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चीन का 'Deep Seek' अमेरिका के लिए चुनौती - चीन का नया AI टूल 'Deep Seek' अमेरिकी टेक कंपनियों को पछाड़ रहा है. यह  , गूग...
28/01/2025

चीन का 'Deep Seek' अमेरिका के लिए चुनौती - चीन का नया AI टूल 'Deep Seek' अमेरिकी टेक कंपनियों को पछाड़ रहा है.

यह , गूगल जेमिनी और अन्य AI मॉडल्स से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है. डीप सीक सटीक और तेज़ जवाब देने में सक्षम है, विशेषकर गणित और कोडिंग में.

इसे बनाने में अमेरिकी कंपनियों की तुलना में बहुत कम खर्च आया है.

||घर परिवार||आतिथ्य ही घर का वैभव है।प्रेम ही घर की प्रतिष्ठा है। व्यवस्था ही घर की शोभा है।समाधान ही घर का सुख है। सदाच...
18/01/2025

||घर परिवार||

आतिथ्य ही घर का वैभव है।
प्रेम ही घर की प्रतिष्ठा है।
व्यवस्था ही घर की शोभा है।
समाधान ही घर का सुख है।
सदाचार ही घर का सुवास है।
ऐसे घर में सदा प्रभु का वास है।।

नारी है घर की साम्राज्ञी, पुरुष बाहरी कार्याधीश। सेवक - सखा परस्पर दोनों, दोनों ही दोनों के ईश।।

खूब निखरता यों दोनों के मिलने से गृहस्थ का रूप।
प्रीति परस्पर बढ़ती, बढ़ता पल-पल सुख सौभाग्य अनूप।।

दोनों दोनों को सुख देते, रहते स्व-सुख कामना हीन।
स्वार्थ ना होने से दोनों का चित्त न होता कभी मलीन।।

यह घर हमारा नहीं, प्रभु का प्रेम मंदिर है, इस भावना से इसमें रहो। तुम्हारा घर ठाकुर जी का मंदिर बन जाए, इस तरह जीवन व्यतीत करो। जहां अतिथि का सम्मान है और नीति का धन है, वह घर बैकुंठ के समान है। मनुष्य घर का मालिक नहीं प्रभु का मुनीम है। गृहस्थाश्रम ही सबसे बड़ा आश्रम है। पूरा परिवार एक साथ बैठकर प्रभु प्रार्थना करें, यही गृहस्थ आश्रम परमानंद है।

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|| श्री कृष्ण  #अमृतवाणी ||वंदउँ सतगुरु के चरण, जाको कृष्ण कृपा सो प्यार।कृष्ण कृपा तन मन बसी, श्री कृष्ण कृपा आधार॥कृष्...
18/01/2025

|| श्री कृष्ण #अमृतवाणी ||

वंदउँ सतगुरु के चरण, जाको कृष्ण कृपा सो प्यार।
कृष्ण कृपा तन मन बसी, श्री कृष्ण कृपा आधार॥

कृष्ण कृपा सम बंधु नहीं, कृष्ण कृपा सम तात।
कृष्ण कृपा सम गुरु नहीं, कृष्ण कृपा सम मात॥

रे मन कृष्ण कृपामृत, बरस रहयो दिन रैन।
कृष्ण कृपा से विमुख तूं, कैसे पावे चैन॥

नित उठ कृष्ण-कृपामृत, पाठ करे मन लाय।
भक्ति ज्ञान वैराग्य संग, कृष्ण कृपा मिल जाय ॥

आसा कृष्ण कृपा की राख।
योनी कटे चौरासी लाख॥

कृष्ण-कृपा जीवन का सार।
करे तुरंत भव सागर पार॥

कृष्ण-कृपा जीवन का मूल।
खिले सदा भक्ति के फूल॥

कृष्ण-कृपा के बलि बलि जाऊँ।
कृष्ण-कृपा में सब सुख पाऊँ॥

कृष्ण-कृपा सत-चित आनंद।
प्रेम भक्ति की मिले सुगंध॥

कृष्ण-कृपा बिन शांति न पावे।
जीवन धन्य कृपा मिल जावे॥

सिमरो कृपा कृपा ही ध्याओ।
गाए-गाए श्री कृष्ण रिझाओ॥

असमय होय नही कोई हानि।
कृष्ण कृपा जो पावे प्राणी॥

वाणी का संयम बने,
जग अपना हो जाए।
तीन काल चहुँ दिशि में,
कृष्ण ही कृष्ण ही लखाय॥

कृष्ण-कृपा का कर गुण गान।
कृष्ण-कृपा है सबसे महान।।

सोवत जागत बिसरे नाहीं।
कृष्ण-कृपा राखो उर माहि

कृष्ण-कृपा मेटे भव भीत।
कृष्ण-कृपा से मन को जीत॥

आपद दूर-दूर ते भागे।
कृष्ण-कृपा कह नित जो जागे॥

सोवे कृष्ण-कृपा ही कह कर।
ले आनंद मोद हिय भरकर॥

खोटे स्वप्न तहाँ कोउ नाहिँ।
कृष्ण-कृपा रक्षक निसि माहिँ॥

खावे कृष्ण-कृपा मुख बोल।
कृष्ण-कृपा का जग में डोल ॥

कृष्ण-कृपा कह पीवे पानी।
परम सुधा सम होवे वानी॥

कृष्ण-कृपा को चाहकर,
भजन करो निस काम।
प्रेम मिले आनंद मिले,
होवे पूरण काम॥

कृष्ण-कृपा सब काम संवारे।
चिंताओं का भार उतारे॥

ईर्ष्या लोभ मोह-हंकार।
कृष्ण-कृपा से हो निस्तार॥

कृष्ण-कृपा शशि किरण समान ।
शीतल होय बुद्धि मन प्राण॥

कोटि जन्म की प्यास बुझावे।
कृष्ण-कृपा की बूंद जो पावे ॥

कृष्ण-कृपा की लो पतवार ।
झट हो जाओ भव से पार॥

कृष्ण-कृपा के रहो सहारे ।
जीवन नैया लगे किनारे ॥

कृष्ण-कृपा मेरे मन भावे ।
कृष्ण-कृपा सुख सम्मति लावे ॥

कृष्ण-कृपा की देखी रीत ।
बढ़े नित्य कान्हा संग प्रीत॥

कृष्ण-कृपा के आसरे,
भक्त रहे जो कोय।
वृद्धि होये धन-धान्य की,
घर में मंगल होये॥

कृष्ण-कृपा जग मंगल करनी।
कृष्ण कृपा ते पावन धरनी॥

तीन लोक में करे प्रकाशा।
कृष्ण-कृपा कह लेय उसासा ॥

कृष्ण-कृपा जग पावनी गंगा ।
कोटि -पाप करती क्षण भंगा॥

कृष्ण-कृपा अमृत की धार।
पीवत परमानन्द अपार॥

कृष्ण कृपा के रंगत प्यारी।
चढ़े प्रेम-आनंद खुमारी॥

उतरे नही उतारे कोय।
कृष्ण-कृपा संग गहरी होय॥

मीरा,गणिका,सदन कसाई।
कृष्ण-कृपा ते मुक्ति पाई ॥

व्याध,अजामिल ,गीध,अजान।
कृष्ण-कृपा ते भये महान ॥

भ्रमित जीव को चाहिये,
कृष्ण-कृपा को पाय ।
निश्चित हो जीवन सुखी,
सब संशय मिट जाय॥

कृष्ण-कृपा अविचल सुख धाम ।
कैसा मधुर मनोहर नाम॥

श्याम-श्याम निरंतर गावे ।
कृष्ण-कृपा सहजहिं मिल जावे ॥

ध्यावे कृष्ण-कृपा लौ लाय ।
सुरति दशम द्वार चढ़ि जाय॥

दिखे श्वेत -श्याम प्रकाश ।
पूरण होय जीव की आस॥

नाश होय अज्ञान अँधेरा।
कृष्ण-कृपा का होय सवेरा ॥

फेरा जन्म -मरण का छुटे ।
कृष्ण-कृपा का आनंद लूटे ॥

कृष्ण-कृपा ही हैं दुःख भंजन ।
कृष्ण-कृपा काटे भाव -बंधन ॥

कृष्ण-कृपा सब साधन का फल ।
कृष्ण-कृपा हैं निर्बल का बल ॥

तीन लोक तिहुँ काल में ,
वैरी रहे ना कोय।
कृष्ण-कृपा हिय धारि के ,
कृष्ण भरोसे होय॥

कृष्ण-कृपा ते मिटे दुरासा ।
राखो कृष्ण-कृपा की आसा ॥

कृष्ण-कृपा ते रोग नसावें ।
दुःख दारिद्र कभी पास न आवें॥

कृष्ण-कृपा मेटे अज्ञान ।
आत्म-स्वरूप का होवे भान ॥

कृष्ण-कृपा ते भक्ति पावे ।
मुक्ति सदा दास बन जावे॥

कृष्ण नाम हैं खेवन हार।
कृष्ण-कृपा से हो भव पार ॥

कृष्ण-कृपा ही नैया तेरी ।
पार लगे पल में भवबेरी ॥

कृष्ण-कृपा ही सच्चा मीत।
कृष्ण-कृपा ते ले जग जीत ॥

माता-पिता,गुरु,बन्धु जान।
कृष्ण-कृपा ते नाता मान ॥

काल आये पर मीत ना,
सुत दारा अरु मित्र।
सदा सहाय श्री कृष्ण-कृपा ,
मन्त्र हैं परम् पवित्र॥

कृष्ण-कृपा बरसे घन-वारी ।
भक्ति प्रेम की सरसे क्यारी॥

कृष्ण-कृपा सब दुःख नसावन ।
होवे तन-मन –जीवन पावन॥

कृष्ण-कृपा आत्म की भूख ।
विषय वासना जावे सूख॥

कृष्ण-कृपा ते चिंता नाहीं ।
कृष्ण-कृपा ही सच्चा साईं ॥

कृष्ण-कृपा दे सत् विश्राम ।
बोलो कृष्ण-कृपा निशि याम ॥

कृष्ण-कृपा बिन जीवन व्यर्थ ।
कृष्ण-कृपा ते मिटें अनर्थ॥

होये अनर्थ ना जीव का,
कृष्ण-कृपा जो पास ।
राखो हर पल हृदय में,
कृष्ण-कृपा की आस॥

कृष्ण-कृपा करो, कृष्ण-कृपा करो ।
कृष्ण-कृपा करो, कृष्ण-कृपा करो ॥
राधे-कृपा करो, राधे-कृपा करो ।
राधे-कृपा करो, राधे-कृपा करो ॥
सद्गुरु-कृपा करो, सद्गुरु-कृपा करो ।
सद्गुरु-कृपा करो, सद्गुरु-कृपा करो ॥
मो-पे कृपा करो, मो-पे कृपा करो ।
मो-पे कृपा करो, सब-पे कृपा करो ॥

श्री कृष्ण कृपा जीवन मेरा श्री कृष्ण कृपा मम प्राण
श्री कृष्ण कृपा करो सब विधि हो कल्याण

श्री कृष्ण कृपा विश्वास मम
श्री कृष्ण कृपा ही प्यास

रहे हरपल हर क्षण मुझे श्री कृष्ण कृपा की आस
राधा मम बाधा हरो श्री कृष्ण करो कल्याण

युगल छवि वंदन करो
जय जय राधे श्याम

वृन्दावन सो वन नही नन्द गांव सो गांव
वंशीवट सो वट नही श्री कृष्ण नाम सो नाम
सब द्वारन को छोड़ के में आया तेरे द्वार
श्री वृषभानु की लाडली जरा मेरी ओर निहार
राधे मेरी स्वामिनी मै राधे जी को दास
जन्म जन्म मोहे दीजियो श्री वृन्दावन को वास
धन वृन्दावन नाम है,धन वृदावन धाम
धन वृन्दावन रसिक जन ,सुमरे श्यामा श्याम
वृन्दावन सो वन नही, नन्द गाव सौ गाव
वंशी वट सो वट नही ,श्री कृष्ण नाम सो नाम

सब दारन कू छाड़ी, मै आयो तेरे दावर
श्री विश्भानु की लाडली जरा मेरी ओर निहार
राधे मेरी मात है ,पिता मेरे घनश्याम

इन दोनों के चरणों मै, मेरा कोटि कोटिप्रणाम
इन दोनों के चरणों मे मेरा बार बार प्रणाम …

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॥श्री लक्ष्मी अमृतवाणी॥विश्वप्रिया कमलेश्वरी, लक्ष्मी दया निधान,तिमिर हरो अज्ञान का, ज्ञान का दो वरदान।आठो सिद्धिया द्वा...
17/01/2025

॥श्री लक्ष्मी अमृतवाणी॥

विश्वप्रिया कमलेश्वरी, लक्ष्मी दया निधान,
तिमिर हरो अज्ञान का, ज्ञान का दो वरदान।
आठो सिद्धिया द्वार तेरे, खड़ी है माँ कर जोड़,
निज भक्तन की नाव को, तट की ओर तू मोड़।
निर्धन हम लाचार बड़े, तू है धन का कोष,
सुख की वर्षा करके माँ, हर लो दुःख का दोष।

(जय #लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता,
जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता। )

जीवन चंदा को मैया, ग्रहण लगा घनघोर,
डगमग डोले पग हमरे, हम मानव कमज़ोर,
महासुखदाई नाम तेरा, कर कष्टों का अंत
वनस्थली जैसी ये काया, दे दो इसे बसंत
दिव्य रूप नारायणी, पारस है तेरा धाम,
तेरे सुमिरन से होते, संतन के सिद्ध काज।

(जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता,
जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता। )

स्वर्ण सी तेरी कांति, भय का करती नाश,
तेरी करुणा से टूटे, हर जंजाल का पाश,
मैया शोक विनाशिनी, ऐसा करो उपकार,
जीवन नौका हो जाए, भवसिंधु से पार,
शेष की सैया बैठ के, सकल विश्व को देख,
तेरी दृष्टि में मैया, हर मस्तक की रेख।

(जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता,
जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता। )

सिंधु सुता भागेश्वरी, दीजो भाग्य जगाय,
तज के जग को हम तेरी, शरण गए हैं आय,
तू बैकुंठ निवासिनी, हम नरकों के जीव
प्राणहीन ये देह कहे, कर दो हमें सजीव,
कमला वैभव लक्ष्मी, सुख सिद्धि तेरे पास,
सागर तट पे हम प्यासे, मैया बुझा दो प्यास।

(जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता,
जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता। )

धन धान्य से घर हमरे, सदा रहे भरपूर,
हर्ष के फूल खिलाय के, कांटे कर दो दूर,
तेरी अलौकिक माया से, भागे दुःख संताप,
रोम रोम माँ करे तेरा, मंगलकारी जाप,
हरि की है अर्धांगिनी, कृपा की दृष्टि कर,
अन्न धन संपत्ति से माँ भरा रहे ये घर।

(जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता,
जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता। )

सागर मंथन से प्रकटी, ज्योति अपरम्पार,
मन से चिंतन हम करे, सबकी चिंता हर,
मन से चिंतन हम करे, सबकी चिंता हर,
मन से चिंतन हम करे, सबकी चिंता हर।

जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता,
जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता...

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#श्री #लक्ष्मी #अमृतवाणी

|| श्री पितर जी वंदना ||दोहा - पितरा को पद सबसूं ऊंचो, घर का देव कहावे। बड़ा बुजुर्ग भी याही कहता, बड़का आडा आवे।।जय जय ...
17/01/2025

|| श्री पितर जी वंदना ||

दोहा -
पितरा को पद सबसूं ऊंचो, घर का देव कहावे।
बड़ा बुजुर्ग भी याही कहता, बड़का आडा आवे।।

जय जय पितरजी महाराज, मैं शरण पड़यों हूं थारी।
आप ही रक्षक, आप ही दाता, आप ही खेवन हारे।
मैं मूरख हूं, कुछ नहीं जानू, आप ही हो रखवारे||1||
जय...

आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी, करने म्हारी रखवारी।
हम सब जन है शरण आपकी, यह थारी फुलवारी||2||
जय...

देश और परदेश सब जगह, आप ही करो सहाई।
काम पड़े पर नाम आपको, लगे बहुत सुखदाई||3||
जय...

मैं भी आयो शरण आपकी, अपने सहित परिवार।
रक्षा करो आप ही सबकी, रटूं मैं बारंबार||4||
जय...

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क्या आप जानते हैं कि 20वीं सदी की शुरुआत में घोड़ों के मल से इतना प्रदूषण फैलता था कि कारों को हरे विकल्प के रूप में देख...
16/01/2025

क्या आप जानते हैं कि 20वीं सदी की शुरुआत में घोड़ों के मल से इतना प्रदूषण फैलता था कि कारों को हरे विकल्प के रूप में देखा जाने लगा था...

🎯 Horse Manure Crisis (घोड़े का मल संकट) -

"Great Horse Manure Crisis of 1894" उन समस्याओं को दर्शाता है जो 19वीं सदी के अंत में शहरी केंद्रों को घोड़ों के व्यापक उपयोग के कारण झेलनी पड़ी। लंदन और न्यूयॉर्क जैसे शहर घोड़े से खींचे जाने वाले वाहनों पर बहुत अधिक निर्भर थे, जिससे पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ा।

👉 Key Details:👉

1. घोड़े का उपयोग और मल प्रदूषण

19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में घोड़े शहरी परिवहन के मुख्य साधन थे।
घोड़े गाड़ियों, ट्रामों, और अन्य सामान ले जाने वाले वाहनों को खींचते थे।

एक औसत घोड़ा प्रतिदिन 15-35 पाउंड (7-16 किलोग्राम) मल त्याग करता था। बड़े शहरों में हजारों घोड़ों के उपयोग के कारण मल और मूत्र का ढेर जमा हो जाता था, जिससे अस्वच्छ स्थितियां, बदबू, दुर्गंध, कीटाणु, और बीमारियां फैलती थीं।

उदाहरण के लिए, न्यूयॉर्क शहर में लगभग 1,00,000 घोड़े थे, जो प्रतिदिन लगभग 2.5 मिलियन पाउंड मल उत्पन्न करते थे।

2. स्वास्थ्य संबंधी खतरे:

मल के जमाव ने मक्खियों और अन्य रोगवाहक कीटों को आकर्षित किया, जिससे बीमारियां फैलने लगीं। यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा बन गया।

3. कथित भविष्यवाणियां:

ऐसा कहा जाता है कि 1894 में द टाइम्स ऑफ लंदन ने भविष्यवाणी की थी कि अगले 50 वर्षों में शहरों की सड़कों पर 9 फीट गहरा मल जमा हो जाएगा।
हालांकि, इस विशेष लेख का कोई प्रमाण नहीं है, और द टाइम्स ने इसकी प्रामाणिकता से इनकार किया है।

4. शहरी योजना की चिंताएं:

मल के जमाव की समस्या इतनी गंभीर थी कि दावा किया गया 1898 में एक शहरी योजना सम्मेलन मल संकट के समाधान की कमी के कारण जल्दी समाप्त हो गया।
हालांकि, इस घटना के समर्थन में ठोस साक्ष्य नहीं हैं, और यह अधिकतर किस्सा भर लगता है।

5. तकनीकी समाधान और कारों का आगमन:

20वीं सदी की शुरुआत में आंतरिक दहन इंजन वाली कारों का आविष्कार हुआ, मोटर गाड़ियों का आविष्कार इस संकट का अप्रत्याशित समाधान बना।

जैसे-जैसे कारों का प्रचलन बढ़ा, घोड़ों पर निर्भरता कम हुई और मल प्रदूषण की समस्या भी घटने लगी। कारों के कारण शहरों में सफाई और स्वास्थ्य स्थितियों में सुधार हुआ। 1920 तक, कारें अमेरिका और यूरोप के कई शहरों में आम हो चुकी थीं।

6. नए प्रदूषण का उदय:

हालांकि कारों ने घोड़े के मल के प्रदूषण को खत्म कर दिया, लेकिन इसके बदले वायु प्रदूषण (धुआं और कार्बन उत्सर्जन) जैसी नई समस्याएं उभरीं।

7. सामाजिक दृष्टिकोण

1898 में न्यूयॉर्क शहर में "घोड़े के मल संकट" (Horse Manure Crisis) चर्चा का विषय बना था।

उस समय यह सोचा जा रहा था कि शहर इस संकट को कभी हल नहीं कर पाएंगे।
लेकिन कारों के आगमन ने इस संकट का अप्रत्याशित समाधान प्रस्तुत किया।

8. निष्कर्ष

"Great Horse Manure Crisis of 1894" यह दिखाता है कि बढ़ते शहरी केंद्रों में घोड़ों पर निर्भरता से पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी कितनी गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। हालांकि, संकट से जुड़ी कुछ अतिरंजित बातें प्रमाणित नहीं हुई हैं।

घोड़े के मल का प्रदूषण और कारों के बीच का संबंध परिवहन तकनीक में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।

कारों का उपयोग इस समस्या को हल करने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ, जिसने शहरी परिवहन और सार्वजनिक स्वास्थ्य में क्रांतिकारी बदलाव लाया। कारों ने शहरी जीवन को अधिक व्यवस्थित और स्वच्छ बनाया, लेकिन यह तकनीकी विकास अपने साथ नई चुनौतियां भी लेकर आया।
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The Rise of Nationalism in Europe (Part-1) : यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय (UPSC)
29/12/2024

The Rise of Nationalism in Europe (Part-1) : यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय (UPSC)

फ्रांस के लोगों के पास कोई शक्ति या अधिकार (Power) नहीं थे. राजा जैसा कहता था, लोगों को वैसा ही करना पड़ता था. राजा का बेटा ...

॥शिव भजन॥धन्य धन्य भोलेनाथ बांट दिये, तीनों लोक पल भर में।ऐसे दीन दयाल मेरे शम्भू, भरो खजाना पलभर में॥प्रथम वेद तो ब्रह्...
13/10/2024

॥शिव भजन॥

धन्य धन्य भोलेनाथ बांट दिये,
तीनों लोक पल भर में।
ऐसे दीन दयाल मेरे शम्भू,
भरो खजाना पलभर में॥

प्रथम वेद तो ब्रह्मा को दे दिया,
बने वेद के अधिकारी।
विष्णु को दिया चक्र सुदर्शन,
लक्ष्मी सी सुन्दर नारी॥

इन्द्र को दिया कामधेनु,
और ऐरावत सा बलकारी।
कुबेर को सारी वसुधा का,
बना दिया यो अधिकारी॥

अपने पास पात्र नही रखा,
मगन रहे बाघम्बर में।
ऐसे दीन दयाल मेरे शम्भू,
भरो खजाना पलभर में॥1॥

अमृत तो देवताओं को दे दिया,
आप हलाहल पान किया।
ब्रह्मज्ञान दे दिया उसी को,
जिसने शिव तेरा ध्यान किया॥

भागीरथ को दे दी गंगा,
सब जग ने स्नान किया।
बड़े बड़े पापियों को तारा,
पलभर में कल्याण किया॥

धन्य धन्य भोलेनाथ बांट दिये,
तीनों लोक पल भर में।
ऐसे दीन दयाल मेरे शम्भू,
भरो खजाना पलभर में ॥2॥

लंका तो रावण को दे दी,
बीस भुजा दस शीश दिये।
रामचंद्र को धनुष बाण,
और हनुमत को जगदीश दिये॥

मनमोहन को दे दी मोहनी,
और मोर मुकुट बख्शीश दिये।
मुक्त हुये काशी के वासी,
भक्ति में जगदीश दिये॥

अपने तन पे वस्त्र ना राख्या,
मगन रहे बाघम्बर में।
ऐसे दीन दयाल मेरे शम्भू,
भरो खजाना पलभर में ॥3॥

वीणा तो नारद को दे दी,
गंधर्वों को राग दिए।
ब्राह्मण को दिया कर्मकांड,
और संन्यासी को त्याग दिया॥

जिसपे तुम्हरी कृपा हुई,
तुमने उसको तो अनुराग दिया।
जिसने ध्याया उसी ने पाया,
महादेव तुम्हरे वर में॥

प्रभु मगन रहो आप पर्वत ऊपर,
और पिओ भांग नित खप्पर में।
ऐसे दीन दयाल मेरे शम्भू,
भरो खजाना पलभर में ॥4॥

धन्य धन्य भोलेनाथ बांट दिये,
तीनों लोक पल भर में।
ऐसे दीन दयाल मेरे शम्भू,
भरो खजाना पलभर में॥

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15/08/2024

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