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यह वही कन्हैया मित्तल है जो गाना गाए थे जो राम को लाए थे उनको लायेंगे,आज यह कन्हैया मित्तल का बीजेपी से मोहभंग हो गया और...
08/09/2024

यह वही कन्हैया मित्तल है जो गाना गाए थे जो राम को लाए थे उनको लायेंगे,आज यह कन्हैया मित्तल का बीजेपी से मोहभंग हो गया और कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर रहे हैं कहने का तात्पर्य यह है की आम जनता को धर्म के नाम पर बरगलाया जाता है इन नेताओं और इन गायकारों के द्वारा लेकिन इन लोगों का जो उद्देश्य होता है सत्ता पाना और सत्ता पाने के लिए आम जनता को किस हद तक यह लोग धर्म के नाम पर लड़ाते हैं अभी भी समय है आंखें खोलिए,कोई भी धर्म खतरे में नहीं होता है खतरे में होता है ऐसे लोगों की सत्ता और कुर्सी अतः बेवकूफी वाला काम मत करिए और जो धर्म के नाम पर जो पार्टी बेवकूफ बना रही है उस पार्टी का असली उद्देश्य सत्ता में रहना होता है.

Happy New Year 2024.आप सभी लोगों को नये साल की बहुत बहुत शुभकामनायें 😊🎉Rainbow Foundation & Rainbow coaching Institute, ...
31/12/2023

Happy New Year 2024.
आप सभी लोगों को नये साल की बहुत बहुत शुभकामनायें 😊🎉
Rainbow Foundation & Rainbow coaching Institute,

It's my birthday today 🥰🎂🎉🎁🥰🎂🎉🎁Rainbow Foundation
25/12/2023

It's my birthday today 🥰🎂🎉🎁🥰🎂🎉🎁

Rainbow Foundation

29/07/2023

#मणिपुर

 🐘 An elephant and 🐕 a dog became pregnant at same time. Three months down the line the dog gave birth to six puppies. S...
16/02/2023


🐘 An elephant and 🐕 a dog became pregnant at same time. Three months down the line the dog gave birth to six puppies. Six months later the dog was pregnant again, and nine months on it gave birth to another dozen puppies. The pattern continued.

On the eighteenth month the dog approached the elephant questioning, _"Are you sure that you are pregnant? We became pregnant on the same date, I have given birth three times to a dozen puppies and they are now grown to become big dogs, yet you are still pregnant. Whats going on?".

The elephant replied, _"There is something I want you to understand. What I am carrying is not a puppy but an elephant. I only give birth to one in two years. When my baby hits the ground, the earth feels it. When my baby crosses the road, human beings stop and watch in admiration, what I carry draws attention. So what I'm carrying is mighty and great.".

Don't lose faith when you see others achieving their success.
Don't be envious of others results.

If you haven't received your success, don't despair.

Say to yourself "My time is coming, and when it hits the surface of the earth, people shall yield in admiration. 👑🙏

अदभुत...गणित में कोई भी संख्या 1 से 10 तक के सभी अंकों से नहीं कट सकती, लेकिन इस विचित्र संख्या को देखिये...! दरअसल, सदि...
21/09/2022

अदभुत...

गणित में कोई भी संख्या 1 से 10 तक के सभी अंकों से नहीं कट सकती, लेकिन इस विचित्र संख्या को देखिये...! दरअसल, सदियों तक यह माना जाता रहा था कि ऐसी कोई भी संख्या नहीं है जिसे 1 से 10 तक के सभी अंको से विभाजित किया जा सके। लेकिन रामानुजन ने इन अंकों के साथ माथापच्ची करके इस मिथ को भी तोड़ दिया था। उन्होंने एक ऐसी संख्या खोजी थी जिसे 1 से 10 तक के सभी अंकों से विभाजित किया जा सकता है। यानी भाग दिया जा सकता है। यह संख्या है (2520)। संख्या 2520 अन्य संख्याओं की तरह... वास्तव में एक सामान्य संख्या नही है, यह वो संख्या है जिसने विश्व के गणितज्ञों को अभी भी आश्चर्य में किया हुआ है...!!

यह विचित्र संख्या 1 से 10 तक प्रत्येक अंक से भाज्य है। ऐसी संख्या जिसे इकाई तक के किसी भी अंक से भाग देने के उपरांत शेष शून्य रहे, बहुत ही असम्भव/ दुर्लभ है, ऐसा प्रतीत होता है...!!

अब निम्न सत्य को देखें:
2520 ÷ 1 = 2520
2520 ÷ 2 = 1260
2520 ÷ 3 = 840
2520 ÷ 4 = 630
2520 ÷ 5 = 504
2520 ÷ 6 = 420
2520 ÷ 7 = 360
2520 ÷ 8 = 315
2520 ÷ 9 = 280
2520 ÷ 10 = 252

महान गणितज्ञ अभी भी आश्चर्यचकित हैं: 2520 वास्तव में एक गुणनफल है《7 x 30 x 12》का।

उन्हे और भी आश्चर्य हुआ जब प्रमुख गणितज्ञ द्वारा यह संज्ञान में लाया गया कि संख्या 2520 हिन्दू संवत्सर के अनुसार... एकमात्र यही संख्या है, जो वास्तव में उचित बैठ रही है:

जो इस गुणनफल से प्राप्त है ::

सप्ताह के दिन (7) x माह के दिन (30) x वर्ष के माह (12) = 2520

यही है भारतीय गणना की श्रेष्ठता!

 ंदेश_गार्जियन_के_लिए पिता बेटे को डॉक्टर बनाना चाहता था । बेटा इतना मेधावी था नहीं कि PMT क्लियर कर लेता । इसलिए दलालों...
24/08/2022

ंदेश_गार्जियन_के_लिए
पिता बेटे को डॉक्टर बनाना चाहता था । बेटा इतना मेधावी था नहीं कि PMT क्लियर कर लेता । इसलिए दलालों से MBBS की सीट खरीदने का उपक्रम हुआ । जमीन जायदाद जेवर गिरवी रख के 35 लाख दलालों को दिए ।
वहाँ धोखा हो गया । फिर किसी रूसी देश में लड़के का एडमीशन कराया गया ।
वहाँ भी चल नहीं पाया । फेल होने लगा । depression में रहने लगा ।
रक्षाबंधन पे घर आया और यहाँ फांसी लगा ली ।
20 दिन बाद माँ बाप और बहन ने भी कीटनाशक खा के आत्महत्या कर ली ।
अपने mediocre बेटे को डॉक्टर बनाने की झूठी महत्वाकांक्षा और आत्मश्लाघा ने पूरा परिवार लील लिया । माँ बाप अपने सपने , अपनी महत्वाकांक्षा अपने बच्चों से पूरी करना चाहते हैं ........ 10 साल(लगभग 2012 से) शिक्षा में काम करते हुए मैंने देखा कि कुछ माँ बाप अपने बच्चों को topper बनाने के लिए इतना ज़्यादा अनर्गल दबाव डालते हैं कि बच्चे का स्वाभाविक विकास ही रुक जाता है । आधुनिक स्कूली शिक्षा बच्चे की evaluation और grading ऐसे करती है जैसे सेब के बाग़ में सेब की की जाती है ।
पूरे देश के करोड़ों बच्चों को एक ही syllabus पढ़ाया जा रहा है ।
जंगल में सभी पशुओं को एकत्र कर सबका इम्तहान लिया जा रहा है और पेड़ पर चढ़ने की क्षमता देख के ranking निकाली जा रही है । ये शिक्षा व्यवस्था ये भूल जाती है कि इस प्रश्नपत्र में तो बेचारा हाथी का बच्चा फेल हो जाएगा और बन्दर first आ जाएगा ।
अब पूरे जंगल में ये बात फ़ैल गयी कि कामयाब वो जो झट से कूद के पेड़ पे चढ़ जाए ।
बाकी सबका जीवन व्यर्थ है ।
सो उन सब जानवरों ने , जिनके बच्चे कूद के झटपट पेड़ पे न चढ़ पाए , उनके लिए कोचिंग institute खुल गए । यहाँ पर बच्चे को पेड़ पे चढ़ना सिखाया जाता है ।
और चल पड़े हाथी , जिराफ , शेर और सांड़ , भैंसे , समंदर की सब मछलियाँ चल पड़ीं अपने बच्चों के साथ , coaching institute की ओर ........ हमारा बिटवा भी पेड़ पे चढ़ेगा और हमारा नाम रोशन करेगा ।
हाथी के घर लड़का हुआ ....... तो उसने उसे गोद में ले के कहा ....... हमरी जिनगी का एक्के मक़सद है ....... हमार बिटवा पेड़ पे चढ़ेगा ।
और जब बिटवा पेड़ पे न चढ़ पाया , तो हाथी ने सपरिवार ख़ुदकुशी कर ली ।
अपने बच्चे को पहचानिए । वो क्या है , ये जानिये । हाथी है कि शेर चीता लकडबग्घा , जिराफ ऊँट है कि मछली , या फिर हंस , मोर या कोयल ......... क्या पता वो चींटी ही हो ........ और यदि चींटी है आपका बच्चा , तो हताश निराश न हों ....... चींटी धरती का सबसे परिश्रमी जीव है और अपने खुद के वज़न की तुलना में एक हज़ार गुना ज़्यादा वज़न उठा सकता है ।
इसलिए उसे चींटी समझ धिक्कारिये मत ।🙏

✍️ Sanjeev Verma
(foundar of Rainbow Foundation) mo.9801977916

 #ओशो 12 दिन अमेरिका की जेल में थे ना कोई आधार ना वारंट ना सबूत कुछ नही फिर भी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने उन्हें जेल भिज...
07/08/2022

#ओशो 12 दिन अमेरिका की जेल में थे ना कोई आधार ना वारंट ना सबूत कुछ नही फिर भी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने उन्हें जेल भिजवा दिया और कहा कि हम आपको बिना सबूतों के भी अंदर रखेंगे ट्रायल के रूप में और कहेंगे कि आपने देश विदेश से अपने शिष्यों को बिना वीजा के अमेरिका लाकर अमेरिकी कानून का उल्लंघन किया है। आपको ये साबित करने में कि आप निर्दोष हो 10 साल लग जायेंगे और तब तक आपका कम्यून आपके बिना नष्ट हो जायेगा या हम उसे तबाह कर देंगे और फिर हम आपको बाइज्जत आपके मुल्क भारत भेज देंगे।

वह ऐसा इसलिए कर रहा था क्योंकि ओशो का कम्यून 100 एकड़ से ज्यादा में फैला हुआ था उसमें खुद का airport हॉस्पिटल स्कूल कॉलेज सब था और वहाँ कोई भी मुद्रा नही चलती थी निःशुल्क था सब सभी राजनीति से हटकर अपना सुखी जीवन जी रहे थे लोगों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही थी जिससे रोनाल्ड रीगन डर गया।

ओशो के शिष्यों को जब यह पता चला तो उन्होंने फूल भेजे जेल में भी और राष्ट्रपति भवन में भी जिस जेल में ओशो बंद थे वहाँ के जेलर ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि मैंने पहली बार देखा जब किसी असंवैधानिक गिरफ्तारी का विरोध बिना हिंसा या उग्र प्रदर्शन के हुआ हो उसने लिखा है कि वो 12 दिन मेरी जेल चर्च में बदल गई थी अमेरिका के कोने कोने से ढेरों फूल गुलदस्ते गमले आ रहे थे जब भी ओशो जेल से कोर्ट जाते लोग उन्हें फूल भेंट करते पूरा न्यायालय परिसर फूलों से भर गया था जज हैरान थे पूरे पुलिस कर्मी हैरान थे।

तब जजों ने ओशो से कहा हम सभी असामान्य रूप से चकित हैं हमने स्पेशल फोर्सेस बुलवा कर रखी थीं क्योंकि आपके शिष्य लाखों में हैं प्रदर्शन उग्र हो सकता था पर यहाँ तो सब उम्मीद के विपरीत हो रहा है यह कैसा विरोध है? तब ओशो ने कहा यही मेरी दी हुई शिक्षा है वो जैसा प्रदर्शन करेंगे असल में वह मुझे मेरे आचरण और मेरी शिक्षा को ही व्यक्त करेंगे।

ओशो ने भारत में रहते हुए इंदिरा नेहरू हिन्दू मुस्लिम ईसाई एवं अन्य सभी धर्मों में व्याप्त कुरीतियों का खुलेआम विरोध किया पर ना इंदिरा ने उन्हें जेल भेजा नाजे मोरारजी ने ना चरण सिंह ना नेहरू ना अन्य किसी ने क्योंकि सभी ये बात जानते थे कि ये आदमी इतना तर्कपूर्ण और अर्थपूर्ण है कि ये हमारे राजनैतिक शिकंजों में ना आ सकेगा ना हम इसका कभी विरोध कर सकेंगे क्योंकि हम आधारहीन हैं। और अंततः CIA ने थैलियम नाम का धीमा ज़हर देकर उन्हें मार दिया 1985 में देना देना शुरू किया और 5 सालों में 1990 में उनकी मृत्यु हो गई।

क्योंकि जिसका तुम जवाब नही दे सकते उसे मारना ही बेहतर लगता है लेकिन शिष्यों ने तो फिर भी कोई विरोध नही किया नाच गाकर नृत्य में डूबकर ओशो को विदा किया कोई रोया नही ना किसी ने किसी पर दोषारोपण किया ना कोई विरोध ना चक्काजाम ना लोग मरे ना शहर जलाए गए। एक गुरु को इससे अधिक क्या चाहिए शिष्य ही गुरु का प्रतिबिंब होते हैं जैसा शिष्य करेंगे दरअसल वही गुरु की दी हुई शिक्षा होगी

हम सब ज़ंजीरों में जकड़े लोग हैं.. एक पूर्णिमा की रात में एक छोटे-से गांव में, एक बड़ी अदभुत घटना घट गई। कुछ जवान लड़कों ने ...
03/07/2022

हम सब ज़ंजीरों में जकड़े लोग हैं..

एक पूर्णिमा की रात में एक छोटे-से गांव में, एक बड़ी अदभुत घटना घट गई। कुछ जवान लड़कों ने शराबखाने में जाकर शराब पी ली और जब वे शराब के नशे में मदमस्त हो गये और शराब-घर से बाहर निकले तो चांद की बरसती चांदनी में उन्हें यह खयाल आया कि नदी पर जायें और नौका-विहार करें।

रात बड़ी सुन्दर और नशे से भरी हुई थी। वे गीत गाते हुए नदी के किनारे पहुंच गये। नाव वहां बंधी थी। मछुए नाव बांधकर घर जा चुके थे। रात आधी हो गयी थी।

वे एक नाव में सवार हो गये। उन्होंने पतवार उठा ली और नाव खेना शुरू किया। फिर वे रात देर तक नाव खेते रहे। सुबह की ठण्‍ड़ी हवाओं ने उन्हें सचेत किया। जब उनका नशा कुछ कम हुआ तो उनमें से किसी ने पूछा, ‘‘कहां आ गये होंगे अब तक हम। आधी रात तक हमने यात्रा की, न-मालूम कितनी दूर तक निकल आये होंगे। नीचे उतर कर कोई देख ले कि किस दिशा में हम चल रहे हैं, कहां पहुंच रहे हैं?”

जो नीचे उतरा था, वह नीचे उतर कर हंसने लगा। उसने कहा, ‘‘दोस्तो! तुम भी उतर आओ। हम कहीं भी नहीं पहुंचे हैं। हम वहीं खड़े हैं, जहां रात नाव खडी थी। ”

वे बहुत हैरान हुए। रात भर उन्होंने पतवार चलायी थी और पहुंचे कहीं भी नहीं थे! नीचे उतर कर उन्होंने देखा तो पता चला, नाव की जंजीरें किनारे से बंधी रह गयी थीं, उन्हें वे खोलना भूल गये थे!

जीवन भी, पूरे जीवन नाव खेने पर, पूरे जीवन पतवार खेने पर कहीं पहुंचता हुआ मालूम नहीं पड़ता। मरते समय आदमी वहीं पाता है स्वयं को, जहां वह जन्मा था! ठीक उसी किनारे पर, जहां आंख खोली थी- आंख बंद करते समय आदमी पाता है कि वहीं खड़ा है। और तब बड़ी हैरानी होती है कि इतनी जो दौड़- धूप की, उसका क्या हुआ? वह जो प्रण किया था कहीं पहुंचने का, वह जो यात्रा की थी कहीं पहुंचने के लिए, वह सब निष्फल गयी!मृत्यु के क्षण में आदमी वहीं पाता है अपने को, जहां वह जन्म के क्षण में था! तब सारा जीवन एक सपना मालुम पड़ने लगता है।

“ #सुसाइड की जरुरत नहीं, संन्यास लो !”  एक शिष्य ने ओशो से कहा की वह जिंदगी से तंग आ कर आत्महत्या करना चाहता है, इस पर ओ...
15/06/2022

“ #सुसाइड की जरुरत नहीं, संन्यास लो !”

एक शिष्य ने ओशो से कहा की वह जिंदगी से तंग आ कर आत्महत्या करना चाहता है, इस पर ओशो बोले :-

तुम सूइसाइड क्यों करना चाहते हो? शायद तुम जैसा चाहते थे, लाइफ वैसी नहीं चल रही है? लेकिन तुम ज़िन्दगी पर अपना तरीका, अपनी इच्छा थोपने वाले होते कौन महो? हो सकता है कि तुम्हारी इच्छाएं पूरी न हुई हों? तो खुद को क्यों खत्म करते हो, अपनी इच्छाओं को खत्म करो। हो सकता है तुम्हारी उम्मीदें पूरी न हुई हों और तु परेशान महसूस कर रहे हो।

जब इंसान परेशानी में होता है तो वह सब कुछ बर्बाद करना चाहता है। ऐसे में सिर्फ दो संभावनाएं होती हैं, या तो किसी और को मारो या खुद को। किसी और को मारना खतरनाक है और कानून का डर भी है। इसलिए, लोग खुद को मारने का सोचने लगते हैं। लेकिन यह भी तो एक मर्डर है।तो क्यों न ज़िन्दगी को खत्म करने के बजाए उसे बदल दें।

संन्यास ले लो फिर तुम्हें आत्महत्या करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि संन्यास लेने से बढ़कर कोई आत्महत्या नहीं है और किसी को आत्महत्या क्यों करनी चाहिए? मौत तो खुद-ब-खुद आ रही है, तुम इतनी जल्दी में क्यों हो?

मौत आएगी, वह हमेशा आती है। तुम्हारे न चाहते हुए भी वह आती है। तुम्हें उससे जाकर मिलने की जरूरत नहीं है, वह अपने आप आ जाती है, लेकिन विश्वास करो तुम अपने जीवन को बुरी तरह से मिस करोगे। तुम गुस्से या चिंता की वजह से सूइसाइड करना चाहते हो। मैं तुम्हे असली सूइसाइड सिखाऊंगा। बस संन्यासी बन जाओ। वैसे भी साधारण सूइसाइड करने से कुछ ख़ास होने वाला भी नहीं है।

आप फौरन ही किसी दूसरे की कोख में कहीं और पैदा हो जाएंगे। इस शरीर से निकलने से पहले ही तुम किसी और जाल में फंस जाओगे और एक बार फिर तुम्हें स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी जाना पड़ेगा, जरा इसके बारे में सोचो। उन सभी कष्ट भरे अनुभवों के बारे में सोचो। यह सब तुम्हे सूइसाइड करने से रोकेगा।

दुनिया में बहुत से लोग सूइसाइड करते हैं और साइकोएनालिस्ट कहते हैं कि बहुत कम लोग होते हैं, जो ऐसा करने का नहीं सोचते। दरअसल, एक आदमी ने इन्वेस्टिगेट करके कुछ डाटा इकठ्ठा किया, जिसके अनुसार हर इंसान जीवन में कम से कम चार बार सूइसाइड करने की सोचता है, लेकिन यह पश्चिमी देशों की बात है, पूरब में चूंकि लोग पुनर्जन्म को मानते हैं, इसलिए कोई सुइसाइड नहीं करना चाहता है।

क्या फायदा, तुम एक दरवाज़े से निकलते हो और किसी दूसरे दरवाजे से फिर अंदर आ जाते हो। तुम इतनी आसानी से नहीं जा सकते। मैं तुम्हें असली आत्महत्या करना सिखाऊंगा, तुम हमेशा के लिए जा सकते हो। हमेशा के लिए जाना ही तो बुद्ध बन जाना है।

ओशो

  to  , the great internationalist Marxist revolutionary on his 94th birth anniversary. Born in Argentina, Che played a ...
14/06/2022

to , the great internationalist Marxist revolutionary on his 94th birth anniversary. Born in Argentina, Che played a key role in accomplishing and consolidating the Cuban revolution as a comrade of Fidel Castro, before embracing martyrdom in Bolivia in 1967.

 #इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री को मेरे तरफ से बहुत बहुत बधाई🙏❤🙏 #गीतांजलि_श्री को ...
30/05/2022

#इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री को मेरे तरफ से बहुत बहुत बधाई🙏❤🙏
#गीतांजलि_श्री को इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार उनके लिखे उपन्यास ' #रेत_समाधि' के लिये दिया गया है।

पुरस्कार स्वीकार करने के लिए दी गई अपनी स्पीच में गीतांजलि श्री ने कहा, "मैंने कभी इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ जीतने की कल्पना नहीं की थी. कभी सोचा ही नहीं कि मैं ये कर सकती हूँ. ये एक बड़ा पुरस्कार है. मैं हैरान, प्रसन्न , सम्मानित और विनम्र महसूस कर रही हूँ.

"इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ देने वाली संस्था ने कहा, "टूंब ऑफ़ सैंड इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार जीतने वाली किसी भी भारतीय भाषा में मूल रूप से लिखी गई पहली किताब है. और हिंदी से अनुवादित पहला उपन्यास. टूंब ऑफ़ सैंड उत्तर भारत की कहानी है जो एक 80 वर्षीय महिला के जीवन पर आधारित है. ये किताब ऑरिजिनल होने के साथ-साथ धर्म, देशों और जेंडर की सरहदों के विनाशकारी असर पर टिप्पणी है."

#रेत_समाधि में क्या है?

गीतांजलि श्री के इस उपन्यास को निर्णायक मंडल ने 'अनूठा' बताया है. दरअसल यह उपन्यास ठहरकर पढ़े जाने वाला उपन्यास है जिसकी एक कथा के धागे से कई सारे धागे बंधे हुए हैं. 80 साल की एक दादी है जो बिस्तर से उठना नहीं चाहती और जब उठती है तो सब कुछ नया हो जाता है. यहां तक कि दादी भी नयी. वो सरहद को निरर्थक बना देती है.
इस उपन्यास में सबकुछ है. स्त्री है, स्त्रियों का मन है, पुरुष है, थर्ड जेंडर है, प्रेम है, नाते हैं, समय है, समय को बांधने वाली छड़ी है, अविभाजित भारत है, विभाजन के बाद की तस्वीर है, जीवन का अंतिम चरण है, उस चरण में अनिच्छा से लेकर इच्छा का संचार है, मनोविज्ञान है, सरहद है, कौवे हैं, हास्य है, बहुत लंबे वाक्य हैं, बहुत छोटे वाक्य हैं, जीवन है, मृत्यु है और विमर्श है जो बहुत गहरा है, जो 'बातों का सच' है.
मैं आपको इस उपन्यास कोएक बार पढ़ने का सलाह आवश दूंगा!
एक बार फिर से गीतांजलि श्री को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं 🙏❤🙏

22/04/2022

इन हवाओं को कह दो, अब अपना रुख मोड़ ले!
नये पत्तों को भी गिरा पायेगा,ये विश्वास छोड दे!

 # फ्रिज_10000 (ताऊ) # LED_32000 (नाना) # सोफा_10000 (काका) # ड्रेसिंग_3000 (बुआ) # पलंग_5000 (जीजा) # अलमारी_7000 (मामा...
21/04/2022

# फ्रिज_10000 (ताऊ)
# LED_32000 (नाना)
# सोफा_10000 (काका)
# ड्रेसिंग_3000 (बुआ)
# पलंग_5000 (जीजा)
# अलमारी_7000 (मामा)
# कूलर_5000 (भाई)
# मिक्सर_4000 (दादा)
# बाईक_70000 (पापा)
# हनीमून_50000
# फोन_20000
बर्तन, कपड़े, जेवर, दावत, उपहार इत्यादि...
सारे ख़र्च मिलाकर 10,00,000+(दस लाख+) से ज्यादा
एक पिता कितनी मुश्किल से जुटा पाता है.. अपनी बेटी की शादी के लिये पिता सबकुछ दाव पर लगा देता है..
क्या बीतती है उस पर जब चंद घंटे के लिए आये मेहमान खाने को बेस्वाद और सामान को बेकार बताकर एक चिंगारी घर में फेंक कर चलते बनते हैं.. और ससुराल वाले अपना अपमान समझकर तुरंत ही बहु पर अत्याचार शुरू कर देते हैं..
हैरानी कि बात तो ये.. कि रिपोर्ट करने पर कानून और पुलिस भी लड़की के पिता से ही सबूत मांगती है कि शादी में खर्च किया रुपया कहाँ से आया..
# लाड़ली_थीं_वो_अपने_पापा_की ...,
# ______और
# सुसराल_वाले_कहते_हैं , कि..
# दिया_ही_क्या_है_तेरे_बाप_ने
यही हमारे समाज का हकिकत है ......

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