07/10/2025
दशहरा या विजयादशमी के दिन माँ दुर्गा की विदाई का क्षण भावुक और श्रद्धा से भरा होता है। नवरात्रि के नौ दिन तक माता के स्वागत, पूजा और आशीर्वाद पाने के बाद यह समय आता है जब भक्त उन्हें विदा करते हैं। इसे *“दुर्गा विसर्जन”* कहा जाता है।
विदाई का अर्थ यह नहीं कि माँ हमें छोड़कर चली जाती हैं, बल्कि यह विश्वास है कि वे अपने धाम लौटकर पुनः अगले वर्ष आएँगी और भक्तों का कल्याण करेंगी। इस दिन लोग माता को आँसुओं और गीतों के साथ विदा करते हुए कहते हैं—
**“आसछे बोछोर अबार होबे”** (अगले साल फिर होगा)।
माँ की मूर्ति को नदी या तालाब में विसर्जित किया जाता है, जो यह दर्शाता है कि शक्ति सर्वत्र व्याप्त है और मिट्टी से बनी प्रतिमा पुनः मिट्टी में मिलकर सृष्टि-चक्र को पूर्ण करती है।
👉 इस समय लोग माता से आशीर्वाद माँगते हैं कि घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहे और आने वाले वर्ष में फिर से उनके दर्शन हों।