29/09/2025
वर्ष 1986 में विश्व को राज कॉमिक्स की एक अनूठी भेंट।
नागराज की सफलता के चार गौरवशाली दशक।
नागराज आतंकवाद के सफाए के अपने सफ़र पर निकल पड़ा|
राज कॉमिक्स अंक-19, नागराज कॉमिक्स संख्या-2. प्रथम कॉमिक्स में नाग मानव का जन्म हुआ और दूसरी ही कॉमिक्स का नाम रखा गया *नागराज की कब्र* इस कॉमिक्स के अंत में नागराज की कब्र बना दी गयी|
नागराज का तो जन्म ही संघर्ष और चुनौतियों से जुड़ा हुआ था| प्रताप मुलिक जी ने पहली कॉमिक्स बनाने के बाद संदेसा भेजा कि अब वो आगे नागराज कॉमिक्स बनाने का काम जारी नहीं रख पायेंगे क्योंकि उन्हें हैदराबाद के किसी स्टूडियो ने एनीमेशन प्रोजेक्ट के लिए अनुबंधित कर लिया था| घोर निराशा हुई| प्रताप जी से ही कहा कि मान्यवर अँधेरी बदरी के साम्राज्य से आप ही उबारें| आप ही किसी बेहतर चित्रकार के बारे में सुझाएँ| तब मुलिक जी ने अपने मित्र श्री संजय अष्टपुत्रे जी का नाम सुझाया| श्री संजय जी ने नागराज की इस द्वित्य कॉमिक्स की चित्रकारी की|
चित्रकार के बदल जाने पर काफी बदलाव आ जाते हैं, जिन्हें आप प्रस्तुत आवरण चित्र में देख सकते हैं| शल्कों में, केश विन्यास (हेयर स्टाइल), चेहरे, हाव-भाव, शारीरिक गठन इत्यादि में काफी अंतर हैं| यहाँ तक कि नागराज ने दस्ताने पहने हुए हैं| इन सबके पीछे एक बड़ा कारण संपर्क साधनों की सुविधा का सिमित होना था| यह आवरण हस्त निर्मित था| और कई दिनों का डाक सफ़र करके दिल्ली पहुंचा था इसकी कमियां ठीक कराने के लिए वापस लम्बे डाक सफ़र पर भेजना जोकि इसके खो जाने के डर से भी घिरा था| जैसा था वैसा ही इस्तेमाल कर लिया गया|
नागराज ने असम के इस सफ़र में बुलडॉग से टक्कर ली जिसमें उसका मित्र बना रोमो|
यह कॉमिक्स हमारे ऑनलाइन स्टोर पर नागराज की शुरूआती 5 कॉमिक्स के संकलन के डाइजेस्ट के रूप में उपलब्ध है|
नागराज का सफ़र कथा का सफ़र आगे जारी रहेगा|
आपका संजय गुप्ता|