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 #अलाउद्दीन खिलजी (१२९०- १२९६) ने उसके सुल्तान की अनुमति से भैल्सा ( #भीलसा) की ओर कूच किया। उसने कुछ कांस्य मूर्तियाँ, ...
12/07/2025

#अलाउद्दीन खिलजी (१२९०- १२९६) ने उसके सुल्तान की अनुमति से भैल्सा ( #भीलसा) की ओर कूच किया। उसने कुछ कांस्य मूर्तियाँ, जिनकी #हिंदू पूजा करते थे, जब्त कर लीं और उन्हें गाड़ियों पर लादकर विभिन्न प्रकार की #बहुमूल्य लूट के सामान के साथ #सुल्तान को उपहार स्वरूप भेज दिया। प्रमुख #मूर्तियों को बदायूँ (मस्जिद) द्वार (सीढ़ियों) पर इस्लामिक श्रद्धालुओं के पैरों तले रौंदे जाने हेतु रख दिया गया।

#इतिहास

Ref. Elliot and Dowson. Vol. III, p.148.
Dr. Mu�în-ul-Haq (Urdu translation of Baranî. Lahore, 1983, p. 335).

[ Bhilsa - Vidisha (मध्यप्रदेश) ]

कठोपनिषद में यम और नचिकेता का संवाद भारतीय दर्शन की एक गहन और प्रेरणादायक कथा है, जिसमें आत्मा, मृत्यु और मोक्ष के रहस्य...
22/05/2025

कठोपनिषद में यम और नचिकेता का संवाद भारतीय दर्शन की एक गहन और प्रेरणादायक कथा है, जिसमें आत्मा, मृत्यु और मोक्ष के रहस्यों पर विमर्श होता है। यह संवाद कठ शाखा के कृष्ण यजुर्वेद से सम्बद्ध उपनिषद में वर्णित है और इसे मुक्ति के ज्ञान की एक उत्कृष्ट प्रस्तुति माना गया है। नीचे मैं इसका विस्तार से वर्णन कर रहा हूँ, संदर्भों के साथ:

कथा का प्रारंभ: नचिकेता का बलिदान हेतु समर्पण

कथा के अनुसार, एक महान ऋषि वाजश्रवस् ने स्वर्गलोक की प्राप्ति के लिए एक यज्ञ (विशेष रूप से विश्वजित यज्ञ) किया और उसमें अपनी सारी संपत्ति दान कर दी। किन्तु वह केवल बूढ़ी, दुर्गुणयुक्त गौओं को दान में देने लगे। यह देखकर उनका पुत्र नचिकेता, जो केवल 8–12 वर्ष का तेजस्वी और सत्यनिष्ठ बालक था, चकित हो उठा।

नचिकेता ने सोचा:
"हीन गौओं का दान देकर पिता कौन-सा पुण्य प्राप्त करेंगे?"
और वह बार-बार अपने पिता से पूछने लगा:
"कस्मै मां दास्यसि?"
(हे पिताजी! आप मुझे किसे दान देंगे?)

वाजश्रवस् क्रोधित होकर बोले:
"मृत्यवे त्वा ददामि"
(मैं तुझे मृत्यु को दे दूँगा।)

नचिकेता ने इसे आदेश मानकर, पितृ आज्ञा का पालन करते हुए मृत्यु के लोक, यमलोक की ओर प्रस्थान किया।
यमलोक में नचिकेता की प्रतीक्षा और यम का आगमन

नचिकेता यमलोक पहुँच गया, परन्तु यमराज वहाँ नहीं थे। नचिकेता ने बिना खाए-पीए तीन दिन तक यम के द्वार पर प्रतीक्षा की। जब यम लौटे तो उन्होंने नचिकेता की अतिथि-सेवा न कर पाने को अपराध माना और क्षमा मांगते हुए उसे तीन वर (boons) देने का वचन दिया – एक-एक प्रत्येक दिन के लिए।

नचिकेता के तीन वरदान

1. पहला वर:

पिता का क्रोध शांत हो, मुझे देखकर वह प्रसन्न हों।

यमराज ने वरदान दिया कि वाजश्रवस् पुत्र को देखकर प्रसन्न होंगे और उसके हृदय में कोई शोक नहीं रहेगा।
(कठोपनिषद, अध्याय 1, वल्ली 1, मंत्र 11)

2. दूसरा वर:

स्वर्गलोक और उसके कर्मों का ज्ञान।

नचिकेता ने स्वर्ग की अग्नि (यज्ञ) के ज्ञान की इच्छा की, जिससे स्वर्ग की प्राप्ति हो सके।

यमराज ने उसे नचिकेता अग्नि का उपदेश दिया और वह यज्ञ नचिकेताग्नि के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
(कठोपनिषद, अध्याय 1, वल्ली 1, मंत्र 14-19)

3. तीसरा वर (मुख्य और गूढ़तम):

"मृत्योऽत् परे कं तद्स्यादिति — मृत्यु के पार क्या है? आत्मा मरती है या नहीं?"

यही प्रश्न इस संवाद का केंद्र बिंदु है।

नचिकेता ने पूछा:
"एतद्विदित्वा मुनयो मोदन्ते — यह जानकर ज्ञानी आनंदित होते हैं, कृपया मुझे यह ज्ञान दीजिए।"
(कठोपनिषद, अध्याय 1, वल्ली 1, मंत्र 20)

यम की परीक्षा और आत्मा का ज्ञान

यमराज ने नचिकेता की परीक्षा ली और उसे कई सांसारिक लोभ दिए:

दीर्घायु, पुत्र, धन, रथ, नारी, संगीत आदि।

परंतु नचिकेता अडिग रहा:
"अव्ययेन तु मा मोघं कुरु — इन क्षणभंगुर सुखों से मुझे संतोष नहीं है।"

फिर यमराज ने आत्मा का ज्ञान दिया:

मुख्य उपदेश:

आत्मा नित्य, अजन्मा और अविनाशी है।
"न जायते म्रियते वा कदाचित्..."
(ना आत्मा जन्म लेती है, ना मरती है — कठोप. 1.2.18)

शरीर नष्ट होता है, पर आत्मा नहीं।

श्रेय और प्रेय का विवेक:
मनुष्य के जीवन में दो मार्ग होते हैं —
श्रेय: कल्याण का मार्ग
प्रेय: प्रिय वस्तुओं का मार्ग
ज्ञानी व्यक्ति श्रेय का चयन करता है।
(कठोप. 1.2.1–2)

बुद्धि और इंद्रियों का रूपक:
शरीर एक रथ है, आत्मा उसका स्वामी, बुद्धि सारथी और इंद्रियाँ घोड़े हैं।
(कठोप. 1.3.3–9)

ब्रह्मविद्या का उपदेश:
नचिकेता को यमराज ने बताया कि आत्मा को केवल बुद्धि, ध्यान और वैराग्य से जाना जा सकता है। यह ज्ञान गुरु से प्राप्त होता है।

नचिकेता को मोक्ष प्राप्ति

नचिकेता, जो आत्मज्ञान के लिए जिज्ञासु और दृढ़ था, यमराज के उपदेश को समझ गया।
अंत में उसे ब्रह्मविद्या का बोध हुआ और
"नचिकेता मृत्यु से परे सत्य को जान गया।"

05/02/2025

क्या पानी में भी दिमाग होता है तथा वो चीजों को याद रख सकता है । जानिए वैज्ञानिकों का क्या कहना है -

 #अयोध्या का  #श्रीराम मंदिर उत्तरप्रदेश का सबसे बड़ा पर्यटक स्थल बना तथा इसने  #ताजमहल को भी पीछे छोड़ दिया है । अब कहा...
31/12/2024

#अयोध्या का #श्रीराम मंदिर उत्तरप्रदेश का सबसे बड़ा पर्यटक स्थल बना तथा इसने #ताजमहल को भी पीछे छोड़ दिया है । अब कहां है वो लोग जो कहते थे मंदिर बनाने से गरीबों का क्या फायदा?

आज इस एक मंदिर से अयोध्या के लाखों गरीबों का घर चल रहा है तथा सरकार को भी रेवेन्यू मिल रहा है । सोचो अगर उन सभी प्राचीन #मंदिरों को पुनः जीवित कर दिया जाए जिन्हें विदेशी आक्रांताओं ने ध्वस्त किया था तो भारत का आत्मसम्मान एवं स्वाभिमान तो बढ़ेगा ही साथ ही करोड़ों लोगों को रोजगार भी मिलेगा ।

 #कोणार्क चक्र और काल गणना - ●कोणार्क चक्र ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर में स्थित है ।●इसमें 8 चौड़ी तीलियाँ और 8 पतली त...
27/10/2024

#कोणार्क चक्र और काल गणना -
●कोणार्क चक्र ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर में स्थित है ।
●इसमें 8 चौड़ी तीलियाँ और 8 पतली तीलियाँ हैं।
●2 चौड़ी तीलियों के बीच की दूरी 3 घंटे है ।
●पतली तीली और चौड़ी तीली के बीच की दूरी 1.5 घंटे है ।
●एक चौड़ी तीली से अगली पतली तीली के बीच 30 मनके हैं और प्रत्येक मनका 3 मिनट दर्शाता है।
●सूर्य डायल वामावर्त दिशा में समय दिखाता है ।
●शीर्ष केंद्र की चौड़ी तीली मध्यरात्रि के 12 बजे को दर्शाती है।

#कोणार्क चक्र का उपयोग करके समय कैसे देखें -
धुरी के केंद्र में उंगली/छड़ी रखें और उंगली की छाया दिन का सटीक समय दिखाती है।

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