07/08/2025
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक समझौते की बातचीत के दौरान अमेरिका ने विशेष रूप से दो कृषि उत्पादों—गेहूं और दूध—को भारतीय बाजार में प्रवेश देने की मांग की थी। अमेरिका चाहता था कि भारत अपने किसानों की सुरक्षा की कीमत पर अमेरिकी उत्पादों के लिए बाजार खोले, लेकिन भारत सरकार ने इस प्रस्ताव को सख्ती से खारिज कर दिया।
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के समय यह मांग सामने आई थी कि अमेरिका से गेहूं और डेयरी प्रोडक्ट्स बिना किसी आयात शुल्क के भारत में बेचे जा सकें। ट्रंप ने यहां तक कहा था कि अगर भारत उनका माल खरीदेगा, तो वे भी भारत से कुछ खरीदने को तैयार हैं। लेकिन भारत की टीम ने दो टूक जवाब दिया कि देश के लघु और सीमांत किसानों की आजीविका को खतरे में डालकर कोई भी समझौता स्वीकार नहीं होगा।
1 अगस्त 2025 को अमेरिका में गेहूं का एक्सपोर्ट रेट ₹17.24 प्रति किलो था, जबकि भारत में न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP ₹24.25 प्रति किलो है। इसमें भंडारण, ट्रांसपोर्टेशन, बोनस और मजदूरी मिलाकर वास्तविक लागत ₹30-32 प्रति किलो पहुंच जाती है। अगर अमेरिका से बिना शुल्क का गेहूं आता, तो भारतीय किसान बर्बाद हो जाते।
डेयरी सेक्टर की बात करें तो अमेरिका में फुल क्रीम दूध ₹42-43 प्रति किलो है, जबकि भारत में यह ₹55 किलो बिकता है। स्किम्ड मिल्क पाउडर अमेरिका में ₹250 किलो है, भारत में यह ₹270 किलो तक बिकता है। भारत में लाखों लघु किसान, महिलाएं और गौशालाएं दूध उत्पादन से जुड़ी हैं। अगर अमेरिकी उत्पाद यहां आते, तो दूध के दाम गिरते और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगता।
भारत ने न सिर्फ अमेरिकी दबाव को नकारा, बल्कि विदेशी कंपनियों की लॉबिंग के बावजूद स्वदेशी उत्पादन और किसानों के हितों को प्राथमिकता दी। अगर यह बाज़ार खोला जाता, तो भारत को अमेरिका से राजनयिक छूटों के बदले खालिस्तान समर्थक तत्वों को लेकर भी नरमी दिखानी पड़ती।
प्रधानमंत्री मोदी ने साफ संदेश दिया कि भारत अपने किसानों की कीमत पर कोई समझौता नहीं करेगा। यह निर्णय केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि रणनीतिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, जिससे भारत की कृषि आत्मनिर्भरता और गांव आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है।