30/05/2022
#इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री को मेरे तरफ से बहुत बहुत बधाई🙏❤🙏
#गीतांजलि_श्री को इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार उनके लिखे उपन्यास ' #रेत_समाधि' के लिये दिया गया है।
पुरस्कार स्वीकार करने के लिए दी गई अपनी स्पीच में गीतांजलि श्री ने कहा, "मैंने कभी इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ जीतने की कल्पना नहीं की थी. कभी सोचा ही नहीं कि मैं ये कर सकती हूँ. ये एक बड़ा पुरस्कार है. मैं हैरान, प्रसन्न , सम्मानित और विनम्र महसूस कर रही हूँ.
"इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ देने वाली संस्था ने कहा, "टूंब ऑफ़ सैंड इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार जीतने वाली किसी भी भारतीय भाषा में मूल रूप से लिखी गई पहली किताब है. और हिंदी से अनुवादित पहला उपन्यास. टूंब ऑफ़ सैंड उत्तर भारत की कहानी है जो एक 80 वर्षीय महिला के जीवन पर आधारित है. ये किताब ऑरिजिनल होने के साथ-साथ धर्म, देशों और जेंडर की सरहदों के विनाशकारी असर पर टिप्पणी है."
#रेत_समाधि में क्या है?
गीतांजलि श्री के इस उपन्यास को निर्णायक मंडल ने 'अनूठा' बताया है. दरअसल यह उपन्यास ठहरकर पढ़े जाने वाला उपन्यास है जिसकी एक कथा के धागे से कई सारे धागे बंधे हुए हैं. 80 साल की एक दादी है जो बिस्तर से उठना नहीं चाहती और जब उठती है तो सब कुछ नया हो जाता है. यहां तक कि दादी भी नयी. वो सरहद को निरर्थक बना देती है.
इस उपन्यास में सबकुछ है. स्त्री है, स्त्रियों का मन है, पुरुष है, थर्ड जेंडर है, प्रेम है, नाते हैं, समय है, समय को बांधने वाली छड़ी है, अविभाजित भारत है, विभाजन के बाद की तस्वीर है, जीवन का अंतिम चरण है, उस चरण में अनिच्छा से लेकर इच्छा का संचार है, मनोविज्ञान है, सरहद है, कौवे हैं, हास्य है, बहुत लंबे वाक्य हैं, बहुत छोटे वाक्य हैं, जीवन है, मृत्यु है और विमर्श है जो बहुत गहरा है, जो 'बातों का सच' है.
मैं आपको इस उपन्यास कोएक बार पढ़ने का सलाह आवश दूंगा!
एक बार फिर से गीतांजलि श्री को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं 🙏❤🙏
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