13/07/2025
🌿 संत सेवालाल महाराज की जीवन कथा
📜 जन्म और प्रारंभिक जीवन:
संत सेवालाल महाराज का जन्म 15 फरवरी 1739 को शिंगणापुर (अब महाराष्ट्र के कर्नाटक सीमा के पास) में हुआ था। उनके पिता का नाम धनाजी राठोड़ और माता का नाम पार्वतीबाई था। वे बंजारा समाज के गोर बंजारा समूह से संबंधित थे।
बचपन से ही सेवालाल में आध्यात्मिक प्रवृत्ति और समाज सुधार की भावना देखी गई। वे न केवल बंजारा समाज बल्कि पूरे समाज में फैले अंधविश्वास, नशा, जातीय भेदभाव और कुरीतियों के विरोधी थे।
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🙏 संत सेवालाल महाराज का उद्देश्य:
सेवालाल महाराज ने जीवन भर सदाचार, सच्चाई, अहिंसा, और आत्म-संयम का प्रचार किया। उन्होंने बंजारा समाज में व्याप्त निम्नलिखित बुराइयों के खिलाफ संघर्ष किया:
शराब पीना
चोरी
अंधविश्वास
जात-पात में भेदभाव
शिक्षा से दूरी
वे कहते थे,
> "ज्ञान ही सच्चा धन है, और सेवा ही सबसे बड़ी पूजा।"
🕉️ आध्यात्मिक दृष्टिकोण:
सेवालाल महाराज किसी भी धर्म की आलोचना नहीं करते थे। उनका मानना था कि सत्य एक है, मार्ग अनेक। वे राम, कृष्ण, अल्लाह, ईश्वर सभी को एक ही शक्ति के रूप में मानते थे। वे बिना मंदिर-मस्जिद के लोगों को आध्यात्मिकता सिखाते थे।
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🎤 उपदेश और यात्रा:
उन्होंने भारत के कई राज्यों — महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्यप्रदेश और राजस्थान — की यात्रा की और समाज को नैतिकता और मानवता का पाठ पढ़ाया।
उनके उपदेश कविता और लोकगीतों के रूप में होते थे, जिसे बंजारा लोग आज भी गाते हैं।
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🕯️ महापरिनिर्वाण (मृत्यु):
संत सेवालाल महाराज ने 4 दिसंबर 1806 को मनूर (जिला वाशिम, महाराष्ट्र) में अंतिम सांस ली। वहां आज एक भव्य समाधी मंदिर स्थित है जिसे बंजारा समाज तीर्थ के रूप में मानता है।
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🌺 सेवालाल महाराज की प्रमुख शिक्षाएं:
1. सत्य बोलो, छल मत करो।
2. सेवा सबसे बड़ा धर्म है।
3. नशा त्यागो, मेहनत से जीवन जियो।
4. शिक्षा प्राप्त करो और दूसरों को भी सिखाओ।
5. सभी धर्मों का सम्मान करो।
🏞️ महत्व और आज का प्रभाव:
आज भी लाखों बंजारा परिवार संत सेवालाल महाराज के बताए मार्ग पर चलने की कोशिश करते हैं। हर वर्ष फरवरी माह में सेवालाल महाराज की जयंती बड़े धूमधाम से मनाई जाती है — विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना में।
Dr Umesh Jadhav