07/11/2025
ये वहम, ये गुमाँ (शक), जो दिल में पलता है,
इस आग से, रिश्तों का जहान जलता है।
कोई ग़लतफ़हमी हो, तो उसे जल्दी मिटा दे,
ये ज़हर है, जो ज़बान पर वक़्ती (क्षणिक) टलता है।
अगर वक़्त रहते, मरहम नहीं लगाओगे—
तो जान लो, ज़ख्म फिर नहीं, सिर्फ़ नासूर छलता है!