकते हैं। खासकर अपने प्रतिद्वंद्वियों को कैसे भरमाया जाए और उनके इरादों को कैसे नीचा दिखाया जाए। इसके लिए जो उपाय किए जाते, वे इन्द्रजाल के उपाय कहे गए।
मेघान्धकार वृष्टयग्नि पर्वतादभुत दर्शनम।।
दूरस्थानानां च सैन्यानां दर्शनं ध्वजमालिनाम।।
च्छिन्नपाटितभिन्नानां संस्रुतानां प्रदर्शनम।
इतीन्द्रजालं द्विषतां भीत्यर्थमुपकल्पयेत।।
चाणक्य के अनुयायी कामन्दक ने राजनीति करने वालों और शासन में बैठने की इच्छा रखने वाले लोगों के बारे में कहा है कि लोगों को समूह में मूर्ख बनाना आसान काम नहीं है, वे बातों से नहीं मानते हैं, तर्क करते हैं और तार्किक जवाब दो तब भी वे आक्रमण करते हैं। ऐसे में क्यों न उनके लिए इन्द्रजाल का प्रयोग किया जाए
अतः कुछ ऐसे उपाय हों कि नेत्रों को भ्रम होने लगे, बिना कारण ही आसमान में बादल दिखाई दें, अंधकार छा जाए, आग की बारिश होने लगे। अचानक पहाड़ों पर अदभुत दिखाई देने लगे और दूर स्थानों पर बैठी सेनाओं के समूहों में भय व्याप्त हो जाए। लाखों ध्वजाएं उड़ती दिखाई देने लगे, जो सामने अच्छा भला हो, वह देखते ही देखते छिन्न-भिन्न लगने लगे और भी ऐसे उपाय जिनसे भयोत्पादन हो, इन्द्रजाल कहे जाते हैं।