01/10/2025
अलीगढ़ मे स्थित अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की मौलाना आज़ाद लाइब्रेरी सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि ज्ञान और शोध का वह ख़ज़ाना है, जिसे एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरियों में गिना जाता है. 1877 से अब तक यह लाइब्रेरी विश्वविद्यालय के साथ कदम से कदम मिलाकर बढ़ती रही है और आज लाखों पुस्तकों, दुर्लभ पांडुलिपियों और आधुनिक शोध सामग्री का केंद्र बन चुकी हैं.
यूपी की अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) की मौलाना आजाद लाइब्रेरी सिर्फ किताबों का भंडार नहीं, बल्कि ज्ञान, शोध और संस्कृति का अद्वितीय केंद्र है. 1877 से लेकर आज तक यह लाइब्रेरी निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर रही है और वर्तमान में इसे एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरियों में गिना जाता है. लाखों पुस्तकों, दुर्लभ पांडुलिपियों और आधुनिक शोध सामग्री के कारण यह लाइब्रेरी विश्वविद्यालय की अकादमिक आत्मा कही जाती है. 1877 में एएमयू की स्थापना के साथ ही इस लाइब्रेरी की नींव रखी गई थी. उस समय इसे लॉर्ड लिटन लाइब्रेरी के नाम से जाना जाता था। समय के साथ इसका स्वरूप और महत्व बढ़ता गया. 1960 के दशक में इसे मौजूदा भव्य आकार मिला और बाद में इसे भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के नाम पर समर्पित किया गया. पंडित जवाहरलाल नेहरू का भी इस लाइब्रेरी से विशेष जुड़ाव रहा है, जिसने इसे राष्ट्रीय स्तर पर और भी प्रतिष्ठा दिलाई.
विशाल संग्रह और शोध सामग्री
आज मौलाना आज़ाद लाइब्रेरी में लगभग 14 से 15 लाख किताबों का संग्रह है. इसके अलावा लाखों शोध लेख और आधुनिक अध्ययन सामग्री यहां उपलब्ध है, जिसका उपयोग विद्यार्थी, रिसर्च स्कॉलर्स और शिक्षक नियमित रूप से करते हैं. यहां केवल पाठ्यपुस्तकें ही नहीं, बल्कि उच्च स्तरीय शोध सामग्री भी मौजूद है, जिससे यह लाइब्रेरी एक बहुआयामी ज्ञान केंद्र बन चुकी है. लाइब्रेरी के रीडिंग रूम्स देर रात तक खुले रहते हैं, जिससे छात्रों और शोधार्थियों को लंबे समय तक अध्ययन की सुविधा मिलती है. परीक्षा के दिनों में यहां का नजारा किसी मेले जैसा होता है. प्रतिदिन लगभग 8000 से अधिक लोग इस लाइब्रेरी का उपयोग करते हैं. यह भी इस बात का प्रमाण है कि यह स्थान सिर्फ किताबों का घर नहीं, बल्कि अकादमिक ऊर्जा और उत्साह का प्रमुख केंद्र है.
दुर्लभ पांडुलिपियां और धरोहर
लाइब्रेरी की सबसे अनमोल धरोहर इसकी दुर्लभ पांडुलिपियां हैं. इनमें शामिल हैं- हजरत अली द्वारा लिखित हस्तलिखित पवित्र कुरान, संस्कृत गीता का अबुल फजल द्वारा किया गया फारसी अनुवाद, मुगल दरबारियों द्वारा पहना गया कुर्ता, तेलुगु, मलयालम, etc