14/08/2025
धीरे धीरे ही सही शाम ढल रहा है,जो था तेरा वो किसी और के नाम चल रहा है।।
कल तक जिस भीड़ पर तुम इतराते थे ,आज तेरे खिलाफ सारा आवाम चल रहा है।।
तूने बाटे थे भारत के जिस्म और जान लोग,आज मेरे साथ हिन्दुस्तान का अगला गांधी और कलाम चल रहा है।।।