26/07/2025
बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने हाल ही (30 जून/1 जुलाई 2025) एक अहम फैसला सुनाया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि “I Love You” कहना अपने आप में यौन उत्पीड़न नहीं है, जबतक उसके साथ ऐसा कोई व्यवहार न जुड़ा हो जो एक यौन उद्देश्य को इंगित करे ।
⚖️ इस फैसले का सारांश:
मामला:
23 अक्टूबर 2015 की घटना में एक व्यक्ति ने 17 वर्ष की नाबालिग लड़की के रास्ते में उसका हाथ पकड़ कर “I Love You” कहा। उस पर IPC और POCSO एक्ट के तहत मुकदमा चला, और सत्र अदालत ने उसे दोषी ठहराते हुए 3 साल की जेल की सज़ा सुनाई थी ।
उच्च न्यायालय का निर्णय (30 जून 2025):
बॉम्बे हाई कोर्ट (नागपुर बेंच) ने आरोपी को बरी करते हुए कहा कि “I Love You” केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति है — इसमें कोई स्पष्ट यौन इरादा नहीं होता जब तक कि उसके साथ कोई अनुचित स्पर्श, अश्लील कृत्य, या गरिमा को ठेस पहुँचाने वाला व्यवहार न किया गया हो ।
*न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी-फलके ने स्पष्ट किया:**
“I Love You” जैसे शब्द सिर्फ भावनाओं का संकेत देते हैं —
इन्हें यौन इरादे का हिस्सा नहीं माना जा सकता है,
जब तक और कुछ ऐसा व्यवहार सामने न हो जो स्पष्ट रूप से यौन प्रवृत्ति की ओर इंगित करे ।
🧩 इस फैसले के महत्व के बिंदु:
**भावना और यौन इरादे में अंतर:**
कोर्ट ने रेखांकित किया कि प्रेम की अभिव्यक्ति (जैसे "आई लव यू") स्वतः यौन उत्पीड़न नहीं बनती।
**अतिरिक्त संकेत ज़रूरी:**
यदि "आई लव यू" को यौन इरादे के रूप में माना जाना है, तो उसके साथ अनुचित स्पर्श, अश्लील टिप्पणी, या बार-बार पीछा करना जैसे घटनाओं का होना आवश्यक है।
**POCSO व IPC की व्याख्या:**
सिर्फ शब्दों को आधार बनाकर व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता — अदालत ने कहा कि ये कानून स्थापित मंशा और क्रिया पर ध्यान देते हैं ।
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📝 निष्कर्ष:
इस हालिया बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले ने स्पष्ट किया है कि “I Love You” कहना खुद में अपराध नहीं है, जब तक उस वक्त कोई यौन उद्देश्य या अनुचित व्यवहार सामने न आए।
इस निर्णय से कोर्ट्स, मीडिया, और समाज में फैल रही कई भ्रांतियों को दूर करने में मदद मिल सकती है कि हर प्रेमभावना को यौन दायरे से जोड़ा जाना उचित नहीं।
यदि आपको इस निर्णय पर कानूनी विश्लेषण, संबंधित न्यायिक टिप्पणियाँ, या अन्य अदालत के मामलों की जानकारी चाहिए, तो मैं और जानकारी भी ला सकता हूँ।