
05/02/2022
पानीपत (अमित जैन)
नियमित दवाइयों का सेवन ही अस्थमा के प्रबंधन का एकमात्र उपाय : डॉ. इंदर मोहन
हर वर्ष 3 अप्रैल का दिन अस्थमा दिवस के रूप में मनाया जाता है। ताकि सभी को होने वाली इस बीमारी के प्रति जागरूक करके इसे खत्म किया जा सके।
विश्व अस्थमा दिवस के मौके पर मैक्स हॉस्पिटल शालीमार बाग के निर्देशक डॉ. इंदर मोहन चुघ ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि वैसे तो अस्थमा किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन इसका पहला लक्षण 5 साल तक के बच्चों की उम्र में अधिक होता हैं।
सामान्य बचपन के अस्थमा के लक्षण
1 बार-बार खाँसी जो आपके बच्चे को वायरल संक्रमण होने पर बिगड़ जाती है, तब होती है जब आपका बच्चा सो रहा होता है या व्यायाम या ठंडी हवा से ट्रिगर होता है।
2 सांस छोड़ते समय सीटी या घरघराहट की आवाज साँसों की कमी सीने में जकड़न या जकड़न
खेल के दौरान कम ऊर्जा, तेजी से साँस लेने।
सीने में जकड़न या "दर्द" की शिकायत आदि।
उन्होंने बताया कि अस्थमा की स्थिति से पूरी तरह निजात नहीं मिल सकती है। इस को समझते हुए इसका प्रभावी प्रबंधन ही जीवन की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाता है। मैं लोगों को आगाह करना चाहता हूं कि सही समय पर रोग की पहचान तथा नियमित दवाइयों का सेवन ही इस स्थिति के प्रबंधन का एकमात्र उपाय है।
अस्थमा गंभीर या हल्का हो सकता है, और लक्षणों और हमलों से बचने के लिए दवाएं रोजाना लेनी पड़ती हैं"
स्वस्थ जीवनशैली और खानपान का भी इस स्थिति पर काबू रखने में अहम भूमिका होती है। यदि किसी को डेयरी उत्पादों की एलर्जी है तो उसे दूध और अन्य डेयरी उत्पाद का सेवन नहीं करना चाहिए। दूध और अन्य डेयरी उत्पादों से हमें प्रोटीन, कैल्सियम और लैक्टोज मिलता है। यदि आपको सोया एलर्जी नहीं है तो आप दूध के बजाय सोया मिल्क का इस्तेमाल कर सकते हैं।
जैसे—जैसे हमारी उम्र बढ़ती है हमारे शरीर में स्वाभाविक रूप से एंजाइम कम होने लगता है और लैक्टोज बिगड़ने लगता है।संतुलित आहार पाने के लिए शाकाहारी भोजन अपनाने पर विचार करें, जिसमें भरपूर मात्रा में हरी पत्तेदार सब्जियां और ताजे फल शामिल हों। यह पेय विटामिन सी और ई, मैग्नीशियम, और ओमेगा -3 फैटी एसिड में समृद्ध है।"