08/11/2024
*नवम्बर माह में प्राकृतिक खेती के अंतर्गत बगीचों की देखभाल के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाएं*:
1) *नियमित जीवामृत छिड़काव*: हर 15-20 दिनों पर जीवामृत का छिड़काव करें। पेड़ के आकार के अनुसार, प्रति पेड़ मिट्टी में 5-7 लीटर जीवामृत डालें और पत्तियों पर छिड़काव के लिए 200 लीटर ड्रम में 20 लीटर जीवामृत मिलाएं। यह पौधों को आवश्यक पोषण प्रदान करता है और मौसम परिवर्तन के प्रभावों से बचाता है।
2) *घनजीवामृत का उपयोग*: यदि अक्टूबर में घनजीवामृत नहीं दिया गया है, तो मिट्टी की उर्वरता, ह्यूमस निर्माण, और जैविक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए 100 किलो प्रति बीघा घनजीवामृत का प्रयोग करें। यह मिट्टी में पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखता है और पौधों को स्वस्थ बनाता है।
3) *मल्चिंग और वाफसा खाइयां*: उचित नमी बनाए रखने के लिए मल्चिंग करें और वाफसा खाइयों को बनाए रखें। ये खाइयां बेसिन क्षेत्र के बाहर या दो पंक्तियों के बीच होनी चाहिए, जिससे मिट्टी में नमी बनी रहती है और पौधों की जड़ों को सुरक्षा मिलती है।
4) *खट्टी लस्सी और अग्निअस्त्र / दशपर्णी अर्क का छिड़काव*: हर महीने एक बार 6 लीटर खट्टी लस्सी और अग्निअस्त्र या दशपर्णी अर्क का छिड़काव करें। यह कीटों से बचाव के साथ-साथ पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
5) *स्केल नियंत्रण के लिए तेल का प्रयोग*: स्केल नियंत्रण के लिए अग्निअस्त्र / दशपर्णी के अतिरिक्त 200 लीटर पानी में 2-4 लीटर नीम का तेल या अलसी का तेल मिलाकर छिड़काव करें। यह प्राकृतिक कीटनाशक के रूप में काम करता है और पौधों को हानिकारक कीड़ों से बचाता है।
6) *सह फसलों का पोषण*: सह फसलों में भी नियमित रूप से ऊपर दी गई मात्रा के अनुसार जीवामृत, खट्टी लस्सी, और अग्निअस्त्र का प्रयोग करें। इससे सह फसलें स्वस्थ रहेंगी और मुख्य फसल को लाभकारी प्रभाव प्राप्त होंगे।
इन उपायों से आपके बगीचे में प्राकृतिक तरीके से पौधों का संरक्षण होगा और उनकी उन्नत वृद्धि में सहूलियत मिलेगी।
आत्मा टीम
करसोग ब्लॉक जिला मंडी