
21/07/2024
ये अदम्य साहसी प्रचंड दुर्रानी नवाव कुक्कुरदीन है
पेट की बनावट👉 पका कटहल
पेट की गोलाई👉 पृथ्वी के परिधि जितनी
पसंदीदा भोजन👉 बकरी का चारा
प्रेमिका👉 बकरी खानम जहाँ
वजन 👉420 किलो💪💪
लंबाई👉 फोटो में ही देखकर लग रहा है बहुत होगी तो बैल के बच्चे जितनी
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अगर यूट्यूब वीडियो की माने तो इन्होंने अपने जीवन काल मे जो 93 लाख युद्ध लड़े है वो सारे के सारे विना हथियार के लड़े। नवाव कुक्कुरदीन अपनी 90 लाख मील लंबी बंदूक से एक साथ 9 आकाशगंगा और 93 करोड़ बह्मांड में एक साथ अचूक निशाना लगाने में माहिर थे।
बंदूक का प्रयोग ये तभी करते थे जब इनको ब्रह्माण्ड में किसी एलियन से युद्ध करना पड़ता था। भारत के राजाओं को तो ये अपनी मुट्ठी में दबोच लेते थे।
समस्त पृथ्वी पर इनके टक्कर का योद्धा और कोई नही था, एक इतिहासकार नींद में लिखते है कि एक बार इन्होंने भारत के समस्त योद्धाओ को एक साथ युद्ध करने के लिए ललकार दिया था, लेकिन सारे हिन्दू राजा इनसे भयभीत होकर जंगल मे जा छिपे।
एक बैलगाड़ी दो बैलों से सजी हमेसा तैयार रहते थे "परमाणु वेपन से लैस" युद्ध मे कूच के लिए। इन्होंने अपने परमाणु बम का परीक्षण अपने लेटरिंग के गड्ढे में गिराकर किया था जो पहली ही बार मे सफल रहा।
बैलगाड़ी की स्पीड जापान में बनी बूलेट ट्रेन से भी 2 करोड़ गुना ज्यादा थी।
जब कोई युद्ध के लिए इनको जाना पड़ता तो इनको बैलगाड़ी में लादने के लिये 25 क्रेन 99 जेसबी 5 हजार हाथी और 3 डायनासोर की जरुरत पड़ती थी।
जब ये बैलगाड़ी में लदकर अपने बैल को पूरी स्पीड में दौड़ाते थे जिससे इनका सरीर लोमड़ी के पूंछ की तरह लचकता था।
एक इतिहासकार तो ये भी मानते है कि इनको युद्ध नीति में चाणक्य और बिदुर से भी तेज माना था।
ये जिस भी युद्ध पर जाते थे तो रास्ते भर लेटरिंग करते हुए थे, जिससे पीछे से आ रहे दुश्मन के घोड़े हाथी और सैनिक फिसलकर गिर के चकनाचूर हो जाये। जिस रास्ते ये निकलते थे पर सुस्सू कर देते थे जिसे बड़े बड़े तालाब और गड्ढे बन जाते थे रास्ते मे, और उन गड्ढो को पार करने के चक्कर मे बड़े से बड़े सूरवीर हिन्दू राजा अपना सर पटक पटक हार मान लेते थे।
नवाव कुक्कुरदीन जैसे नवाव की आज हर देश को जरूरत है।💪💪
नमन है ऐसे महान नवाव को।🙏
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