07/07/2023
https://youtu.be/U2OsuPwGZJ8
हो सके तो लौट कर आना....
आज मन बहुत विचलित हुआ और जीवन नश्वर है फिर याद आया.....
मगन देवासी बेड़ा (बाली) एक परिचय।
एक छोटे से गांव में मध्यम परिवार में जन्मे बालक की पढ़ाई गांव में ही हुई, प्रतिभा के धनी मगन भाई ने परिवार की आर्थिक हालातो के मध्यनजर छोटी उम्र में ही दोस्तो के संग प्रवास के रुख कर लिया था, कुछ पाने की ललक और बड़े सपनो ने उन्हें जल्दी ही बिज़नेस मैन बना लिया, देखते ही देखते कड़ी मेहनत से व्यापार में अच्छा मुकाम हासिल कर लिया, जीवन अपना रूप बदलता है फिर व्यापार में भारी नुकसान के बावजूद भी लगातार प्रयास करते रहे और नए काम की खोज में मेहनत करते रहे, आखिर काफी मेहनत से दोस्तो के सहयोग से छोटे भाई के साथ हैदराबाद में व्यापार का क्रम जारी था तभी बीच मे दुनिया छोड़कर चले गए । मेरी मुलाकात 2011 में किसी दोस्त के माध्यम से हुई थी पर पहली मुकालात ने उनके दिल फेक अंदाज़ ने दीवाना बना दिया, इस दोस्ती के सफर में बहुत खट्टी मीठी यादे है पर जितना याद करू, उतनी ही अब तकलीफ होगी पर बात उनके रॉयल मिज़ाज़ की कर लेते है, ऐसा लड़का जो क्रिकेट का दीवाना था, गांव के बच्चो को क्रिकेट का जुनून देने वाला और ट्रॉफी करवाना वाला दीवाना, सामाजिक कार्यो में बढ़चढ़ कर भाग लेना शायद उनका जुनून था, दोस्तो के साथ दोस्ती निभाना शायद उनके खून में ईमानदारी थी, आधी रात को किसी ने फ़ोन कर दिया तो उसकी सहायता करना वो कर्तव्य समझते थे, राजनीति में ज्यादा रुचि ही मुझे नजदीकियां बढ़ा रही थी, एक निडर आदमी जो कभी मौत से कभी नही डरा पर आखिर मौत ही अंतिम मुकाम तक लेकर आई और सभी दोस्तों को एक सदमा देकर मगन भाई को लेकर चली गई, आज अंतिम दर्शन को गया तो विश्वास नही हो रहा था कि बंदा अब इस दुनिया मे नही है, कई दिनों से स्वास्थ्य कारणों से थोड़े परेशान थे पर मौत को चकमा देने वाला ये जाबाज आखिर जिंदगी की जंग कल रात को हार गया, अंतिम बार जब बात हुई थी तो मिलने का वादा किया था और अंतिम बार वीडियो कॉल किया तो अपनी बेटी के साथ क्रिकेट के कोच अकादमी हैदराबाद में मितालीराज के साथ थे, उनकी एक 7 साल की बेटी है जिसको क्रिकेटर बनाने का सपना था और 3 साल का छोटा लड़का है, आज अंतिम यात्रा निकाली तो उनके दोस्तों का हुजूम उमड़ पड़ा हर बार की तरह मानो मगन भाई के साथ कोई जंग फतेह करने जा रहे है पर फर्क इतना था कि अब मगन भाई आगे चल नही रहे थे अब वो अर्थी पर सो रहे थे, अंतिम यात्रा इनके क्रिकेट मैदान से गुजरी तो मानो वो मैदान भी रो पड़ा होगा क्योंकि उसके कण कण में मगन भाई की यादे थी, जब आग के हवाले थे तो दोस्तो की निगाहें उस पर थी, रोना बिलखना हो रहा था पर वो तो उस दुनिया को अलविदा कह चुके थे, बहुत सारे अधूरे सपने लेकर वो चले गए तो बहुत सारी हसरते पूरी करके भी गए, खुशमिजाज़ औए वो दिलफेंक अंदाज़ रखने वाला आदमी हमारे बीच नही है आपकी यादे हमेशा सताती रहेगी, वो आदमी जो मौत को मुट्ठी में रखने की बाते किया करता था आखिर मौत ने आज उनको गले लगा दिया, जब में आखिर में घर गया तो छोटा बच्चा बोला कि नारायणजी पापा बाहर गए है जल्दी ही आएंगे, में समझ ही नही पा रहा था कि ये नादान बच्चा पापा को कैसे भूल पायेगा, इतने लोग रो रहे थे पर वो मस्ती में खेल रहा था कि उसको भरोषा था कि उसके पापा घर शाम को आएंगे, प्रभु आप ही इस परिवार को और उनकी पत्नी और बच्चो को हिम्मत देना और उनकी रक्षा भी करना क्योंकि आपकी मर्जी के बिना एक पता भी नही हिलता है, मुझे पूरा विश्वास है बेटी और बेटा बड़ा होकर पापा के अधूरे सपनो को पूरा करके नाम रोशन करेगे, काफी यादे है दिल भर कर आंखे नम हो रही है इसलिए इतना ही लिख पा रहा हूं , एक बार फिर से हो सके तो लौट कर आना। लेखनी... आपका मित्र नारायण अचलजी देवासी।
हो सके तो लौट कर आना....आज मन बहुत विचलित हुआ और जीवन नश्वर है फिर याद आया.....मगन देवासी बेड़ा (बाली) एक परिचय।एक छोटे से ग....