26/10/2025
उस रात होटल में जो हुआ, उसने मेरी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल दी...
मुंबई की रातें हमेशा चमकदार होती हैं, लेकिन उस रात मेरे भीतर अंधेरा था। मैं ओबेरॉय होटल से बाहर निकली — थकी हुई, टूटी हुई और गहरी सोचों में डूबी। मेरे हाथ में वो बैग था, जिसमें एक मोबाइल था... और उसी में छिपी थी मेरी ज़िंदगी का सबसे बड़ा राज़। मैं 28 साल की प्रिया हूँ, ठाणे में रहती हूँ। शादी को पाँच साल हुए हैं। मेरे पति, रवि, कभी एक बेहतरीन इंजीनियर थे, लेकिन दो साल पहले हुए एक्सीडेंट ने उन्हें बिस्तर पर ला दिया। अब वो बोल नहीं पाते, चल नहीं पाते, बस अपनी आँखों से सब कह जाते हैं। मैं उनके लिए सब कुछ बन गई थी — उनकी नर्स, उनकी छाया, उनकी ज़िम्मेदारी। लेकिन उस ज़िम्मेदारी ने आज मुझे वहाँ पहुँचा दिया जहाँ मैं कभी जाना नहीं चाहती थी। उस दिन ऑफिस में मेरे बॉस, श्री वर्मा, ने मुझे अपने केबिन में बुलाया। उनकी बातों में हमेशा कुछ अजीब सा छिपा रहता था। उस दिन उन्होंने कहा — “प्रिया, अगर तुम चाहो तो तुम्हारे पति का इलाज मैं करवा सकता हूँ… बस मुझे थोड़ी सी मदद चाहिए।” मैंने सोचा, मदद मतलब क्या? उन्होंने एक कागज़ आगे बढ़ाया — उस पर लिखा था ₹5,00,000 का एडवांस पेमेंट। नीचे लिखा था — “प्राइवेट मीटिंग — ओबेरॉय होटल।” मेरे हाथ काँप गए, लेकिन रवि का चेहरा आँखों के सामने घूम गया। डॉक्टर ने कहा था कि इलाज में इतना ही खर्च आएगा। घर में खाने तक के पैसे नहीं बचे थे। रिश्तेदारों ने पहले ही मुँह मोड़ लिया था। उस रात मैं होटल गई। किसी के लिए वो एक सौदा था, मेरे लिए एक बलिदान। मैंने सिर्फ़ एक पत्नी बनकर नहीं, एक इंसान बनकर वो किया जो मेरे बस में था। जब सब खत्म हुआ, मैं बस इतना कह पाई — “क्या ये कीमत सही थी?” उन्होंने मुस्कुराकर कहा, “तुमने अच्छा किया, तुम्हारे पति को अब बचाया जा सकता है।” मैं चुप रही। कोई जवाब नहीं था मेरे पास। होटल से निकलते ही मैंने अपने फोन में बैंक मैसेज देखा — ₹5,00,000 ट्रांसफर। पर मेरा दिल किसी खाली कमरे की तरह गूंज रहा था। घर लौटी तो रवि वहीँ लेटे थे, जैसे रोज़। मैंने झूठ कहा — “आज ओवरटाइम था।” वो बस मुस्कुराए। मैं दलिया बनाते वक्त रो पड़ी। हर आँसू में अपराधबोध था, हर साँस में बोझ। तभी फोन फिर से वाइब्रेट हुआ — ₹10,00,000 और ट्रांसफर। नीचे लिखा था — “अगला इलाज हम करवा देंगे, लेकिन अब तुम हमें छोड़ नहीं सकती।” मेरे हाथ काँप गए। मैंने स्क्रीन को देखा और समझ गई… अब मेरी कहानी सिर्फ़ मेरे हाथ में नहीं रही।क्या चाहती हो कि मैं इसी का Part 2 बनाऊँ जिसमें पता चले कि उस पैसे के बाद प्रिया की ज़िंदगी कैसे उलझती जाती है — सस्पेंस और इमोशनल ट्विस्ट के साथ?