30/09/2025
महागौरी की कथा के अनुसार, मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की, जिससे उनका शरीर धूल और मिट्टी से काला पड़ गया. शिवजी ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उनके शरीर को गंगाजल से धोया, जिससे उनका रूप पुनः अत्यंत उज्ज्वल और श्वेत हो गया. इसी कारण उन्हें महागौरी कहा जाने लगा, जिसका अर्थ है 'अत्यंत श्वेत और सौम्य देवी'.
कथा विस्तार से:
तपस्या और काला पड़ना: मां पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए हज़ारों वर्षों तक कठोर तपस्या की. इस दौरान उन्होंने अन्न-जल का त्याग कर दिया और घने जंगलों में रहकर ध्यानमग्न रहीं. इस कठोर तपस्या के कारण उनका शरीर धूल, मिट्टी और पसीने से ढक गया और उनका वर्ण काला पड़ गया.
शिव का प्रसन्न होना: देवी की इस अटूट भक्ति और समर्पण से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए. उन्होंने देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वचन दिया.
गंगाजल से शुद्धिकरण: जब देवी ने स्नान किया, तो शिवजी ने उन्हें गंगाजल से शुद्ध किया. गंगा के पवित्र जल से स्नान करते ही उनका शरीर विद्युत के समान कांतिमान, अत्यंत उज्ज्वल और गौर वर्ण का हो गया.
नामकरण: इस अद्भुत परिवर्तन के बाद, उनका रंग श्वेत हो जाने के कारण ही उन्हें महागौरी कहा जाने लगा, जिसका अर्थ है 'अत्यंत श्वेत और सौम्य देवी'.
अन्य कथाएं:
एक अन्य कथा के अनुसार, जब शुंभ-निशुंभ राक्षसों ने धरती पर उत्पात मचाया, तो उनका वध केवल देवी शक्ति ही कर सकती थीं. इस दौरान शिवजी ने देवी पार्वती की काया को काला कर दिया. बाद में, तपस्या के बाद उन्हें मानसरोवर में स्नान करने का निर्देश मिला, जिसके बाद उनका रूप पुनः श्वेत हो गया और उन्हें कौशिकी नाम से जाना गया, जिन्होंने राक्षसों का वध किया. जय माता दी 🚩