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ISSN 1839-6232

"Peace, Harmony, Social Sustainability And Environment"

​Circulated to one million people in around 100 countries.

16/08/2024

ग्रामीण व कस्बाई क्षेत्रों के छात्रों, सरकारी इंटर कॉलेजों के छात्रों, पिछड़े क्षेत्रों के छात्रों, गैर-हाई-फाई स्कूलों के छात्रों को यदि अवसर मिलें, अच्छा स्टडी मैटीरियल सहजता व सरलता से उपलब्ध हो, तो देश के IIT, AIIMS इत्यादि जैसे अनेक प्रकार के संस्थानों, तथा UPSC जैसी प्रतियोगी-छटनी परीक्षाओं में वास्तविक अर्थों में प्रतिस्पर्धा शुरू हो सकती है।
इस संदर्भ में कुछ प्रयासों के लिए योजनाओं पर चर्चा प्रारंभ की जा चुकी है। देश के गंभीर व ईमानदार भाव वाले शिक्षकों से जुड़ने का काम करना है। देश के उच्च संस्थानों के शिक्षकों को जोड़ने का काम शुरू हो चुका है।
इसके लिए कुछ सामाजिक प्रतिबद्ध लोग आगे आ रहे हैं, और इस संदर्भ में ई-प्लेटफार्म तैयार करने के लिए प्रतिवर्ष एक-डेढ़ करोड़ रुपए के आर्थिक सहयोग की प्रतिबद्धता स्वीकार करने की इच्छा व्यक्त कर रहे हैं।
जब तक देश के बच्चों को अवसर नहीं उपलब्ध होंगे, तब तक देश को प्रगति/उन्नति के पथ पर अग्रसर किया ही नहीं जा सकता है। देश के बच्चों को किताबें रटाकर रोबोट बनाने से प्रगति/उन्नति के पथ पर नहीं अग्रसर किया जा सकता है।
कोचिंग्स, महंगे स्कूलों की मोनोपोली व इनके द्वारा शिक्षा व्यवस्था पर स्थापित हिडेन-नियंत्रण से बाहर आए बिना देश के बच्चों को अवसर नहीं उपलब्ध कराए जा सकते हैं।
आपकी समझ, ईमानदारी, विचारशीलता, सामाजिक-प्रतिबद्धता, सामाजिक-जवाबदेही के स्तर के आधार पर इन प्रयासों में आपके गंभीर व प्रतिबद्ध सहयोग की अपेक्षा रहेगी।
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विवेक उमराव

इनसे मित्रता बहुत अच्छी जम गई है। इनको व इनके दोनों बच्चों को मिस करूंगा।
13/08/2024

इनसे मित्रता बहुत अच्छी जम गई है। इनको व इनके दोनों बच्चों को मिस करूंगा।

12/08/2024

कैनबरा में रहते हुए लगभग दो सालों में मैंने अपने खर्चे से 700 से अधिक लोगों को उनके स्वास्थ्य को बेहतर करने, व्याधियों को ठीक करने के संदर्भ में सुझाव दिए। इनमें से अपवाद छोड़ लगभग प्रत्येक व्यक्ति से डेढ़ से दो घंटे बात की। कुछ लोगों तो ऐसे भी रहे जिनसे हर महीने कई बार बात की, उनके प्रश्नों को समाधानित करने का प्रयास किया। सभी को लाभ मिला, बहुत लोग पूरी तरह से स्वस्थ हुए।
इन लोगों में से एलोपैथ, होमियोपैथ, आयुर्वेद, नेचुरोपैथ के चिकित्सक गण भी रहे।
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चंद अपवाद लोगों (ये लोग अपनी जीवन शैली में बदलाव नहीं कर पाए) को छोड़ सभी को लाभ मिला। जबकि मैंने किसी को कोई किसी भी प्रकार की एलोपैथ/होमियोपैथ/आयुर्वेद/यूनानी/अरबी दवा नहीं बताई, आयुर्वेद का कोई भष्म, द्रव, जड़ी-बूटी नहीं बताई, किसी को जल-नेति, सूत्र-नेति, भाप-स्नान, कटि-स्नान, ठंडी-गर्म पट्टी इत्यादि-इत्यादि कुछ भी नहीं बताया। मैंने किसी को यह तक नहीं बताया कि अलाना-फलाना योग कीजिए।
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कालस्ट्राल, ट्राइग्लिराइड, डायबिटीज, एसिडिटी, एलर्जी, बीपी, यूरिक एसिड, किडनी-स्टोन, जोड़ों में दर्द, फैटी-लिवर (फाइब्रोसिस) इत्यादि व्याधियों से ग्रस्त सैकड़ों लोग या तो पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं या ठीक होने की ओर आगे बढ़ रहे हैं। इनमें से बहुत लोग तो पंद्रह बीस पच्चीस सालों से बहुत परेशान रहे हैं। ठीक होने या आराम पाने के बाद लोग जब अंदर के भावों के साथ धन्यवाद ज्ञापन करते हैं, तब मुझे जो संतुष्टि मिलती है उसको शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता।
लेकिन बहुत अच्छा तब लगता है जब ऐसे लोग मिलते हैं, जो मुझे बताते हैं कि भले ही मुझसे उनकी कभी सीधी बात नहीं हुई, लेकिन मेरी पोस्टों को पढ़कर अनुसरण करते हैं और उनका हाई-कॉलस्ट्राल, हाई-ट्राइग्लिसराइड इत्यादि-इत्यादि बिना किसी दवा के ठीक हो गया।
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शरीर की अनेक ऐसी व्याधियां हैं (विभिन्न जानलेवा बीमारियों का आधार होती हैं, कैंसर इत्यादि का आधार होती हैं), जिनके लिए लोगबाग आजीवन दवाएं खाते हैं, लेकिन कभी ठीक नहीं हो पाते हैं, दवाओं से नियंत्रण बना रह सकता है, बहुत लोगों को दवाओं की डोज बढ़ानी भी पड़ जाती है। जबकि जीवन-शैली में बदलाव करके इन व्याधियों से मुक्त हुआ जा सकता है।
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विवेक

27/07/2024

मुझे नहीं मालूम कि मेरी मृत्यु के पहले तक मेरे द्वारा देखे जा रहे कई दशक पुराने सपने पूरे होंगे या नहीं, लेकिन भारत में रहते हुए प्रयास करना चाहता हूं। इन पुराने सपनों को आपके साथ साझा कर रहा हूं।
~ कई लाख करोड़ रुपए के सालाना टर्नओवर वाले सोशल कार्पोरेट की स्थापना। (यह सबसे पुराना सपना है, जिसकी नींव मेरे चेतन में 1995 में पड़ी थी, यह सपना मजबूत हुआ 2006 में। 2016/2017 में ऐसा लगा कि इस ओर दो-चार कदम चल सकते हैं। अब यह देखना है कि मृत्यु तक कितना आगे बढ़ा जा सकता है।
~ एक जिला जो वास्तव में कूड़ा प्रबंधन का माडल हो। (दिखावटी नहीं)
~ एक जिला जो पेयजल स्वावलंबी हो।
(भूजल का प्रयोग किए बिना। भूजल पेयजल नहीं होता है। भूजल को पेयजल मानना मिथक है, इस मिथक को स्थापित करने के पीछे का आर्गनाइज्ड कारण लोगों को पानी जैसे अति-महत्वपूर्ण मुद्दे से ध्यान भटकाना भी हो सकता है।)
~ एक जिला जो ऊर्जा स्वावलंबी हो।
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देखना है कि मृत्यु तक इनमें से कितने सपने पूरे होने की ओर बढ़ पाते हैं, या चार कदम भी नहीं बढ़ पाते हैं।
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विवेक

25/07/2024

भारत आने के बाद पहली बार आज आने वाली किताब के कुछ पन्ने लिखे। कल रात में लगभग दस बजे सोया, फिर रात में लगभग एक बजे नींद खुल गई, सोचा क्या किया जाए, अपने आप इच्छा हुई कि क्यों न किताब के कुछ पन्ने ही लिख लिए जाएं। सो रात में एक बजे से चार साढ़े-चार बजे तक किताब के ड्राफ्ट के कुछ पन्ने लिखे। फिर घंटे भर के लिए सो गया।
इस तरह भारत में आने के बाद आज पहली बार आने वाली किताब के ड्राफ्ट में कुछ पन्ने जोड़े गए।
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विवेक

कैनबरा में स्वास्थ्य के संदर्भ में दिनचर्या थी —सुबह लगभग दो से ढाई बजे तक जागना।सुबह तीन बजे से आठ/नौ बजे तक लगातार साइ...
23/07/2024

कैनबरा में स्वास्थ्य के संदर्भ में दिनचर्या थी —
सुबह लगभग दो से ढाई बजे तक जागना।
सुबह तीन बजे से आठ/नौ बजे तक लगातार साइकिलिंग, 15 किलो के डंबल, दंड-बैठक तथा फंक्शनल-एक्सरसाइज करना।
नौ से दस या साढ़े-नौ से साढ़े-दस या दस से ग्यारह तक 24 घंटे में लिए जाने वाले एकमात्र मील का समय था। शेष 23 घंटे केवल सादे पानी पर रहता था।
सुबह के व्यायाम के अतिरिक्त दिन भर में कम से कम दस से पंद्रह किलोमीटर पैदल भी चलता था।
मिनरल्स विटामिन्स इत्यादि की आपूर्ति के लिए क्या-क्या खाना है, किस क्रम में खाना है, यह सब व्यवस्थित था। खाद्य वस्तुएं, पानी व वायु इत्यादि प्राकृतिक स्तर पर शुद्ध।
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भारत में स्वास्थ्य के संदर्भ में दिनचर्या —
कैनबरा के माइनस तापमान से भारत की अत्यधिक गर्मी में यकायक पहुंचने के कारण 24 घंटे में लिए जाने वाले एकमात्र मील को सुबह की बजाय शाम को लेना शुरू किया। लेकिन अभी तक समय का रूटीन व्यवस्थित नहीं हो पाया क्योंकि अभी तक बिहार में अपने स्थाई कैंपस तक पहुंच ही नहीं पाया हूं। कभी दोपहर चार बजे से मील शुरू हो जाता है, कभी रात में नौ बजे शुरू होता है। किसी दिन टुकड़ों-टुकड़ों में मील तीन घंटे चलता है तो किसी दिन आधा घंटे में ही हो जाता है।
मील की टाइमिंग व्यवस्थित नहीं हो पाने के साथ-साथ, मिनरल्स व विटामिन्स इत्यादि की आपूर्ति बहुत ही अधिक अव्यवस्थित है। खाद्य वस्तुएं, पानी व वायु इत्यादि प्रदूषित है ही।
अब रही बात व्यायाम की, तो व्यवस्थित व्यायाम शुरू हो ही नहीं पाया है, किसी दिन होता है, किसी दिन नहीं होता है, किसी दिन आधा-अधूरा होता है।
व्यायाम का आप्टिमम लाभ प्राप्त करने के लिए लगभग 17-18 घंटे की फास्टिंग के बाद व्यायाम शुरू करता आया हूं, फास्टिंग में रहते हुए ही व्यायाम करता आया हूं। इसलिए दोपहर में बारह-एक बजे व्यायाम शुरू करके शाम पांच-छः बजे तक व्यायाम करना, फिर 24 घंटे का एकमात्र मील लेना। यह एक भी दिन हो ही नहीं पाया। व्यवहारिक ही नहीं है।
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प्रोस-कान्स :
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सुबह लगभग आठ/नौ बजे एकमात्र मील लेने के नियम में —
सुबह दो से ढाई बजे जागना फिर तीन बजे से आठ/नौ बजे तक लगातार एक्सरसाइज करना, फिर दस बजे तक 24 घंटे का एकमात्र मील लेना, फिर पूरा दिन कामकाज के लिए खाली मिल जाता है।
लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या यह आती है कि चूंकि मील लेने के पहले पांच घंटे जमकर व्यायाम किया गया होता है, फिर मील के बाद पूरा दिन कुछ न कुछ शारीरिक सक्रियता बनी रहती है। तो सुबह शौच नहीं आती है, शौच मील के बाद आती है, जो मील के बाद पंद्रह से एक घंटे बाद की कोई भी टाइमिंग हो सकती है। (यह कैनबरा का एक साल का अनुभव रहा है)।
चूंकि केवल एक मील ही लेता हूं, इसलिए मील बड़ा होता है, इसलिए छोटी आंत कुछ घंटों के लिए उभरी हुई दीखती है। विसरल फैट नगण्य होने के कारण मील के बाद कुछ घंटो का यह उभार स्पष्ट दिखाई देता है।
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शाम को एकमात्र मील लेने के नियम में —
दोपहर लगभग बारह/एक बजे व्यायाम शुरू करके शाम को पांच/छः तक व्यायाम करना। छः/सात बजे मील लेना। मील के बाद लगभग चार घंटे तक शारीरिक रूप से सक्रिय रहना, फिर सोना। पूरा दिन लाक हो जाता है, व्यवहारिक नहीं।
चूंकि शाम को मील लिया जाता है, फिर रात में सोना होता है तो सुबह जागने के बाद शौच आती है। मील के कारण छोटी आंत में आया उभार सुबह जागने तक समाप्त हो चुका होता है।
शाम के एक मील की टाइमिंग निश्चित करना संभव नहीं, क्योंकि भारत में अधिकतर लोगों का शाम के भोजन का रूटीन बहुत ही अधिक अनिश्चित रहता है।
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मैंने कुछ दिन पहले इस संदर्भ में विचार करना शुरू किया कि स्वास्थ्य के संदर्भ में 24 घंटे का एकमात्र मील सुबह या शाम में किस समय लेना बेहतर व व्यवहारिक रहेगा। मैं अभी तक यह तय नहीं पाया हूं कि भारत में 24 घंटे में एकमात्र मील सुबह लिया जाए या शाम को लिया जाए। लेकिन झुकाव सुबह के मील की ओर है, इसलिए संभव है कि 24 घंटे का एकमात्र मील शाम की बजाय सुबह लेना शुरू कर दूं, जैसा कि कैनबरा में करता था।
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विवेक

फोटो में कई मित्र ऐसे हैं जिन्होंने कई तालाबों को पुनर्जीवित किया है। संघर्ष करके करोड़ों की लागत की अच्छी सड़कें बनवाईं...
19/07/2024

फोटो में कई मित्र ऐसे हैं जिन्होंने कई तालाबों को पुनर्जीवित किया है। संघर्ष करके करोड़ों की लागत की अच्छी सड़कें बनवाईं हैं। सामाजिक व जीवन मूल्यों को जीने का प्रयास करते हैं।
एक अच्छा विद्यालय स्थापित करने की योजना बन रही है। एक दो साथी जमीन देने को तैयार हैं। यह मेरा सौभाग्य है कि विद्यालय स्थापित करने की योजना में मुझे भी पथबंधु के रूप में स्वीकार कर रहे हैं। विद्यालय स्थापित करने व प्रतिष्ठित करने में आपके सहयोग की अपेक्षा रहेगी।
कुर्ता पायजामा पहने मित्र निसार जी हैं, काशी के रहने वाले हैं, लेकिन गोरखपुर में सरकार के साथ प्रबंधक स्तर पर काम करते हैं, गोरखपुर से चलकर हम लोगों से मुलाकात करने आए, हम सभी से इनकी पहली मुलाकात थी। कई प्रकार के स्वादिष्ट फल लाए (अमरूद भी लाए)।
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विवेक

बचपन में आम के पेड़ों पर चढ़ना उतरना होता था, खेल खेलता था। तब से अब आज आम के पेड़ पर चढ़ा (बिना किसी का सहयोग लिए चढ़ा)...
18/07/2024

बचपन में आम के पेड़ों पर चढ़ना उतरना होता था, खेल खेलता था। तब से अब आज आम के पेड़ पर चढ़ा (बिना किसी का सहयोग लिए चढ़ा)। देशी आम का यह पेड़ ऐसी प्रजाति का है जो अगस्त तक फल देता है। अभी इस पेड़ के आम कच्चे हैं, पके नहीं हैं।
देवब्रत भाई ने नियम बना रखा है कि उनके बाग में पेड़ से आम तोड़े नहीं जाएंगे, जो अपने आप गिरेंगे वही खाए जाएंगे।
इनके बाग के लगभग हर एक पेड़ पर हजारों आम लगे हुए हैं।
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विवेक

बांसगांव (गोराखपुर) आने के अगली सुबह से ही मैं दो दिन सादे पानी पर रहा। उसके बाद देवब्रत भाई ने कुछ स्थानीय मित्रों के ल...
17/07/2024

बांसगांव (गोराखपुर) आने के अगली सुबह से ही मैं दो दिन सादे पानी पर रहा। उसके बाद देवब्रत भाई ने कुछ स्थानीय मित्रों के लिए देशी भोज का आयोजन किया। लगभग बीस लोगों ने भोज का आनंद लिया।
लिट्टी व देशी घी,
चोखा,
परवल का चोखा,
दाल,
खीर,
रबड़ी-खोया।
देवब्रत भाई के घर में चार गाएं हैं, कुछ दिनों में गायों की संख्या बढ़ने वाली है।
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विवेक

हम इनके दद्दू हैं, हमारी बिटिया हैं, नाम संस्कृति है, जैसा नाम है वैसा ही इनका व्यक्तित्व है। बहुत ही अधिक हसमुख, ऊर्जाव...
12/07/2024

हम इनके दद्दू हैं, हमारी बिटिया हैं, नाम संस्कृति है, जैसा नाम है वैसा ही इनका व्यक्तित्व है। बहुत ही अधिक हसमुख, ऊर्जावान, परिश्रमी, तेज-दिमाग हैं। उम्र महज आठ वर्ष। मुझसे तीन दिन छोटे भाई की सुपुत्री हैै।
संस्कृति का घर गांव में है लेकिन घर में इतनी सुविधाएं हैं जो बड़े शहरों में रहने वाले बहुत लोगों के घरों में नहीं होंगी। घर में एसी है, फ्रिज है, कूलर है, मिक्सर है, ओवन है, माइक्रोवेव है, आटोमैटिक वाशिंग मशीन है, पानी की टंकियां हैं। स्मार्ट टीवी है। इंटरनेट है। घर में कई बाथरूम हैं। वेस्टर्न व इंडियन दोनों तरह के कमोड हैं। जनरेटर है।
दूध दही पनीर इत्यादि के लिए भैंस है। घर की चहारदीवारी के अंदर कई प्रकार के पेड़ पौधे हैं।
छोटा भाई मेहनती है, बहुत अच्छी आय है, जितना मेट्रो शहरों में रहने वाले हाई-पेड प्रोफेशनल कमाते हैं, उनसे अधिक ग्रामीण इलाके में रहते हुए कमा लेता है।
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उम्र महज आठ वर्ष है लेकिन संस्कृति ने मुझसे कुछ बातें ऐसी कहीं कि मैं दंग रह गया। कहती है दद्दू मुझे समझ नहीं आता कि लोग शहर में क्यों रहना चाहते हैं, मुझे शहर पसंद नहीं आता, लोग छोटे-छोटे घरों में रहते हैं किच-किच में रहते हैं। जैसे स्कूल शहरों में हैं, वैसा ही स्कूल मेरा है। बड़ा घर है, पेड़ पौधे हैं, जैसे मर्जी वैसे खेलो कूदो, घूमो-फिरो। पानी बरसने पर कीचड़ नहीं। अच्छी हवा चलती है, घुटन नहीं होती है। और भी बहुत बताने के बाद कहती है, दद्दू मुझे शहर की तुलना में गांव बहुत अधिक अच्छा लगता है।
मुझे नहीं पता कि संस्कृति की बात के जवाब में मैंने जो कहा उसे वह समझ पाई या नहीं, लेकिन मैंने जो कहा वह निम्न है —
बिटिया विकास के नाम पर हमने गांवों को छोटे शहर के रूप में बदलने का प्रयास किया है, जबकि हमें शहरों को बड़े गांवों के रूप में बदलने का प्रयास करना चाहिए था। दूरदृष्टि के अभाव में हमसे यहीं बहुत बड़ी चूक हो गई, यह चूक इतनी बड़ी रही कि अब इस मानसिकता से वापस लौटना असंभव सा है।
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संस्कृति के पास एक-दो दिन रहने के बाद जब मैं वापस लौट रहा था तब मैंने संस्कृति को हजार रुपए देने चाहे तो उसने साफ मना कर दिया, बोली दद्दू पैसे नहीं चाहिए, पैसों का मैं क्या करूंगी। मैंने कहा कि चाकलेट आइसक्रीम इत्यादि कुछ खा लेना, बोली यह सब तो मैं खाती ही रहती हूं, मन भरा रहता है इन सबसे। मुझे आप पैसे नहीं दीजिए, आप घूमते रहते हैं, तो आपको बच्चों के लिए अच्छी किताबें मिलतीं होंगी, आप लेखक हैं, आपको पता भी होगा कि बच्चों के लिए कौन सी किताबें बढ़िया हैं, तो आप मुझे पैसे नहीं दीजिए किताबें दीजिए।
छोटे भाई को बच्चों में अच्छे संस्कार व समझ का भ्रूण विकसित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई, ढेरों शुभकामनाएं।
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विवेक
संस्कृति का दद्दू

प्रोफेसर एच.सी वर्मा जी आईआईटी कानपुर में भौतिकी के प्रोफेसर रहे, इसके पहले पटना साइंस कालेज में भौतिकी के प्रोफेसर रहे ...
09/07/2024

प्रोफेसर एच.सी वर्मा जी आईआईटी कानपुर में भौतिकी के प्रोफेसर रहे, इसके पहले पटना साइंस कालेज में भौतिकी के प्रोफेसर रहे थे। आईआईटी प्रवेश परीक्षा जेईई के अध्यक्ष भी रहे। समाज में योगदान करने के लिए समय के पहले आईआईटी से सेवानिवृत्ति ली (वीआरएस)। भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान प्राप्त हैं।
पिछली बार लगभग दस साल पहले लंबे समय के लिए भारत से ऑस्ट्रेलिया जाने के पहले प्रोफेसर एच.सी.वर्मा जी के आईआईटी वाले सरकारी निवास, डुपलेक्स घर व प्रस्तावित आश्रम तीनों स्थानों में गया था।
लगभग दस साल पहले प्रस्तावित आश्रम में दो भवनों का निर्माण कार्य जारी था। एक गाय थी। पेड़-पौधों के नाम पर लगभग कुछ नहीं था। अभी कुछ दिन पहले प्रोफेसर साहब ने मुझे डिनर पर आमंत्रित किया। महज दस वर्षों में शून्य से इतना सुंदर आश्रम विकसित हो सकता है, यह देखकर मैं दंग रह गया।
आमों से लदे हुए पेड़। बेल लदे हुए पेड़। करौंदे व नींबू से लदे हुए पेड़। अनेक प्रकार की सब्जियां आश्रम में उगाईं जातीं हैं। कई गाएं। पूरा आश्रम अपने आप में विज्ञान की प्रयोगशाला है। ऊर्जा व पानी की अच्छी व्यवस्था।
प्रोफेसर साहब ने राष्ट्रीय स्तर पर विज्ञान के प्रति आम लोगों को जागरूक करने, शिक्षकों का प्रशिक्षण, वैज्ञानिक शोधार्थी लोगों का सहयोग, बच्चों के अंदर से विज्ञान का भय निकालने व विज्ञान के प्रति समझ विकसित करने इत्यादि-इत्यादि के अभियान के प्रति स्वयं को समर्पित कर रखा है।
आश्रम में पहुंचते-पहुंचते शाम हो चुकी थी। साथियों का लखनऊ में काम होने की वजह से रात में ही लखनऊ आना पड़ा, इसलिए कैंपस की फोटो नहीं ले पाया। अगली बार जब जाऊंगा तब कुछ दिन वहां रुकूंगा और अच्छी फोटो व वीडियो बनाऊंगा। प्रतिवर्ष कुछ दिन इस आश्रम के कामकाजों में योगदान करूंगा।
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विवेक उमराव

लखनऊ में नाना जी का लगभग चालीस हजार वर्ग फुट (40000 वर्ग फुट) क्षेत्रफल का फार्महाउस है। इस लगभग चालीस हजार वर्गफुट क्षे...
05/07/2024

लखनऊ में नाना जी का लगभग चालीस हजार वर्ग फुट (40000 वर्ग फुट) क्षेत्रफल का फार्महाउस है। इस लगभग चालीस हजार वर्गफुट क्षेत्रफल को दो भागों में बाटा गया है, इसमें लगभग तीस हजार वर्गफुट में आम का बाग है, तथा लगभग दस हजार वर्गफुट में घर बना हुआ है। मुख्य घर लखनऊ में गोमती नगर में है।
आज फार्महाउस में मामा जी से मिलने गया। मामा-मामी दोनों सरकारी नौकरी करते हैं। घर में जितने भी आम पड़े थे, चार-पांच छोड़ बाकी सब एक बोरे में भरकर साथ ले आया हूं, अब दो तीन दिन मैं और सहवासी लोग प्रतिदिन कई-कई किलो आम खाएंगे। एक वैराइटी आम की ऐसी है जिसके आमों की संख्या कम है लेकिन बहुत स्वादिष्ट, इसलिए हम लोगों में झगड़ा होने की संभावना है।
घर में अमरूद, बेल, आम, अमरख इत्यादि अनेक प्रकार के फलों के पेड़ हैं। अमरूद तो पेड़ पर लदे हुए थे, मैंने खूब अमरूद तोड़े और अपने साथ बांध लाया हूं। अमरूद व अमरूद की चटनी मुझे बहुत पसंद है। सिलबट्टा का इंतजाम यदि हो पाया तो अमरूद की चटनी खूब खाई जाएगी।
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विवेक उमराव

04/07/2024

आज से कुछ दिन लखनऊ में हूं। कल बुधवार से रविवार तक केवल पानी पर 90 घंटे (नब्बे घंटे) से अधिक समयावधि के लिए उपवास पर हूं। यदि आप लखनऊ में हैं और मिलना चाहते हैं तो अपना पता, संपर्क नंबर व परिचय दीजिए। संभव हो पाया तो आपके पास आने की कोशिश करूंगा। मेरे साथ मेरे एक मित्र होंगे।
आपको जैसी सुविधा हो वैसी जानकारी देने की कृपा कीजिएगा।
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विवेक

कानपुर वाली बड़की दीदी के यहां भी जाना हुआ। दीदी-जीजा के साथ घंटो लंबी गपशप हुई। शाम को स्वादिष्ट तरोई, पनीर की सब्जियों...
04/07/2024

कानपुर वाली बड़की दीदी के यहां भी जाना हुआ। दीदी-जीजा के साथ घंटो लंबी गपशप हुई। शाम को स्वादिष्ट तरोई, पनीर की सब्जियों, कई प्रकार के अचार, खीर, पूरी, कचौरी, आम, अनार इत्यादि का आनंद लिया।
कानपुर जैसे बड़े शहर में दीदी का 4000 वर्गफुट क्षेत्रफल का घर बड़े घरों की श्रेणी में रखा जा सकता है। दीदी के घर की सबसे खूबसूरत बात यह है कि कई प्रकार के फलों के पेड़ भी हैं। फोटो में जितने पेड़ दिख रहे हैं, वह कुल पेड़ों की संख्या के आधे से भी कम हैं, लेकिन फोटो में कवर नहीं हो पाए।
एक खूबसूरत लान भी निकाला गया है जिसमें बहुत ही अधिक मुलायम घास है। खाना खाकर इस लान में टहलने का अपना अलग ही आनंद है।
दीदी की बिटिया मतलब मेरी भांजी बहुप्रतिष्ठित एमएनसी कंपनी में अच्छे पद पर काम करती है, अच्छा वेतन पाती है। दीदी का बेटा मतलब मेरा भांजा सरकारी बैंक में अधिकारी है। शाम को जब भांजा अपने आफिस से काम करके वापस आया तब उसके साथ चुहुलबाजी भी हुई। भांजा-बहू से भी मुलाकात व गपशप हुई।
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विवेक उमराव

हमारे जीजा जी को महंगी गाड़ियों का बहुत शौक है, जबकि खुद गाड़ी कभी नहीं चलाते हैं, मौज ड्राइवरों की रहती है। अनेक बढ़िया...
29/06/2024

हमारे जीजा जी को महंगी गाड़ियों का बहुत शौक है, जबकि खुद गाड़ी कभी नहीं चलाते हैं, मौज ड्राइवरों की रहती है। अनेक बढ़िया गाड़ियों के मालिक हैं। गाड़ियों का शौक इतना है कि इनके इलाके में जिस माडल की लगभग दो साल की वेटिंग थी, उसको दूसरे राज्य में जाकर खरीदा।
चर्चा के दौरान यह तय हुआ कि जब कभी हम लोगों के पास समय होगा, तब इस गाड़ी में भारत भ्रमण के लिए निकला जाएगा।
(एक फोटो में बड़का भांजा भी साथ में है)
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विवेक उमराव

24/06/2024

पहला महीना वेतन 10 हजार यदि काम पसंद आया तो एक महीने बाद से वेतन 15 हजार महीना।
घर के सदस्य की तरह रहना। रहने के लिए अच्छा कमरा, बिस्तर व अच्छा खाना।
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काम —
घर की साफ-सफाई, खाना बनाना, बर्तन धोना, अतिथियों का सत्कार करना, वाशिंग मशीन में कपड़े धोना इत्यादि।
स्थान — लखनऊ, उत्तरप्रदेश।
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यदि आपकी दृष्टि में कोई पुरुष जो आलसी नहीं हो, ईमानदार हो, विश्वसनीय हो। तो मध्यस्थ बनने की कृपा कीजिए।
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विवेक उमराव

लगभग दो हफ्ते ग्रेटर-नोएडा में छोटे भाई के यहां रहने व प्रेमपूर्ण पारिवारिक वातावरण का आनंद लेने के बाद, अब एक दूसरे शहर...
20/06/2024

लगभग दो हफ्ते ग्रेटर-नोएडा में छोटे भाई के यहां रहने व प्रेमपूर्ण पारिवारिक वातावरण का आनंद लेने के बाद, अब एक दूसरे शहर में दूसरे छोटे भाई के यहां पहुंच चुका हूं। हम दोनों एक ही कमरे में, किंग साइज बेड पर एक साथ सो रहे हैं।
छोटा भाई फक्कड़ है लेकिन शौकीन है। छोटे भाई जिस घर में रहते हैं वह दो-तीन मंजिला शानदार विला है, घर का अपना स्वीमिंग-पूल है, आधुनिक लिफ्ट है। छत पर असली घास वाला लान भी है, कई फुट गहरी मिट्टी पड़ी हुई है। अनेक कमरे हैं, हर कमरे में एसी लगा हुआ है, अटैच शानदार बाथरूम है। कई रसोईघर हैं। कई कमरों में टीवी लगी हुई हैं। घर के अंदर पोर्टिको के नीचे कई बड़ी कारें सरलता से खड़ी हो जाती हैं। घर तीन-सितारा, पांच-सितारा होटल का अहसास कराता है।
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मामला यहां फस रहा है कि छोटे भाई की जिद है कि मैं कम से कम एक साल इनके साथ रहूं। फसने का मामला कुछ निम्न है ———
छोटे भाई का कहना है कि आपके लिए सारा इंतजाम रहेगा, आप जो चाहें वह भोजन, तेजगति का वाई-फाई इंटरनेट, चलने के लिए अलग से एक शानदार कार, ड्राइवर, कार का ईंधन इत्यादि का पूरा व बढ़िया इंतजाम रहेगा। लिखाई-पढ़ाई व किताब लेखन के लिए कल ही शानदार कुर्सी मेज घर पर डिलीवर करवाई।
भाई की मैनूफैक्चरिंग कंपनी है। फैक्ट्री में भी लिखाई-पढ़ाई व किताब लेखन के लिए शानदार कुर्सी मेज का इंतजाम, आराम करने के लिए बिस्तर, तेज गति का इंटरनेट, किचेन व खानसामा इत्यादि का इंतजाम करने जा रहे हैं, ताकि यदि घर में रहते ऊब जाऊं तो फैक्ट्री में रहकर उबाऊपन कम कर सकता हूं।
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विवेक
जून 2024

भारत के कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय हिंदी दैनिक अखबारों में काम कर चुके तथा पंचायती राज व ग्रामीण विकास के लिए काम कर रहे, प...
18/06/2024

भारत के कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय हिंदी दैनिक अखबारों में काम कर चुके तथा पंचायती राज व ग्रामीण विकास के लिए काम कर रहे, पंचायत-खबर के संपादक संतोष सिंह उर्फ मगरुंआ भाई जी के साथ कई घंटे रहना हुआ। दिल्ली की सड़कों पर यहां वहां घूमते रहे।
पूर्व सांसद व चौथी दुनिया के संपादक संतोष भारतीय जी के साथ परिचय संवाद हुआ।
फोटो में बीच में संतोष भारतीय हैं, एक तरफ मैं व दूसरी तरफ गमछाधारी संतोष सिंह भाई।
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विवेक

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