
01/07/2025
गंगा पुत्र' का ढोंग और गंगा भक्त की बलि — ये है सच्चाई नरेंद्र मोदी की
प्रोफेसर जीडी अग्रवाल, जिन्हें स्वामी सानंद के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रतिष्ठित पर्यावरणविद् और आईआईटी के पूर्व प्रोफेसर थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन गंगा की निर्मलता और अविरलता को समर्पित कर दिया। लेकिन जब उन्होंने देखा कि मोदी सरकार की नमामि गंगे जैसी योजनाएं सिर्फ दिखावे की राजनीति बनकर रह गई हैं, तो उन्होंने 22 जून 2018 को आमरण अनशन शुरू किया।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीन बार पत्र लिखा — 24 फरवरी, 13 जून और अगस्त 2018 को — जिसमें उन्होंने गंगा के प्रदूषण और अविरल धारा को लेकर गहरी चिंता जताई और साफ शब्दों में लिखा कि अगर गंगा को लेकर गंभीर कदम नहीं उठाए गए, तो वे अपने प्राण त्याग देंगे।
आरटीआई से यह सामने आया कि पीएमओ को ये पत्र मिले थे। मगर जवाब में सन्नाटा मिला — कोई मंत्री मिलने नहीं गया, न ही कोई नीतिगत कदम उठाया गया।
11 अक्टूबर 2018 को, 111 दिनों की भूख हड़ताल के बाद, गंगा का असली भक्त चल बसा। और उस समय प्रधानमंत्री मोदी, जो खुद को गंगा का बुलावा मिलने की कहानियां सुनाते हैं, एक ट्वीट कर संवेदना व्यक्त कर आगे बढ़ गए।
गोदी मीडिया ने इस पूरे आंदोलन को या तो कवर नहीं किया या दबा दिया। एक वैज्ञानिक, एक संत, एक योद्धा — जिसकी मौत एक गंगा भक्त की शहादत थी — उसे भी टीआरपी में जगह नहीं मिली।
और उधर, मोदी जी हर चुनावी रैली में खुद को गंगा पुत्र बताकर वोट माँगते हैं। सवाल उठता है:
जब गंगा का असली सेवक भूखा मर रहा था, तब तुम कहाँ थे गंगा पुत्र
क्यों नहीं गई कोई टीम उस संत से मिलने
क्यों नहीं रोकी गई उसकी मौत
यह पोस्ट सिर्फ प्रोफेसर जीडी अग्रवाल की शहादत के लिए नहीं है, यह उस पाखंड के खिलाफ है जो गंगा के नाम पर सिर्फ सत्ता की सीढ़ी चढ़ता है
Regards
Yaswant Kumar Yadav