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बांके चमार एक बहुत ही प्रसिद्ध और वीर लोकनायक माने जाते हैं, खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के सीमावर्ती इलाकों में।...
17/08/2025

बांके चमार एक बहुत ही प्रसिद्ध और वीर लोकनायक माने जाते हैं, खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के सीमावर्ती इलाकों में।

उनके बारे में लोककथाओं और लोकगीतों में काफी बातें मिलती हैं:

कहा जाता है कि वे अंग्रेज़ों के ख़िलाफ 1857 की क्रांति में शामिल हुए थे।

वे पेशे से एक साधारण चमार जाति के व्यक्ति थे, लेकिन असाधारण साहस और शौर्य के कारण उन्हें "वीर बांके चमार" कहा जाने लगा।

लोकगीतों में गाया जाता है कि वे गुरिल्ला शैली में अंग्रेज़ी फौज से भिड़ते थे और गरीब–दलित समाज को अन्याय के खिलाफ खड़ा करते थे।

स्थानीय परंपरा में उन्हें क्रांतिकारी और शहीद के रूप में पूजा जाता है।

कई जगहों पर मेला और भजन-कीर्तन भी होते हैं उनकी याद में।

👉 कुल मिलाकर, बांके चमार एक ऐसे लोकनायक थे जिन्होंने अंग्रेजों और सामंती ताक़तों का सामना किया और oppressed समाज को हिम्मत दी।

🎶 लोकगीतों में बांके चमार

पूर्वांचल (गाज़ीपुर, बलिया, बनारस, बिहार सीमा) में गाए जाने वाले गीतों में कुछ पंक्तियाँ इस तरह सुनाई देती हैं:

"वीर बांके चमार, बनारस के लाल,
अंग्रेजन से भिड़ गए, कर डाले हलाल।"

"चमार का बेटा, वीर हमारा,
बांके नाम जगत में प्यारा।"

"घोड़ा चढ़ के निकले वीर बांके,
डर गई अंग्रेजन की टांके।"

(ये लोकगीत गाँवों में ढोल–मजीरे और चौपालों पर गाए जाते हैं।)

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🌺 सम्मान और श्रद्धा

आज भी कई गाँवों में बांके चमार की पूजा होती है।

कहीं उनकी प्रतिमा स्थापित है।

कहीं पर हर साल मेला और भजन संध्या होती है।

गरीब–दलित समाज उन्हें भगवान और शहीद दोनों मानकर याद करता है।



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15/08/2025

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