
15/07/2025
ना कोई टी-शर्ट हवा में लहराई...
ना कोई गर्जना हुई...
क्योंकि टीम के बाक़ी खिलाड़ी सिर झुकाए खड़े थे।
सिर्फ एक खिलाड़ी था,
जो सीना ठोककर मैदान में डटा रहा —
"रवींद्र जडेजा!"
अगर टीम में होते 11 जडेजा…
तो शायद आज लॉर्ड्स की बालकनी में फिर कोई टी-शर्ट लहरा रही होती…
और इतिहास फिर से लिखा जा रहा होता।
यह सिर्फ एक हार नहीं थी...
यह एक सीख थी — जज़्बा हो, तो अकेला भी बहुत कुछ बदल सकता है।