03/07/2025
उदयपुर, बांसवाड़ा, बाड़मेर और रानीवाड़ा के दुग्ध उत्पादकों को 2 रुपये प्रति लीटर अतिरिक्त बोनस, मिलेगा 370 रुपये में 2.5 लाख का स्वास्थ्य और 14 रुपये में 5 लाख का दुर्घटना बीमा -लाभान्वित होंगे चार जिलों के 20 हजार से ज्यादा पशुपालक*
जयपुर । डेयरी विभाग स्टेट बॉर्डर के जिलों के दुग्ध संघों को और अधिक सुदृढ़ करेगा। इसके लिए गुजरात बॉर्डर से सटे चार जिला दुग्ध संघ उदयपुर, बांसवाड़ा, बाड़मेर और रानीवाड़ा (जालौर) के लिए एक विशेष पॉलिसी बनाई जा रही है। इन जिलों के रजिस्टर्ड दुग्ध उत्पादक पशुपालकों के कल्याण तथा डेयरी प्लांट्स के अपग्रेडेशन के लिए विशेष कार्ययोजना बनाई गई है। डेयरी, पशुपालन, गोपालन एवं देवस्थान मंत्री श्री जोराराम कुमावत ने इस कार्ययोजना की क्रियान्विति के लिए राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फैडरेशन की एमडी श्रीमती श्रुति भारद्वाज को निर्देशित किया है।
दुग्ध उत्पादकों को मिलेगा अतिरिक्त बोनस
स्टेट बॉर्डर पॉलिसी के तहत इन जिलों के दुग्ध उत्पादक पशुपालक किसानों को मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना में मिलने वाले 5 रुपए अनुदान के अतिरिक्त दो रुपए प्रति लीटर बोनस देने की योजना है। इन चारों जिला संघों में रोजाना औसतन एक लाख 75 हजार किलो दूध का संकलन होता है। इसके तहत कुल 20 हजार 786 दुग्ध उत्पादक किसान लाभान्वित होंगे। इनमें उदयपुर डेयरी के 11 हजार 447, रानीवाड़ा-जालौर के 5160, बाड़मेर के 2226 तथा बांसवाड़ा डेयरी संघ के 1953 पशुपालक किसान लाभान्वित होंगे।
10 फीसदी प्रीमियम पर मिलेगा हेल्थ कवर
इस योजना के तहत उक्त चार दुग्ध संघों के रजिस्टर्ड पशुपालक किसान के कुल चार सदस्यों का महज 370 रुपए यानी कुल प्रीमियम की 10 फीसदी राशि में ढाई लाख रुपए तक का स्वास्थ्य बीमा होगा। इसके अलावा केवल 14 रुपए में पांच लाख रुपए का दुर्घटना बीमा किया जाएगा। इसमें बीमाधारक की हादसे में मौत होने पर आश्रित परिवार को पांच लाख रुपए का भुगतान किया जाएगा। यदि हादसे में बीमाधारक अपंग हो जाता है तो उसे ढाई लाख रुपए की सहायता राशि दी जाएगी। योजना में शेष 90 फीसदी प्रीमियम राशि आरसीडीएफ व संबंधित दुग्ध संघ वहन करेगा।
*सामाजिक दायित्व निभाएगा आरसीडीएफ—*
श्री जोराराम कुमावत ने बताया कि रजिस्टर्ड पशुपालक किसानों की बेटी के विवाह में भी आरसीडीएफ अपना सामाजिक दायित्व निभाएगा। इसके तहत ’सरस लाडो मायरा योजना’ इन जिलों में लागू करने की योजना है। सरकार के सहयोग से इन जिलों के रजिस्टर्ड करीब 20 हजार से ज्यादा दुग्ध उत्पादक किसानों की बेटियों की शादी में 21 हजार रुपए का पारंपरिक मायरा दिया जाएगा। यह योजना सामाजिक परंपरा को निभाने के साथ-साथ आर्थिक सहारा भी प्रदान करेगी। श्री कुमावत ने बताया कि यह योजना केवल आर्थिक मदद नहीं बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव का माध्यम है। इसका उदेश्य लिंगानुपात सुधारना, बेटियों के जन्म को प्रोत्साहन देना और बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों को रोकना है। इससे किसानों विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर किसानों को राहत मिलेगी।