सनातन धर्म

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सनातन धर्म चुप रहना मेरी ताक़त है,कमज़ोरी नहीं।
अकेले रहना मेरी आदत है,मज़बूरी नहीं ।।

हिमालय की तराई में बसा एक छोटा-सा गाँव था जहाँ प्रकृति की गोद में जीवन सादगी से चलता था। उसी गाँव में रामू नाम का एक गरी...
13/08/2025

हिमालय की तराई में बसा एक छोटा-सा गाँव था जहाँ प्रकृति की गोद में जीवन सादगी से चलता था। उसी गाँव में रामू नाम का एक गरीब लकड़हारा अपने बूढ़े माता-पिता और दो छोटे भाई-बहनों के साथ रहता था। उसका जीवन कठिनाइयों से भरा था—रोज़ सुबह जंगल जाना, लकड़ी काटना, और शाम को बेचकर घर का गुज़ारा करना। उसके पास न अच्छे कपड़े थे, न पक्की छत, लेकिन उसका मन बहुत शांत और श्रद्धा से भरा था। उसका एकमात्र सहारा था — भोलेनाथ की भक्ति।

हर सुबह वह उठकर सबसे पहले अपने आँगन में बने मिट्टी के शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाता, दीप जलाता और कहता— "हे भोले, हिम्मत मत छीनना, बाकी जो दोगे, वो स्वीकार है।" गाँव के लोग उसका मज़ाक उड़ाते थे। कहते, "भोले बाबा ने तुझे क्या दिया..? तू तो वही गरीब का गरीब है!" लेकिन रामू बस मुस्कराता और कहता, "मुझे जो दिया है, वो तुम समझ नहीं सकते।"

एक दिन की बात है। आकाश अचानक काले बादलों से घिर गया। रामू जंगल में लकड़ी काट ही रहा था कि बिजली कड़कने लगी और तेज़ बारिश शुरू हो गई। वह जल्दी-जल्दी लकड़ियाँ समेट ही रहा था कि अचानक पहाड़ की चोटी से *भूस्खलन* शुरू हो गया। भारी पत्थर और मिट्टी नीचे गिरने लगी। वह भयभीत हो गया। एक तरफ तेज़ नदी, दूसरी तरफ गिरते पत्थर। उसके पास भागने का कोई रास्ता नहीं था।

वह एक बड़े पेड़ के नीचे बैठ गया, हाथ जोड़े और आँखें बंद करके बोला, “भोलेनाथ! आज जान आपके हाथ में है। अगर मेरी भक्ति सच्ची है, तो मुझे बचा लीजिए।” जैसे ही उसने आँखें खोलीं, सामने एक वृद्ध साधु खड़े थे। लंबी जटाएं, माथे पर भस्म, गले में रुद्राक्ष। उनकी आँखों में अजीब सी शांति थी। वे बोले, “चल बालक, इस ओर आ जा।”

रामू कुछ समझ नहीं पाया लेकिन उनके पीछे चल पड़ा। वे उसे पास की एक छोटी सी गुफा में ले गए और कहा, “यहाँ बैठ जा। कुछ देर में तू सब समझ जाएगा।” कुछ ही पलों में भूस्खलन ने पूरा वह इलाका तबाह कर दिया जहाँ रामू खड़ा था। वह स्तब्ध रह गया। बाहर सब मिट्टी में दब चुका था, पर वह सुरक्षित था। उसने मुड़कर साधु को धन्यवाद कहना चाहा, लेकिन वे वहाँ नहीं थे। रामू समझ गया कि ये कोई साधारण साधु नहीं थे —ये स्वयं भोलेनाथ ही थे।

गाँव लौटने पर लोगों ने उसकी बात सुनी तो कोई हँसा, कोई चौंका, पर रामू के मन में अब संदेह की कोई जगह नहीं थी। अब उसकी भक्ति और भी गहरी हो चुकी थी। वह पहले से अधिक श्रद्धा से पूजन करने लगा। धीरे-धीरे गाँव के लोग भी उसकी भक्ति से प्रभावित होने लगे।

समय बीता। मेहनत और ईमानदारी से रामू का जीवन सुधरने लगा। उसे लकड़ी का एक बड़ा ठेका मिल गया, व्यापार बढ़ा, और अब वह गाँव का सबसे प्रतिष्ठित व्यक्ति बन चुका था। लेकिन उसके स्वभाव में जरा भी बदलाव नहीं आया। पहले की तरह ही वह हर सोमवार को व्रत रखता, शिव मंदिर में पूजा करता और जरूरतमंदों की मदद करता।

उसने गाँव में एक सुंदर शिव मंदिर भी बनवाया, जिसमें रोज़ आरती और भंडारा होता था। एक दिन एक बड़ा व्यापारी रामू के पास आया और एक करोड़ों का सौदा रखा। वह डील बहुत लाभदायक लग रही थी, लेकिन रामू के मन में कुछ बेचैनी सी थी। उसने सौदा पक्का करने से पहले मंदिर में जाकर भोलेनाथ से मार्गदर्शन मांगा। उसी रात उसे सपना आया—उसी साधु रूप में *भोलेनाथ* प्रकट हुए और बोले, “जिसने तुझे बचाया, वो आज भी तेरे साथ है। इस सौदे में कुछ अधर्म है, सोच समझकर निर्णय लेना।”

अगली सुबह रामू ने साफ मना कर दिया। हफ्ते भर में ही समाचार आया कि वह व्यापारी कई लोगों को धोखा देकर फरार हो गया। इस घटना ने गाँव में हलचल मचा दी। लोग हैरान थे कि रामू कैसे बच गया। तब उसने सबको सपने की बात बताई और कहा— "भक्ति सिर्फ पूजा नहीं है। ये वो भरोसा है जो संकट में भी हमें सच्चाई के रास्ते पर टिकाए रखता है।"

अब गाँव के बच्चे भी शिव भक्ति की ओर आकर्षित होने लगे। रामू ने भजन संध्याएँ शुरू कीं, गरीबों के लिए अन्न क्षेत्र खोला, और मंदिर को ज्ञान केंद्र बना दिया। वह हर किसी से बस यही कहता, “जब सब रास्ते बंद लगें, तब शिव का नाम लो। वे रास्ता नहीं खोलेंगे, तो गोद में उठा लेंगे।”

रामू की कहानी अब सिर्फ गाँव की नहीं रही। आस-पास के गाँवों में भी उसकी भक्ति की मिसाल दी जाने लगी। कई लोग जो पहले भगवान को ‘ काल्पनिक ’ मानते थे, अब कहने लगे —“अगर भगवान होते हैं, तो वे रामू जैसे लोगों के साथ ज़रूर होते हैं।”

निष्कर्ष:

शिव भक्ति क्यों जरूरी है..?

क्योंकि जब सारा संसार मुँह फेर लेता है, तब भोलेनाथ हमें थामते हैं। उनकी भक्ति हमें शक्ति भी देती है और विवेक भी। जब हम सच्चे मन से भक्ति करते हैं, तो हम सिर्फ भगवान को नहीं पुकारते, बल्कि अपने भीतर की अच्छाई, धैर्य और साहस को भी जगाते हैं। रामू की कहानी ये सिखाती है कि भक्ति दिखावे की नहीं, भीतर के विश्वास की चीज़ है—और सच्ची भक्ति का फल हमेशा मिलता है।

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जय श्री हनुमान🙏ॐ नमः शिवाय❤️
13/08/2025

जय श्री हनुमान🙏
ॐ नमः शिवाय❤️

जय बजरंगबली❤️हर हर महादेव🙏
13/08/2025

जय बजरंगबली❤️
हर हर महादेव🙏

"ॐ नमः पार्वती पतये हर हर महादेव"
13/08/2025

"ॐ नमः पार्वती पतये हर हर महादेव"

चरण स्पर्श (पैर छूने) के नियम!2 मिनट समय निकालकर   अंत तक अवश्य पढ़े।🧵👇⚧️ पैर छूने की परंपरा — हमारी सनातन संस्कृति में ...
30/07/2025

चरण स्पर्श (पैर छूने) के नियम!

2 मिनट समय निकालकर अंत तक अवश्य पढ़े।🧵👇

⚧️ पैर छूने की परंपरा — हमारी सनातन संस्कृति में अभिवादन करने के तरीके विनम्रता और समर्पण भाव को दर्शाते हैं। चाहे फिर वह सिर झुका कर, हाथ जोड़कर नमस्कार करना हो या फिर चरण स्पर्श करना।

शास्त्रों के अनुसार — देवता, गुरु, माता-पिता एवं बुजुर्गों की चरण वंदना को श्रेष्ठ माना गया है। शास्त्रों के अनुसार प्रभु श्रीराम नित्यप्रति सुबह उठकर सबसे पहले माता-पिता के चरणों में सिर झुकाकर आशीर्वाद प्राप्त करते थे।

भगवान गणेश जी भी देवताओं में प्रथम पूज्य अपने माता-पिता के आशीर्वाद से ही बने।

अतः सनातन धर्म, संस्कृति और परंपरा में संतों के एवं बड़े बुजुर्गों के पैर छूने की परंपरा है, परंतु क्या आप जानते हैं कि कुछ लोगों से पैर छुआना वर्जित है या यह कहें कि कुछ लोगों के पैर नहीं छूना चाहिए।

⚧️ सनातन धर्म ग्रंथों के अनुसार —

(क) कुंवारी कन्या - कुंवारी कन्याओं को किसी के पैर नहीं छूना चाहिए या यदि कोई कुंवारी कन्या आपके पैर छूने का प्रयास करें तो उसे रोक दें अन्यथा आपको पाप लगेगा। छोटी बच्चियों और कन्याओं के तो पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।

(ख) बेटियां - किसी भी पिता को अपनी बेटियों से पैर नहीं छुआना चाहिए। बेटियों को भी चाहिए कि वह पिता के पैर नहीं छुएं अन्यथा पिता को पाप लगता है। बेटियों को देवी का रूप माना जाता है इसलिए उनसे चरण नहीं छुआना चाहिए।

(ग) बहुएं - कुछ समाज में बहुएं अपनी सास के पैर छू सकती हैं, परंतु श्वसुर के नहीं! क्योंकि बहुएं घर की लक्ष्मी होती हैं।

(घ) मंदिर में - यदि आप मंदिर में हैं और आपको वहां पर कोई बड़ा-बुजुर्ग या सम्मानीय व्यक्ति मिल जाता है तो आप पहले भगवान को प्रणाम करें। क्योंकि मंदिर में भगवान से बड़ा कोई नहीं होता। भगवान के सामने किसी के पैर छूना मंदिर और भगवान का अपमान माना जाता है।

(ड़) पूजा कर रहे व्यक्ति के पैर छूना - यदि कोई व्यक्ति मंदिर या घर में पूजा कर रहा है उस दौरान उसके पैर छूना उचित नहीं है। ऐसे में दोनों को ही पाप लगता है। दूसरी बात इससे पूजा में बाधा उत्पन्न होती है।

(च) सोये हुए व्यक्ति के पैर छूना - यदि कोई व्यक्ति सो रहा है या लेटा हुआ है तो उस समय उसके पैर नहीं छूना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इससे लेटे हुए व्यक्ति की उम्र घटती है। केवल मरे हुए व्यक्ति के ही पैर छुए जाते हैं।

(छ) श्मशान से लौटे व्यक्ति के पैर छूना - यदि कोई सम्‍मानित व्‍यक्ति या बड़े-बुजुर्ग श्मशानघाट से लौट रहे हैं तो उन्हें देखकर कई लोग उनके पैर छूने लगते हैं जो कि गलत है। अंतिम संस्कार से लौटने पर व्यक्ति अशुद्ध हो जाता है ऐसे में उसके पैर छूना वर्जित है। स्नान करने के बाद ही उसके पैर छू सकते है। इसी प्रकार श्मशान में भी किसी के पैर नही छूना चाहिए।

(ज) अशुद्ध व्यक्ति - यदि आप किसी कारण से अशुद्ध हो गए है या जिसके आप पैर छूना चाहते है वह अशुद्ध है तो दोनों ही स्थिति में पैर नही छूना चाहिए। इसे दोनों को ही नुकसान उठाना पड़ सकता है।

स्नान करने के बाद ही उसके पैर छू सकते है। इसी प्रकार श्मशान में भी किसी के पैर नही छूना चाहिए।

(ज) अशुद्ध व्यक्ति - यदि आप किसी कारण से अशुद्ध हो गए है या जिसके आप पैर छूना चाहते है वह अशुद्ध है तो दोनों ही स्थिति में पैर नही छूना चाहिए। इसे दोनों को ही नुकसान उठाना पड़ सकता है।

(ञ) पत्नी - पति पत्नी का रिश्ता बहुत ही पवित्र रिश्ता होता है और यह सांझेदारी का रिश्ता होता है। परंतु पति को कभी भी अपनी पत्नी के पैर नहीं छूना चाहिए क्योंकि इससे पत्नी को पाप लगता है।

जयतु सनातन धर्म🙏
जयतु सनातन संस्कृति 🙏🚩

हर हर महादेव🙏
22/07/2025

हर हर महादेव🙏

22/07/2025

गोरखनाथ मंदिर के महंत व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी यह वीडियो आपके हैंडल पर क्यों नहीं है...?
कौन देख रहा है आपका हैंडल...?
राजा अपनी प्रजा की सेवा दिन रात कर रहा है यह जनता को पता होना चाहिए...!
क्या कांवड़ और क्या बच्चे सबकी सुनवाई हो रही है...?

MYogiAdityanath

राधे राधे🙏
20/07/2025

राधे राधे🙏

खाना खाने तक के पैसे नहीं थे,फिर भी कभी कोई विक्टिम कार्ड नहीं,कोई शोषण की कहानी,गरीबी का रोना नहीं।ऐसे कितने ही गरीब पर...
18/02/2025

खाना खाने तक के पैसे नहीं थे,फिर भी कभी कोई विक्टिम कार्ड नहीं,कोई शोषण की कहानी,गरीबी का रोना नहीं।
ऐसे कितने ही गरीब परिवार होंगे...?

मुंबई इंडियंस की मालकिन नीता अंबानी जी ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में हार्दिक पांड्या को लेकर बड़ा खुलासा किया है।
नीता अंबानी ने कहा कि - एक द‍िन हमारे स्काउट्स दो दुबले-पतले लड़कों को लेकर आए।

उन लड़कों ने नीता अंबानी से बताया कि - "उन्होंने तीन साल से मैगी और नूडल्स के अलावा कुछ नहीं खाया, क्योंकि उनके पास पैसे नहीं हैं।"

ये दो लड़के थे विश्व प्रसिद्ध क्रिकेटर हार्दिक पांड्या और क्रुणाल पांड्या।

मुझे नहीं पता कि नीता अंबानी की बात पूरी तरह सच है या नहीं...लेकिन इतना पता है कि ये दोनों भाई बेहद गरीब परिवार से हैं।
लेकिन आज अपने मेहनत-लगन और परिश्रम से दुनियाभर में छाए हैं।

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