14/07/2025
ए माटी… जकरा लेल जिनगी भर पसिना बहैलौं,
आई ओही माटी में पड़ल दरार छै!😥
धान रोपि देलौं, आ ककरो त बाकी छै,
लेकिन अब खेत में पानी नैई छै…
हमर ई आँखि आसमान दिसा टकटकी लगा क देख रहल छै…"
सरकार के वादा त बहुत भेल,
मुदा सिंचाई नै आयल…
ई किसान के आँखि में उम्मीद छै,
शायद काल्हि बदरा बरसत…
शायद जिनगी फेर हरियर भ' जायत…
अगर खेत सूखल रहत,
त भोजनो सूखत…
कृपया किसान के मदद करी…
पानी, सिंचाई आ सहारा
ई जिनगी के सवाल छै!