Ashish Kumar thakur

Ashish Kumar thakur Operations manager at harold Electricals

30/03/2025
नवरात्रि भारत के सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहारों में से एक है। यह त्योहार हिंदू धर्म में देवी दुर्गा की आराधना और वि...
03/10/2024

नवरात्रि भारत के सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहारों में से एक है। यह त्योहार हिंदू धर्म में देवी दुर्गा की आराधना और विजय का प्रतीक है। नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है "नौ रातें," और यह नौ दिनों तक चलने वाला उत्सव है, जिसमें प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के एक रूप की पूजा की जाती है। यह त्योहार मुख्य रूप से भारत, नेपाल और अन्य देशों में बसे हिंदू समुदायों द्वारा मनाया जाता है, और इसका विशेष महत्व शारदीय और चैत्र नवरात्रि के दौरान होता है।

नवरात्रि की पौराणिक कथा:
नवरात्रि के पीछे कई पौराणिक कथाएँ हैं, लेकिन सबसे प्रसिद्ध कथा महिषासुर और देवी दुर्गा की है। महिषासुर, एक अत्यंत शक्तिशाली राक्षस था, जिसे ब्रह्मा से अमरता का वरदान प्राप्त हुआ था। उसे केवल एक महिला द्वारा पराजित किया जा सकता था। अपनी ताकत से अहंकारी होकर, महिषासुर ने तीनों लोकों पर आक्रमण किया और देवताओं को स्वर्ग से निष्कासित कर दिया। तब देवताओं ने मिलकर देवी दुर्गा का आह्वान किया, और देवी ने महिषासुर के साथ नौ दिनों तक युद्ध किया। अंततः दसवें दिन, जिसे दशहरा या विजयदशमी के रूप में जाना जाता है, देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया। इस प्रकार नवरात्रि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

नवरात्रि के नौ दिन और देवी के नौ रूप:
नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। हर दिन एक विशेष रूप की आराधना होती है:

शैलपुत्री
ब्रह्मचारिणी
चंद्रघंटा
कूष्मांडा
स्कंदमाता
कात्यायनी
कालरात्रि
महागौरी
सिद्धिदात्री
हर रूप का अपना अलग महत्व और आशीर्वाद है। इन नौ दिनों में भक्त उपवास रखते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं और देवी के सामने अपने समर्पण का प्रदर्शन करते हैं।

नवरात्रि की रीति-रिवाज और परंपराएँ:
नवरात्रि के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न प्रकार से पूजा की जाती है। गुजरात और महाराष्ट्र में गरबा और डांडिया नृत्य बेहद लोकप्रिय हैं, जो रात के समय देवी के समर्पण में नृत्य के रूप में किए जाते हैं। बंगाल में, दुर्गा पूजा का विशेष महत्व है, जहाँ देवी दुर्गा की भव्य मूर्तियों की स्थापना की जाती है और बड़े स्तर पर पूजा का आयोजन होता है।

उत्तर भारत में, नवरात्रि के दौरान रामलीला का मंचन होता है, जिसमें रामायण के विभिन्न प्रसंगों का नाटकीय रूप से प्रस्तुतिकरण किया जाता है, और दशहरे के दिन रावण के पुतले का दहन होता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

नवरात्रि का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व:
नवरात्रि का महत्व केवल धार्मिक नहीं है, बल्कि इसका गहरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पक्ष भी है। इस त्योहार के दौरान, लोग अपने भीतर की नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति पाने के लिए ध्यान, प्रार्थना और संयम का पालन करते हैं। उपवास रखने का उद्देश्य शरीर और मन को शुद्ध करना होता है ताकि व्यक्ति आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सके।

इसके साथ ही, नवरात्रि का सांस्कृतिक पहलू भी महत्वपूर्ण है। यह त्योहार भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्धि को दर्शाता है, जिसमें विभिन्न प्रकार की कलाओं, नृत्यों और संगीत का समावेश होता है। नवरात्रि के दौरान सामुदायिक उत्सवों में लोग एकजुट होते हैं और अपने पारंपरिक पहनावे और रीति-रिवाजों का प्रदर्शन करते हैं।
नवरात्रि केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह आस्था, संस्कृति और परंपरा का संगम है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि कैसे बुराई पर अच्छाई की जीत होती है और कैसे हम अपने भीतर की नकारात्मकताओं को दूर करके एक सकारात्मक और सार्थक जीवन जी सकते हैं। नवरात्रि की पूजा और उत्सव का महत्व समय के साथ बढ़ता ही जा रहा है, और यह त्योहार हमें अपनी जड़ों और आध्यात्मिकता से जुड़े रहने की प्रेरणा देता है।

14/08/2024

स्वतंत्रता दिवस तथा हर घर तिरंगा का महत्व

स्वतंत्रता दिवस भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय पर्व है, जिसे 15 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिन हमारे लिए अत्यधिक महत्व रखता है क्योंकि इसी दिन 1947 में भारत ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की थी। यह दिन हमारे देश के उन वीर स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को याद करने का अवसर है, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर हमें आज़ादी दिलाई।

"हर घर तिरंगा" अभियान का उद्देश्य इस पर्व को और भी खास बनाना है। इस अभियान के तहत हर भारतीय नागरिक को अपने घर पर तिरंगा फहराने के लिए प्रेरित किया जाता है। तिरंगा हमारे देश की शान, एकता, और अखंडता का प्रतीक है। इसके तीन रंग- केसरिया, सफेद और हरा, हमारे देश की विविधता में एकता को दर्शाते हैं, वहीं बीच में स्थित अशोक चक्र धर्म, सत्य और न्याय का प्रतीक है।

हर घर तिरंगा अभियान न केवल देशभक्ति की भावना को मजबूत करता है, बल्कि यह नागरिकों को उनके कर्तव्यों और अधिकारों की भी याद दिलाता है। इस अभियान के माध्यम से हमें यह एहसास होता है कि स्वतंत्रता केवल एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि यह एक निरंतर प्रक्रिया है जिसे हमें हर दिन जीना चाहिए।

अतः, स्वतंत्रता दिवस और हर घर तिरंगा दोनों ही हमारे राष्ट्रीय गौरव और एकता के प्रतीक हैं। यह दिन हमें हमारे कर्तव्यों का बोध कराता है और राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना को प्रबल बनाता है।

independence day

Gaon
17/07/2024

Gaon

मिथिला संस्कृति एक प्राचीन और समृद्ध संस्कृति है जो पूर्वी भारत के उत्तरी क्षेत्रों में स्थित है। यह संस्कृति मिथिला क्ष...
20/04/2024

मिथिला संस्कृति एक प्राचीन और समृद्ध संस्कृति है जो पूर्वी भारत के उत्तरी क्षेत्रों में स्थित है। यह संस्कृति मिथिला क्षेत्र के परंपरागत जीवन और सांस्कृतिक धारों को प्रतिबिंबित करती है, जो पश्चिम बिहार और नेपाल के बीच फैला हुआ है। इस संस्कृति का एक अद्वितीय और विशेष पहलू उसकी कला, संगीत, साहित्य, और परंपरागत विवाह पद्धतियों में दिखता है।

मिथिला क्षेत्र की संस्कृति व्यापारिक और धार्मिक आधार पर आधारित है। यहां के लोग अपनी परंपरागत सामाजिक संरचना, धर्म, और विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। मिथिला संस्कृति का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है विवाह समारोह। यहां के लोग अपने विवाह में अनुसरण करते हैं, जो उनके संस्कृति और परंपरागत मूल्यों को प्रकट करता है।

मिथिला क्षेत्र की संस्कृति में कला एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यहां की चित्रकला, मिथिला पेंटिंग्स, वास्तुकला, और स्थलीय वास्तुशिल्प विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। मिथिला पेंटिंग्स का विशेष रूप मिथिला क्षेत्र की महिलाओं द्वारा बनाए जाते हैं, जो अपने विवाह समारोह और अन्य समाजिक अवसरों पर इसका उपयोग करती हैं।

संगीत भी मिथिला संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहां की लोक संगीत कविताओं, गीतों, और कहानियों के माध्यम से समृद्ध है। मिथिला क्षेत्र में विभिन्न लोक संगीत और नृत्य शैलियां हैं जैसे कि "कहरवा", "झूलन", "सूहाग", और "गीतघर" जो समाज में समर्थन पाते हैं।

साहित्य भी मिथिला संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। मिथिला क्षेत्र की भाषा, मैथिली, एक समृद्ध साहित्यिक परंपरा का धारक है। यहां के लोग अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धाराओं को अपने काव्य, कहानियाँ, और नाटकों के माध्यम से अभिव्यक्त करते हैं।

मिथिला संस्कृति का एक और महत्वपूर्ण पहलू धार्मिकता है। यहां के लोग हिन्दू और जैन धर्म के पालन में विश्वास रखते हैं। मिथिला क्षेत्र के अनेक प्रसिद्ध मंदिर
और तीर्थस्थल हैं जो धार्मिक परंपरा को प्रकट करते हैं। यहां के मंदिर और तीर्थस्थल जैसे कि जनकपुर धाम, मधुबनी, वैष्णो देवी मंदिर, और कापिल मुनि के अश्रम महत्वपूर्ण हैं और धार्मिक उत्सवों और मेलों का केंद्र हैं।

मिथिला संस्कृति में विविधता और समृद्धि है। यहां की सामाजिक संरचना में जाति और वर्ण के विभाजन का अभाव होता है और लोग एक-दूसरे के साथ एकजुटता में रहते हैं। मिथिला समाज में महिलाओं को महत्वपूर्ण भूमिका मिलती है और उन्हें समाज में समानता का अधिकार होता है।

इसके अतिरिक्त, मिथिला संस्कृति के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं में भूमिका नृत्य, वाणिज्यिक गतिविधियाँ, पारंपरिक खाद्य-विभाग, और स्थानीय वाणिज्यिक उत्पादों का उत्पादन शामिल है।

मिथिला संस्कृति के रंग-बिरंगे त्योहार और उत्सव भी इसकी सामृद्धिकता को प्रकट करते हैं। मिथिला क्षेत्र में सभी महत्वपूर्ण हिन्दू और जैन त्योहार मनाए जाते हैं, जैसे कि छठ पूजा, होली, दीपावली, और महाशिवरात्रि। इन त्योहारों के दौरान, लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर आनंद और खुशी का माहौल बनाते हैं।

समाप्त करते हुए, मिथिला संस्कृति एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है जो अपनी अनूठी पहचान के लिए प्रसिद्ध है। इसकी कला, संगीत, साहित्य, और धार्मिकता उसकी अमूल्य धरोहर हैं, जो आज भी लोगों को आकर्षित करती हैं और उन्हें एक-दूसरे के साथ जोड़ती हैं

08/04/2024

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08/04/2024

भारत के चुनाव 2024: राष्ट्र के भविष्य को आकार देना

दुनिया की सबसे बड़ी लोकतंत्र में, हर चुनाव एक महत्वपूर्ण अवसर है, लेकिन 2024 के भारतीय चुनाव को राष्ट्र के इतिहास में महत्वपूर्ण क्षण के रूप में याद किया जाएगा। जब भारत का विविध और जीवंत जाल अपने मतदान का वोट देने के लिए तैयार होता है, तो मतदाताओं द्वारा बॉलट बॉक्स में किए गए चयन उपमहाद्वीप के संकेतों को प्रभावित करेंगे, राष्ट्र की दिशा को सालों तक प्रभावित करेंगे।

इस चुनावी युद्धक्षेत्र के हृदय में एक भरपूर संख्या में महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जिनमें से प्रत्येक ध्यान और समाधान की मांग करते हैं। आर्थिक पुनर्जीवन से लेकर सामाजिक न्याय, पर्यावरणीय संवेदनशीलता से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा तक, मतदाता लाखों को गरीबी से निकालने और सभी के लिए अवसर प्रदान करने के साथ-साथ आत्मनिर्भरता भी चाहता है।

2024 के चुनाव के एक मुख्य स्तंभ में अर्थव्यवस्था है। कोविड-19 महामारी की छाया अभी भी बड़ी है, भारतीय अर्थव्यवस्था की पुनर्जीवन और पुनर्जीविता पर काम करना महत्वपूर्ण है। मतदाता एक विचार चाहता है जो न केवल विकास को प्रोत्साहित करता है, बल्कि समावेशीता को भी सुनिश्चित करता है, गरीबी से लाखों को उठाकर सभी के लिए अवसर प्रदान करता है।

इसके अलावा, चुनाव सामाजिक शारीरिक कपड़ा भी है। विविधता के लिए प्रशंसित एक राष्ट्र में, एकता में विवादित मुद्दे सदैव मौजूद होते हैं। साम्प्रदायिक सद्भाव, जाति भेदभाव, लिंग समानता और अल्पसंख्यक अधिकारों के मुद्दे बड़े हैं, जो राजनेताओं को पारदर्शिता की बाधाओं को पार करने और समाज को ऐसा समृद्धि करने के लिए प्रेरित करते हैं जहां हर नागरिक को मूल्यांकन और सशक्त महसूस होता है।

पर्यावरण संबंधी चिंताएं भी 2024 के चुनाव में मुख्य रुप से हैं। जलवायु परिवर्तन जीवन के बुनियादी संरचना को खतरे में डालता है
और भविष्य की सुरक्षा के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। एक बढ़ती हुई वैश्विक दृश्य में, भारत की सीमाओं की सुरक्षा और आंतरिक स्थिरता को सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। मतदाता ऐसे नेताओं की ओर देख रहे हैं जो भू-राजनीति के पेच से गुजरते हुए राष्ट्र की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को सुरक्षित कर सकें।

इसके अतिरिक्त, 2024 के चुनाव भारतीय लोकतंत्र के एक जंजीर के रूप में प्रतीत होते हैं। जब राजनीतिक वितरण और संस्थागत इंतेग्रिटी की मुद्दों का सामना किया जाता है, मतदाता त्रंसपेरेंसी और नैतिक शासन के सिद्धांतों का पालन करने वाले नेता की मांग करता है। मतदाता एक सरकार की खोज करता है जो लोगों की सेवा को ईमानदारी, ईमानदारी, और क़ानून के नियमों के प्रति स्थायित्व के साथ प्रदान करती है।

चुनावी रैलियों और राजनीतिक वक्रोक्तियों के शोर के बीच, लोकतंत्र के वास्तविक सार को याद करना महत्वपूर्ण है - जनता की शक्ति। जैसे ही नागरिक अपना मतदान देते हैं, वे एक राष्ट्र के भविष्य को अपने हाथों में पकड़ते हैं। भारत के चुनाव 2024 न केवल राजनीतिक दलों के एक प्रतियोगिता है; यह एक अरब से अधिक लोगों की आशाओं, आकांक्षाओं, और आदर्शों पर एक जनमता है।

समापन में, 2024 के चुनाव का परिणाम न केवल भारत के दिशानिर्देश को ही निर्धारित करेगा, बल्कि वैश्विक मंच पर तरंगे भेजेगा। यह भारतीय लोकतंत्र की लचीलापन और गतिमयता का प्रमाण है, सामूहिक आवाज़ और चयन की शक्ति का जश्न। जैसे ही राष्ट्र इतिहास के कसाव के खाक में खड़ा होता है, चलो याद रखें कि वास्तविक शक्ति न केवल राजनीतिज्ञों के हाथों में होती है, बल्कि लोगों के दिल और दिमाग में होती है।
चुनाव 2024 में भारत की जनता को एक नया दिशा देने का मौका है। यह चुनाव न केवल राजनीतिक पार्टियों की जंग है, बल्कि यह एक विचारशील समाज की लड़ाई भी है। यहाँ पर गरीबी की जंग है, जातिवाद के खिलाफ आवाज उठाने की लड़ाई है, और समाज में समानता और सामाजिक न्याय की मांग की जा रही है।

इस चुनाव में जनता का जवाब भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को एक नया मोड़ देगा। जनता की उम्मीदें बड़ी हैं, और वह नेताओं से नई और सकारात्मक दिशा की आशा कर रही है। इसलिए, यह चुनाव न केवल एक चुनाव है, बल्कि एक नई भारतीय समाज की उत्थान की शुरुआत है। यह उम्मीदों और सपनों का चुनाव है, जो भारत को एक सशक्त, समृद्ध, और एकत्रित राष्ट्र बनाने की कवायद में है।
चुनाव 2024 में हर एक मत की महत्वपूर्णता है, क्योंकि यह न केवल एक सरकार को चुनता है, बल्कि एक देश की भविष्य की नींव रखता है। यह चुनाव भारतीय लोकतंत्र की ताकत और विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जब जनता एकजुट होकर चुनाव में भाग लेती है, तो वह न केवल एक सरकार बनाती है, बल्कि अपने देश के भविष्य को आकार देती है।
इसलिए, चुनाव 2024 एक अवसर है भारत की जनता को एक नया उज्ज्वल भविष्य चुनने का। यह एक देशव्यापी संघर्ष है, जो सभी नागरिकों के सपनों को पूरा करने की उम्मीद में है। चुनाव के नतीजे के साथ, भारत को एक नया युग और एक नया दिशा मिलेगा, जो राष्ट्र को एक सशक्त, समृद्ध, और उदार भविष्य की ओर ले जाएगा।

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