19/06/2025
।।बरसात।।
आ गया बरसात का मौसम सुहाना।
हो रहा हर शख्स है इसका दिवाना।।
छा रही चारों दिशाओं में घटाएं।
झूम कर हैं आ रहीं ठंडी हवाएं।।
दादुरों का शोर सुनने को मिला है।
डाल पर है फूल मुस्काता खिला है।।
है प्रणय उन्मत्त आकुल को मिला सुख।
किन्तु प्रोषितभर्तृका के मन भरा दुख।।
वृक्ष सुख से झूमते लहरी लताएं।
मिल रहीं मनमीत से देतीं दुआएं।।
ले सलिल नदियां मचलतीं बढ़ रही हैं।
कूल पर निर्मित घरों पर चढ़ रही हैं।।
दृश्य है वीभत्स मन भी कांपता है।
दुर्दशा को झेल थककर हांफता है।।
हर समस्या के लिए सन्नद्ध हैं हम।
चित्त में संवेदना भी है नहीं कम।।
पं शैलेश कुमार शास्त्री
जमशेदपुर