
27/06/2025
गरीब,ओजूद ओंधे मुख जपै था, ररंकार धुनि धीर।
जा तालिब को याद कर, जिन यो घड़ा शरीर।।
भावार्थ : जिस प्रकार एक बालक (गरीब औजूद) माँ के पेट में "ररंकार" की ध्वनि के साथ ईश्वर (जा तालिब) को याद करता है, उसी प्रकार मनुष्य को भी इस नश्वर शरीर (जिन यो घड़ा शरीर) को बनाने वाले ईश्वर को याद करना चाहिए, क्योंकि यह शरीर एक दिन नष्ट हो जाएगा।